Amazon Echo, एप्पल के iPhone और Xiaomi के फ़ोन बनाने वाली कंपनी Foxconn भारत में अपने मोबाइल असेम्ब्लिंग एंड टेस्टिंग प्लांटों के उत्पादन से उत्साहित हो नई फैक्ट्रियाँ लगाने और पुरानी फैक्ट्रियों की क्षमता बढ़ाने की तैयारी कर रही है। तायपेई स्थित यह कंपनी डोनाल्ड ट्रम्प के सुरक्षा कारणों से और ट्रेड-वॉर के चलते चीन में निर्मित फ़ोनों पर बढ़ रहे प्रतिबंधों और टैरिफ़-शुल्कों से बचने के उपाय के तौर पर मैन्युफैक्चरिंग में चीन के विकल्प के तौर पर भारत को देख रही है। Foxconn India के परिचालन (ऑपरेशन्स) प्रमुख जॉश फोल्गर ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बातचीत में इसकी जानकारी दी।
अभी तक होती है टेस्टिंग और असेम्ब्लिंग, अब मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात की भी तैयारी
अभी तक Foxconn के भारतीय प्लांट चीन से आयातित मोबाइल फ़ोनों के हिस्सों को जोड़कर पूरा फ़ोन तैयार करने (असेम्ब्लिंग) और उसमें उपभोक्ता के इस्तेमाल में आने वाली संभावित खामियों को ढूँढ़ने (टेस्टिंग) का काम करते थे। शुरूआत पहले प्लांट में शाओमी के फ़ोन से की गई थी, और हाल ही में कर्मचारियों ने iPhone X की भी असेम्ब्लिंग-टेस्टिंग शुरू कर दी है। कम्पनी का पहला प्लांट चेन्नै के पास स्थित श्री सिटी नामक विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) में है, जहाँ से डायपरों से लेकर रेलवे के कोच तक सब कुछ आयात-निर्यात करने के लिए लालफ़ीताशाही कम-से-कम झेलनी पड़ती है। दो साल बाद 2017 में दूसरा प्लांट श्रीपेरंबदूर में खुला, और अब कम्पनी इन दोनों प्लांटों की क्षमता बढ़ाने और दो और प्लांट स्थापित करने के साथ-साथ भारत में अब तक आयात हो रहे मोबाइल के हिस्सों का यहीं उत्पादन करने की तैयारी कर रही है।
सस्ता लेबर मिल जाता है, लेकिन…
फोल्गर बताते हैं कि हालाँकि भारत में चीन की तुलना में उन्हें एक-तिहाई वेतन (₹9,000) कर्मचारियों को देना पड़ता है, और राज्य सरकार भी अपने स्तर पर हर-सम्भव सहयोग कर रही है, लेकिन समस्याएँ फिर भी कम नहीं हैं। पहले तो उन्हें पानी की बाकायदा दूसरे इलाकों से सप्लाई लेनी पड़ती है, क्योंकि चेन्नै और आस-पास के इलाकों में पानी की भयंकर कमी है। इसके अलावा जब Foxconn ने महिला कर्मचारियों को वरीयता के आधार नौकरी देना शुरू किया तो उनके लिए विशेष सुरक्षा प्रबंधन करना पड़ा। इसके अलावा बहुत सी महिलाएँ झटके में सरकारी नौकरी के चक्कर में काम छोड़ देतीं हैं, जिससे दैनिक उत्पादन लक्ष्य (डेली प्रोडक्शन टार्गेट) हासिल करने में समस्या हो जाती है।