छत्तीसगढ़ में प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने पाँव पखारकर 50 परिवारों के 120 लोगों की घर-वापसी कराई। ‘श्री वनवासी राम कथा’ का आयोजन कंदरी स्थित श्री राम मंदिर समिति में आचार्य श्री सतानंद महाराज जी के सानिध्य में सम्पन्न हुआ। शनिवार (18 मई, 2024) को घर-वापसी कार्यक्रम में पहुँचे प्रबल प्रताप सिंह जूदेव का भव्य स्वागत भी हुआ। उन्होंने 50 परिवारों के 120 लोगो की घर-वापसी संपन्न कराने में बड़ी भूमिका निभाई है। ज्ञात हो कि 9 कुंडीय महायज्ञ एवं ‘श्री वनवासी राम कथा’ का आयोजन श्री राम मंदिर समिति कंदरी में आचार्य सतानंद महाराज जी के सानिध्य में सम्पन्न हुआ।
इससे प्रभावित होकर ही लोग सनातन धर्म में घर-वापसी कर रहे हैं। बलरामपुर जिले के महज 35 किलोमीटर पर स्थित प्राचीन श्री राम मंदिर कंदरी में 10 मई को भव्य कलश यात्रा के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ करीब 5000 महिलाएँ कलश यात्रा में शामिल हुईं। करीब 3 किलोमीटर यात्रा कर रिगड़ नदी जनकपुर से जल लेकर मंदिर प्रांगण पहुँचे जहाँ काशी एवं प्रयागराज से आए ब्राह्मणों ने करीब डेढ़ लाख आहुति एवं करीब 50 लाख राम नाम का जप भक्तों द्वारा मंदिर प्रांगण में किया।
राम कथा सुनने के लिए प्रतिदिन निरंतर भीड़ देखने को मिला। मंदिर समिति के द्वारा प्रतिदिन सुबह शाम भंडारा की भी व्यवस्था की गई थी। लगातार कथा के मंच से जो लोग सनातन धर्म छोड़कर दूसरे धर्म में चले गए थे। करीब 150 महिला-पुरुष ने अपनी घर-वापसी कराई। कार्यक्रम के अंतिम दिन दिवंगत केंद्रीय मंत्री दिलीप सिंह जूदेव जी के बेटे प्रबल प्रताप सिंह जूदेव द्वारा मुख्य अतिथि के रूप में घर-वापसी का कार्यक्रम कराया गया।
#बलरामपुर में 50 परिवारों की हिंदू धर्म में वापसी, प्रबल प्रताप जुदेव की मौजूदगी में हुई घर वापसी#Balrampur #BreakingNews pic.twitter.com/HZFBHwP9Ih
— News18 MadhyaPradesh (@News18MP) May 18, 2024
प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने इन लोगों के पाँव भी पखारे। कार्यक्रम के आयोजक हनुमान जी महाराज रहे। पहली बार प्राचीन राम मंदिर में ऐतिहासिक कार्यक्रम संपन्न हुआ। प्रबल प्रताप सिंह जूदेव जशपुर राजघराने से ताल्लुक रखते हैं और भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। उनके पिता दिलीप सिंह मध्य भारत में जनजातीय समाज के बीच एक लोकप्रिय नेता थे। उनके 3 बेटों में 2 की बीमारी की वजह से मृत्यु हो गई, प्रबल प्रताप सिंह जूदेव भाइयों में अकेले ही बचे हैं।