हिंदू धर्म में मंगलसूत्र को सुहाग की निशानी माना जाता है, लेकिन गोवा के लॉ कॉलेज की एक सहायक प्रोफेसर की नजर में मंगलसूत्र ‘कुत्ते के गले बँधी चेन’ के समान है। प्रोफसेर ने अपनी फेसबुक पोस्ट में इसका जिक्र भी किया है। इसको लेकर गोवा में विवाद खड़ा हो गया।
अब राष्ट्रीय हिंदू युवा वाहिनी की शिकायत पर पुलिस ने प्रोफेसर के खिलाफ धार्मिक भावनाएँ भड़काने का मामला दर्ज किया है। ये FIR राष्ट्रीय हिंदू युवा वाहिनी के गोवा यूनिट के राजीव झा ने दर्ज करवाई है।
पणजी पुलिस ने बताया कि वीएम सलगांवकर कॉलेज ऑफ लॉ में राजनीति विज्ञान की सहायक प्रोफेसर शिल्पा सिंह ने अप्रैल में अपनी फेसबुक पोस्ट में पितृसत्ता को चुनौती देने के लिए हिंदू परंपराओं की आलोचना की थी। इस दौरान उन्होंने हिंदू धर्म में महिलाओं के पवित्र मंगलसूत्र की तुलना कुत्ते के गले में बाँधी जाने वाली चेन से की थी।
इस मामले में पहले तो कॉलेज की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) शाखा ने विरोध प्रदर्शन किया और कॉलेज प्रशासन को शिकायत देकर प्रोफेसर सिंह को बर्खास्त करने की माँग की।
ABVP ने प्रोफेसर पर विशेष धर्म के बारे में सामाजिक रूप से घृणास्पद विचारों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। इसके बाद हिंदू युवा वाहिनी इकाई ने भी इसका विरोध शुरू कर दिया और इकाई के राजीव झा ने प्राफेसर के खिलाफ पुलिस में शिकायत दे दी।
मामले में प्रोफेसर शिल्पा सिंह ने भी राजीव झा के खिलाफ 30 अक्टूबर से उनके लिए अपमानजनक टिप्पणी करने और डराने-धमकाने की शिकायत दे दी। उन्होंने आरोप लगाया कि झा ने उनकी पोस्ट को लेकर उनके खिलाफ कई अभद्र टिप्पणियाँ की और उन्हें माफी नहीं माँगने पर परिणाम भुगतने की धमकी दी।
उत्तरी गोवा के पुलिस अधीक्षक (SP) उत्कर्ष प्रसून ने बताया कि झा और सिंह की शिकायतों के आधार पर मामले दर्ज किए गए हैं। झा की शिकायत पर प्रोफेसर सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295a (जानबूझकर धार्मिक भावनाएँ भड़काने) का मामला दर्ज किया है। इसी तरह सिंह की शिकायत पर पोंडा निवासी राजीव झा के खिलाफ IPC की धारा 504 (जानबूझकर अपमान करना), 506 और 509 के तहत मामला दर्ज किया है।
हालाँकि, अपनी फेसबुक पोस्ट पर बवाल मचने के बाद प्रोफेसर शिल्पा सिंह ने माफी भी माँगी है। उन्होंने लिखा, “मेरी बातों को गलत तरीके से लिया गया, मैं उन सभी महिलाओं से खेद प्रकट करती हूँ जिन्हें मेरी पोस्ट से दुख हुआ। मैं हमेशा सोचती थी कि शादी के बाद मैरिटल स्टेटस का सिम्बल सिर्फ महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है, पुरुषों के लिए क्यों नहीं। ये देखकर निराश हूँ कि मेरे बारे में गलत विचार फैलाए गए। मैं अधार्मिक और नास्तिक नहीं हूँ।”