Monday, November 25, 2024
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टेरर फंडिंग केस में ‘कृष्णा हींग’ के ऑफिस में रेड, मालकिन आसमा खान के घर भी छापेमारी: NIA ने जब्त किए अहम दस्तावेज, 8 घंटे चली तलाशी

एनआईए को आसमा खान के खिलाफ दिल्ली में टेरर फंडिंग के बारे में सूचना मिली थी, जिसके बाद लोकल क्राइम ब्रांच और एसओजी की मदद से सर्च ऑपरेशन चलाया गया। यह ऑपरेशन 8 घंटे चला।

गुजरात में टेरर फंडिंग को लेकर एनआईए की छापेमारी जारी है। इस क्रम में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने गुजरात के खेड़ा जिले के नडियाद में स्थित न्यू भारत हिंग सप्लायर्स (New Bharat Hing Suppliers) के ऑफिस पर 5 सितंबर को करोड़ों रुपए के संदिग्ध लेन-देन के संबंध में छापेमारी की।

यह कंपनी मशहूर हींग ब्रांड कृष्णा हींग की मार्केटिंग करती है। कथित तौर पर, यह छापेमारी सोमवार की सुबह शुरू हुई और 8 घंटे चलती रही। दोपहर लगभग 3.30 बजे जाकर एनआईए ने तलाश रोकी।

एनआईए ने नडियाद पुलिस क्राइम ब्रांच (Naidad Police Crime Branch) और एसओजी (SOG) की मदद से यह छापेमारी की थी। एनआईए ने एक संदिग्ध टेरर फंडिंग लिंक पर सूचना मिलने के बाद छापेमारी की थी। इसमें संकेत दिया गया था कि आतंकी गतिविधियों को फंड करने के लिए नडियाद से दिल्ली में फंड ट्रांसफर किया गया था। इसके बाद एनआईए की टीम 5 सितंबर की सुबह करीब 5 बजे मारिडा रोड स्थित कंपनी के कार्यालय पहुँची और जाँच शुरू हुई।

जाँच एजेंसी ने न्यू भारत हींग सप्लायर्स के कार्यालय के अलावा नडियाद के अहमदाबादी बाजार शकरककुई में उसकी मालकिन आसमा खान पठान के घर पर भी छापेमारी की। एनआईए की टीम ने छापेमारी के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक सामान बरामद किया है, जिसे उन्होंने अपने कब्जे में ले लिया है। ध्यान दें कि आसमा खान (Asma Khan Pathan) दिल्ली वक्फ बोर्ड की गुजरात से सदस्य हैं। इससे पहले वह पार्षद भी रह चुकी हैं।

गुजरात समाचार के अनुसार, एनआईए को आसमा खान के खिलाफ दिल्ली में टेरर फंडिंग के बारे में सूचना मिली थी, जिसके बाद लोकल क्राइम ब्रांच और एसओजी की मदद से सर्च ऑपरेशन चलाया गया। यह सर्च ऑपरेश दोपहर साढ़े तीन बजे तक चला। जाँच एजेंसी ने हार्ड डिस्क, कंप्यूटर के अलावा कई महत्वपूर्ण सबूतों को सील कर दिया है।

बता दें कि आसमा खान पठान खुद को ‘मोदी समर्थक’ कहती हैं। उनके पास पीएम मोदी के साथ ली गई तस्वीरें भी हैं। कुछ रिपोर्टों से पता चलता है कि उनका परिवार कॉन्ग्रेस का समर्थन करता था, लेकिन गुजरात 2002 के दंगों के बाद अपने रिश्तेदारों का पता लगाने में पीएम मोदी की तरफ से मदद मिलने के बाद वह भाजपा समर्थक बन गईं। इस मामले पर बीजेपी की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया। वहीं, एनआईए ने भी कोई बयान जारी नहीं किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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