राजस्थान के टोंक जिले के मालपुरा कस्बे में एक बार फिर हिंदू परिवार अपने मकान और दुकान बेचकर दूर जाने लगे हैं। मुस्लिम बहुल इलाके में रहने वाले हिंदुओं ने घरों के बाहर ‘पलायन’ का पोस्टर लगा कर अपना जीवन खतरे में बताया है। सामने आई तस्वीरों में देख सकते हैं कि हिंदुओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मामले में हस्तक्षेप की माँग की है।
इस बाबत पीएम मोदी और सीएम गहलोत को पत्र भी लिखे गए हैं जिसमें बताया गया है कि असुरक्षा के कारण मजबूरी में इलाके के हिंदुओं को पलायन करना पड़ रहा है। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार (सितंबर 7, 2021) को इन परिवारों के करीब 100 लोगों ने कस्बे में रैली निकालकर उपखंड अधिकारी को ज्ञापन दिया।
ज्ञापन में बताया गया कि इलाके में कैसे हिंदुओं के साथ मारपीट और महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है। इसके अलावा यह भी कहा गया कि 1992 के बाद मुस्लिम बस्ती के पास रहने वाले हिंदू समाज का असुरक्षा और डर के कारण धीरे-धीरे पलायन होता जा रहा है। लोग अपने मकान खाली कर दूसरों को बेच रहे हैं। कथिततौर पर मालपुरा में 600 से 800 हिंदुओं के मकान मुस्लिम समाज के लोगों ने खरीद लिए हैं। लोगों ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से सुरक्षा की माँग करते हुए न्याय की गुहार लगाई है।
इससे पहले एक और ज्ञापन सोमवार (6 सितंबर) को सौंपा गया था। इलाके के हिंदुओं का कहना है कि मुस्लिमों की आबादी लगातार बढ़ रही है, जिसके कारण हिंदुओं का रहना मुश्किल हो रहा है। क्षेत्र में जैन और गुर्जरों के मंदिर हैं, लेकिन मुस्लिमों की बढ़ती आबादी के कारण असुरक्षा है और इस कारण उन्हें बंद करना पड़ रहा है। मंदिरों के पास अवैध तरीके से मांस की दुकानें चलाई जा रही हैं जिस वजह से मंदिर की प्रतिमाओं को दूसरी जगह भेजा जा रहा है।
बता दें कि हिंदुओं द्वारा की गई इस रैली के बाद उपखंड प्रशासन ने कार्रवाई करने की बजाय इसे साम्प्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने वाली करतूत बताया। उन्होंने हिंदू समुदाय के लोगों को अपने अपने घरों से इस तरह के पोस्टर हटाए की चेतावनी दी। इसके बाद पुलिसकर्मी पोस्टरों को हटाने के लिए कई बार घर पहुँचे, लेकिन लोगों के विरोध को देखते हुए वह ऐसा नहीं कर सके। एक स्थानीय नागरिक राधानकिशन ने बताया कि करीब 200 परिवार काफी समय से प्रशासन से सुरक्षा की माँग कर रहे हैं।
यहाँ ज्ञात रहे कि मालपुरा को साम्प्रदायिक दृष्टि से संवेदनशील इलाका माना जाता है। कई बार वहाँ इसी वजह से तनाव की स्थिति पैदा हुई है जिसमें 50 लोगों की जान भी गई। बताया जाता है कि सबसे बड़ा साम्प्रदायिक झगड़ा 1992 में हुआ था। दोनों पक्षों के 25 लोगों की मौत हुई थी, उसके बाद साल 2000 भी 13 लोग इन्हीं सबके चलते मरे थे।