देश में ‘बढ़ती असहिष्णुता’ का हवाला देकर अपने पद से इस्तीफा देकर राजनीति में जाने और फिर वापस आईएएस बने शाह फैसल ने ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के बहाने इस्लामी देशों पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि भारत में मुस्लिमों को इतनी आजादी है कि मुस्लिम मुल्कों में सोचा भी नहीं जा सकता। साथ ही, उन्होंने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे भेदभाव पर भी अपनी राय रखी है।
कश्मीरी आईएएस और केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय में उप-सचिव शाह फैसल ने मंगलवार (25 अक्टूबर, 2022) को ट्वीट थ्रेड के जरिए कहा है, “यह सिर्फ भारत में ही संभव है कि कश्मीर का एक मुस्लिम युवा इंडियन सिविल सर्विस एग्जाम में टॉप कर सकता है और सरकार के टॉप विभागों तक पहुँच सकता है। सरकार के खिलाफ जा सकता है। फिर वही सरकार उसे बचाती और अपनाती है।”
might be a surprise for our neighbours where the Constitution bars non-Muslims from top posts in the Government, but Indian democracy has never discriminated ethnic and religious minorities from the rest.
— Shah Faesal (@shahfaesal) October 25, 2022
As equal citizens, Indian Muslims enjoy freedoms that are unthinkable 2/4
उन्होंने अपने अगले ट्वीट में ऋषि सुनक के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने को लेकर पाकिस्तान पर तंज कसते हुए कहा, “ऋषि सुनक की नियुक्ति हमारे पड़ोसियों के लिए यह आश्चर्य की बात हो सकती है जहाँ संविधान गैर-मुसलमानों को सरकार में शीर्ष पदों तक जाने से रोकता है। लेकिन, भारतीय लोकतंत्र ने कभी भी जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया है। समान नागरिकों के रूप में, भारतीय मुस्लिमों को ऐसी स्वतंत्रता का आनंद मिलता है जो तथाकथित इस्लामी देशों के लिए अकल्पनीय है।”
शाह फैसल ने अपनी जिंदगी और करियर के सफर का उदाहरण देते हुए कहा है, “मेरी खुद की जिंदगी भी एक सफर की तरह है। मैं 130 करोड़ देशवासियों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चला। यहाँ मैंने अपनापन, सम्मान, प्रोत्साहन और कभी-कभी हर मोड़ पर लाड़-प्यार को महसूस किया है। यही भारत है।”
From Maulana Azad to Dr. Manmohan Singh and Dr. Zakir Hussain to HE President Droupadi Murmu, India has always been THE land of equal opportunity and the road to the top is open to all.
— Shah Faesal (@shahfaesal) October 25, 2022
Won’t be wrong if I say I have been to the mountain top and seen it for myself. 4/4!
शाह फैसल ने अपने अगले ट्वीट में कहा, “मौलाना आज़ाद से लेकर डॉ मनमोहन सिंह और डॉ जाकिर हुसैन से लेकर महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तक, भारत हमेशा समान अवसरों की भूमि रहा है। यहाँ शीर्ष तक जाने का रास्ता सभी के लिए खुला है। यह गलत नहीं होगा अगर मैं यह कहूँ कि मैंने शिखर पर पहुँचकर सब कुछ देखा है।”
नौकरी छोड़ बने थे राजनेता लेकिन फिर आना पड़ा था वापस
गौरतलब है कि साल 2009 में यूपीएससी टॉप करने वाले शाह फैसल ने देश में बढ़ती असहिष्णुता के नाम पर जनवरी 2019 में सरकारी नौकरी छोड़ते हुए इस्तीफा दे दिया था। हालाँकि, सरकार ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया था। इसके बाद उन्होंने मार्च 2019 में जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट नाम से एक राजनीतिक पार्टी बनाई थी। उनका उद्देश्य विधानसभा चुनाव लड़ना था, लेकिन राज्य में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया और चुनाव नहीं हुआ।
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद शाह फैसल को हिरासत में भी लिया गया था। राज्य के बदले राजनीतिक हालात के बाद उन्होंने अगस्त 2020 में राजनीति छोड़ने की घोषणा कर दी। इसके बाद सरकारी सेवा में आने के उन्होंने कई बार संकेत दिए थे। इस दौरान केंद्र और भाजपा के कटु आलोचक रहे फैसल सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार की नीतियों का खूब समर्थन करने लग गए। वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के बयानों और भाषणों को भी खूब शेयर कर रहे थे।
इसके बाद, उन्होंने सरकार को पत्र लिखकर अपनी नौकरी में वापसी के लिए आवेदन किया था। जिसके बाद इसी साल अप्रैल में उनकी नौकरी बहाल की गई थी और फिर अगस्त में संस्कृति मंत्रालय में उप-सचिव के रूप में नियुक्ति की गई थी। उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा के लोलाब इलाके में जन्मे फैसल श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SKIMS) में मेडिकल की पढ़ाई की थी और वहाँ वे गोल्ड मेडलिस्ट थे। जब फैसल 19 साल के थे तब साल 2002 में उनके शिक्षक पिता गुलाम रसूल शाह को आतंकियों ने हत्या कर दी थी।