Saturday, November 23, 2024
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‘मुस्लिम छात्रों के झूठे आरोपों पर अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी ने किया निलंबित’: हिन्दू छात्र का आरोप – मिली धर्म से समझौता न करने की सज़ा

पत्र में तिवारी ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि मुस्लिम छात्रों द्वारा उन्हें अपमानित किया जाता था, क्योंकि उन्होंने अपनी विचारधारा और धर्म से समझौता नहीं किया।

बेंगलुरु में एक हिंदू छात्र ने अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी ( Azim Premji University) पर आरोप ​लगाया है कि इस्लामवादियों और वामपंथी विचारधारा वाले छात्रों द्वारा उसे निशाना बनाने के बाद निलंबित कर दिया गया है। ऋषि तिवारी ने कहा कि कुछ छात्रों ने उसे हिंदू होने के कारण परेशान किया और उसके साथ भेदभाव किया गया। इसको लेकर उसका मुस्लिम छात्रों से विवाद हो गया। इस मामूली विवाद पर कॉलेज प्रशासन ने उसे निलंबित कर दिया है।

ऋषि तिवारी के अनुसार, 2020 में उसने एमए डेवलपमेंट का कोर्स करने के लिए अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था। उसके बाद से उसे यहाँ हिंदू होने के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ा है। तिवारी को संस्थान के प्रोफेसरों और अन्य शिक्षकों द्वारा बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से पढ़कर आने के लिए टारगेट किया गया, क्योंकि बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी को ‘दक्षिणपंथी’ और उनकी आस्था हिंदू धर्म का गढ़ माना जाता है। इस भेदभाव के खिलाफ तिवारी अपनी आवाज उठाई और संस्थान के निदेशक को में शिकायत पत्र लिखा। इस बारे में तिवारी ने ऑपइंडिया से भी बात की है।

पत्र में तिवारी ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि मुस्लिम छात्रों द्वारा उन्हें अपमानित किया जाता था, क्योंकि उन्होंने अपनी विचारधारा और धर्म से समझौता नहीं किया। एक बार उनके और एक अन्य छात्र (मुस्लिम) के बीच मामूली विवाद को कैंपस में ‘हिंदू बनाम मुस्लिम’ मुद्दे के रूप में बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया। जैसा कि तिवारी ने बताया, कॉलेज में प्लेसमेंट प्रक्रिया के दौरान चयन नहीं होने के कारण भी उन्हें प्रताड़ित किया गया।

‘एक विवाद के बाद निलंबित किया गया’

पत्र के अनुसार, जब ऋषि तिवारी अपने हॉस्टल में लौट रहे थे, तभी ‘इस्लामी और वामपंथी विचारधारा’ वाले छात्रों के एक समूह ने उन्हें घेर लिया। उन्होंने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उन पर हमला भी किया। ऑपइंडिया से बात करते हुए तिवारी ने कहा, “1 मई 2022 को रात करीब 8:45 बजे इस्लामवादी और वामपंथी विचारधारा के 8-10 छात्रों ने मुझे घेर लिया। उन्होंने मेरे लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल भी किया और मुझ पर हमला भी किया। अगले दिन यानी 2 मई की शाम करीब 6 बजे कुछ प्रोफेसरों और छात्रों ने मेरे खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और मुझे यूनिवर्सिटी से निकाले जाने की माँग की।”

वहीं, मुस्लिम छात्रों की भीड़ ने उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि तिवारी ने मुस्लिम छात्र के चेहरे पर खाना फेंका और उस पर थूका। यही नहीं उन्होंने उन पर हमला करने का आरोप भी लगाया। उनका कहना है कि तिवारी ने उन्हें ‘हिंदूवादी, संघी और कट्टर हिंदू बनाने का जबरन प्रयास किया था। इस मामले में तिवारी ने 2 मई को स्कूल ऑफ डेवलपमेंट के निदेशक के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन उनका पक्ष सुने बिना ही उन्हें निलंबित कर दिया गया। 2 मई के बाद से तिवारी को तत्काल प्रभाव से सभी कक्षाओं और हॉस्टल से अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दिया गया है। तिवारी उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के बल्लान गाँव के रहने वाले हैं।

अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में ऋषि तिवारी के खिलाफ धरना प्रदर्शन

छात्रों के एक समूह ने इस घटना को ‘इस्लामोफोबिया’ करार दिया था। इस समूह ने कॉलेज के परिसर में तिवारी के खिलाफ प्रदर्शन किया। उनके खिलाफ सोशल मीडिया खासकर इंस्टाग्राम पर कई पोस्ट किए। अपने खिलाफ कॉलेज में हुए प्रदर्शन को लेकर तिवारी ने कहा, “जिस तरह से यूनिवर्सिटी में छात्रों के एक समूह ने मुझे सांप्रदायिक बना दिया है। उससे मैं यहाँ खुद को बेहद असुरक्षित महसूस कर रहा हूँ। इन सबके बावजूद एक भी अधिकारी ने मेरी बात नहीं सुनी और ना ही मेरा पक्ष जानने की कोशिश की।” छात्र का कहना है कि मेरा अंतिम सेमेस्टर पूरा होने वाला था और आने वाले कुछ महीनों में मुझे मेरी डिग्री मिलने वाली थी, लेकिन इस विवाद के बाद से मेरी डिग्री और नौकरी दोनों खतरे में हैं। मेरा परिवार आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है। पूरे परिवार की जिम्मेदारी मेरे ऊपर है। ऐसे में कुछ भी समझ नहीं आ रहा है।

‘सवाल पूछने पर निशाना बनाया’

पिछले साल यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसमें बतौर मुख्य अतिथि फ्रेंच के राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर क्रिस्टोफ जैफ्रेलोटे (जो अक्सर भारत के खिलाफ बोलते हैं) को आमंत्रित किया गया था। तिवारी के अनुसार, यह कार्यक्रम देखते ही देखते ‘भाजपा सरकार और हिंदू धर्म को बदनाम करने’ वाले कार्यक्रम में बदल गया। इस दौरान उन्होंने और उनके कुछ दोस्तों ने जिज्ञासावश जैफ्रेलोटे से एक प्रश्न पूछ लिया। इसको लेकर कार्यक्रम आयोजित करने वालों ने इन छात्रों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। सवाल पूछने को गंभीरता से लेते हुए विश्वविद्यालय ने इस मामले की जाँच के लिए एक विशेष समिति का गठन किया था।

उस कार्यक्रम के बाद से तिवारी और उनके कुछ दोस्तों को हिंदू होने व उनकी अलग विचारधारा के लिए निशाना बनाया जाने लगा। छात्रों को सार्वजनिक रूप से संघी, भाजपा के प्रवक्ता और भाजपा आईटी सेल का सदस्य कहा जाता था। तिवारी कहा, “मुझे अपनी पहचान और हिंदू होने पर गर्व है। इसलिए मैं इसे कोई अपराध नहीं मानता है। वैचारिक मतभेद होने का मतलब यह नहीं है कि मुझे अपनी डिग्री और नौकरी वंचित होना पड़ेगा। विश्वविद्यालय मुझे न्याय दिलाने का कोई प्रयास नहीं कर रहा है।”

‘कैंपस में दिवाली मनाने पर लगाई फटकार’

सूत्रों के मुताबिक, कैंपस के एकेडमिक कैलेंडर में किसी भी हिंदू त्योहार पर छुट्टी नहीं है। पिछले साल नवंबर में तिवारी और उनके कुछ दोस्तों ने कैंपस में दिवाली मनाई थी, जो वहाँ हिंदू धर्म में विश्वास नहीं रखने वालों को अच्छा नहीं लगा। उन्हें दिवाली मनाने के लिए भी टारगेट किया गया। ऋषि तिवारी और उनके दोस्तों को एक ही समूह द्वारा बार-बार निशाना बनाया गया। उन पर संघी, भाजपा के लोग और कट्टरपंथी हिंदू का लेबल लगा दिया गया और सार्वजनिक रूप से इन्हीं नामों से बुलाया जाने लगा। खैर, जैसे ही हमें इस मामले से जुड़ी अन्य जानकारी मिलती है, हम अपने पाठकों को उससे अपडेट कराते रहेंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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