‘चंद्रयान 3’ की सफलता और हाल ही में ‘गगणयान’ के सफल ट्रायल से भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र में काम करने वाले सभी लोग उत्साहित हैं। अब विजयादशमी के मौके पर मंगलवार (24 अक्टूबर, 2023) को ISRO प्रमुख S सोमनाथ ने केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित पूर्णमिकवु मंदिर में पूजा-अर्चना करने पहुँचे। इस दौरान उन्होंने ब्रह्माण्ड के रहस्यों को लेकर चल रही आध्यात्मिक खोज का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक के रूप में वो स्पेस के रहस्यों को सुलझाने की कोशिश करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि वो रॉकेट बनाते हैं। साथ ही उन्होंने जोड़ा कि ब्रह्माण्ड के रहस्यों पर से पर्दा उठाने के लिए वो मन के भीतर और मन के बाहर, दोनों तरह से प्रयास करते हैं। एस सोमनाथ ने ईश्वर के साथ अपने एक ख़ास कनेक्शन की बात करते हुए कहा कि उनके हमेशा मंदिर आने का कारण यही है। इस दौरान उन्होंने मंदिर में ‘विद्यारंभम’ नामक एक विशेष कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया। इसके तहत छोटे बच्चों को अक्षर ज्ञान के साथ उनकी शिक्षा-दीक्षा शुरू करवाई जाती है।
इस दौरान उन्होंने ‘गगनयान’ को लेकर भी बात की। ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद’ के अध्यक्ष ने कहा कि इसके लिए अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया जा चुका है और उनके प्रशिक्षण की प्रक्रिया भी पूरी हो गई है, ऐसे में इसके शुरुआती अभियानों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित नहीं हो पाएगी। उन्होंने इस मिशन का उद्देश्य बताते हुए कहा कि इसके तहत अंतरिक्ष में मनुष्यों को भेजा जाना है, फिर उन्हें सकुशल पृथ्वी पर लाना है। उन्होंने भविष्य में इस मिशन में महिलाओं की अधिक भागीदारी का आश्वासन दिया।
VIDEO | “In our culture, there is something called initiation to education which is happening today. Education is a continuous process but alphabets are very important as we associate so much with alphabets. They are like the spiritual being and even Malayalam alphabets are… pic.twitter.com/zpPZEX2yyz
— Press Trust of India (@PTI_News) October 24, 2023
उन्होंने कहा कि ये उनकी भी प्राथमिकता है। ‘गगनयान’ मिशन में मनुष्यों से पहले आदमी की तरह ही दिखने वाले रोबोट, अर्थात ह्यूमनॉइड को भेजा जाएगा। उन्होंने इस दौरान ‘विद्यारंभम’ कार्यक्रम को भारतीय संस्कृति का हिस्सा बताते हुए कहा कि शिक्षा एक सतत प्रक्रिया है और अक्षर का इसमें खास महत्व है। उन्होंने कहा कि इस मंदिर में मलयाली अक्षरों की भी पूजा होती है। उन्होंने कहा कि विजयादशमी के दिन छात्रों को इस ज्ञान से परिचय कराया जाता है, ये उनके लिए एक आशीर्वाद है।