Sunday, November 17, 2024
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सऊदी अरब में हिंदू को दफनाया, इंडियन काउंसलेट को बताया तक नहीं: अस्थियों के लिए हाई कोर्ट में विधवा ने लगाई है गुहार

शुरुआत में बताया जा रहा था कि अनुवादक की गलती से ऐसा हुआ। लेकिन अब कोर्ट को बताया गया है कि नियमित प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते हुए इंडियन कांउसलेट को इसकी खबर तक नहीं दी गई।

इस साल 24 जनवरी को सऊदी अरब में प्रवासी भारतीय संजीव कुमार का कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया था। उन्हें दफना दिया गया। अस्थियाँ वापस लाने के लिए उनकी पत्नी अंजू शर्मा ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है।

शुरुआत में मीडिया रिपोर्टों में बताया गया था कि अनुवादक की चूक की वजह से ऐसा हुआ था। लेकिन अब पता चला है कि भारतीय काउंसलेट से न तो इस बारे में पूछा गया था और न ही कोई जानकारी दी गई थी।

हाई कोर्ट में गुरुवार को इस मामले की सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने केस की सुनवाई के दौरान विदेश मंत्रालय के अधिकारी से कहा कि आज ही दिल्ली में सउदी अरब दूतावास में संपर्क करके मृतक की अस्थियाँ लाने के लिए कार्य शुरू करें और 24 मार्च तक इस संबंध में हुई कार्रवाई पर कोर्ट को बताएँ। अदालत ने विदेश मंत्रालय से कहा कि वह मामले की संवेदनशीलता को समझकर इस पर एक्शन ले।

बता दें कि पिछली सुनवाई पर हाई कोर्ट ने इस मामले में विदेश मंत्रालय से जवाब माँगा था। विदेश मंत्रालय की तरफ से काउंसलर पासपोर्ट वीजा डिविजन (सीपीडी) के निदेशक ने हाई कोर्ट को बताया कि इस संबंध में सऊदी में भारतीय दूतावास और सऊदी सरकार के संबंधित विभाग से पत्राचार किया गया है। मृतक का शव गैर मुस्लिम कब्रिस्तान में दफनाया गया था।

उन्होंने बताया कि भारतीय काउंसलेट से मृतक संजीव कुमार को दफन करने से पहले न तो पूछा गया था और न ही इस बारे में सूचित किया गया था। यह नियमित प्रोटोकॉल के खिलाफ है। सऊदी अरब में भारतीय दूतावास द्वारा संजीव कुमार की मौत के बाद उनको लेकर कोई अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया गया था।

उनके अनुसार, मृतक के मृत्यु प्रमाण-पत्र में धर्म का उल्लेख नहीं था। उन्हें सिर्फ़ भारतीय के रूप में पहचाना गया और एक गैर मुस्लिम कब्रिस्तान में दफन कर दिया गया। निदेशक ने कहा कि कुमार को यदि गैर मुस्लिम कब्रिस्तान में दफनाया गया मतलब उन्हें पता होगा कि वह मुस्लिम नहीं थे।

बता दें कि पहले मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा था कि अनुवादक की गलती से ये सारी चीजें हुईं। लेकिन अब कोर्ट में इंडियन कांउसलेट का कहना है कि आधिकारिक अनुवादक द्वारा संजीव कुमार के मृत्यु प्रमाण-पत्र का अनुवाद नहीं किया गया था।

उन्होंने बताया कि 25 फरवरी को उन्हें इस संबंध में जानकारी मिली थी। लेकिन उन्होंने कोई अनापत्ति पत्र जारी नहीं किया। बाद में जब पता चला तो उन्होंने तुरंत सऊदी अरब के क्षेत्र के साथ मिलकर बात की। इस संबंध में अधिकारियों के साथ बैठकें भी बुलाई गई थी।

उल्लेखनीय है कि सऊदी अरब में हिंदू के अंतिम संस्कार का यह मामला कुछ दिन पहले चर्चा में आया था जब हिमाचल प्रदेश के ऊना की रहने वाली अंजू शर्मा ने अधिवक्ता सौरभ चंद के माध्यम से याचिका दायर की थी। अपनी याचिका में अंजू ने उनके पति के शव की अस्थियों को भारत लाने के संबंध में निर्देश देने की माँग की थी। अंजू की 3 बेटियाँ हैं। उनके पति संजीव बीते 23 साल से सउदी अरब में ट्रक चालक का काम करते थे। तीन साल से वह भारत नहीं आ सके थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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