धनबाद के जज उत्तम आनंद की हत्या के मामले में केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) की नई दिल्ली स्थित विशेष अपराध शाखा ने दो और FIR दर्ज की है। एक प्राथमिकी ऑटो चोरी के मामले में दर्ज की गई है, जिस ऑटो से जज उत्तम आनंद की हत्या की घटना को अंजाम देने का आरोप है। वहीं, दूसरी प्राथमिकी मोबाइल चोरी के मामले में दर्ज की गई है।
केंद्रीय जाँच एजेंसी ने दोनों मामलों की जाँच झारखंड पुलिस से अपने हाथ में ले ली है क्योंकि दोनों मामले जज की हत्या के मामले से जुड़े हुए मालूम पड़ते हैं। मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई ने सच्चाई की तह तक जाने के लिए उनका नार्को टेस्ट भी कराया है।
इसके अलावा, एजेंसी ने इस हत्या के मामले में सही जानकारी देने वाले के लिए नकद इनाम को पाँच लाख रुपए से बढ़ा कर 10 लाख रुपए कर दिया है। इस मामले में अभी तक सीबीआई को कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी है। झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ रवि रंजन की पीठ जाँच की निगरानी कर रही है। अब सीबीआई के एएसपी विजय कुमार शुक्ला की अध्यक्षता में स्पेशल क्राइम यूनिट II की 20 सदस्यीय स्पेशल टास्क फोर्स तीन मामलों की जाँच होनी है।
पहली और मुख्य प्राथमिकी (आरसी 04/2021) 4 अगस्त को दर्ज की गई थी, जबकि दो अन्य प्राथमिकी 7 सितंबर की तारीख को एक ऑटो रिक्शा की चोरी और घर तोड़ने के संबंध में दर्ज की गई थी।
गौरतलब है कि 28 जुलाई की सुबह धनबाद में तेज रफ्तार ऑटो रिक्शा की चपेट में आने से जज गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जब वह मॉर्निंग वॉक के बाद अपने घर जा रहे थे। बाद में, पुलिस ने ऑटो रिक्शा का पता लगाया और उसे चला रहे लखन वर्मा और राहुल वर्मा को गिरफ्तार कर लिया। दोनों ने दावा किया कि वे नशे में थे जब उन्होंने गलती से जज को टक्कर मार दी और भाग गए।
आगे की जाँच में पता चला कि अपराध में इस्तेमाल किया गया ऑटो रिक्शा (JH 10R 0461) आरोपित द्वारा चुराया गया था। धनबाद के पाथरडीह थाना क्षेत्र के भौरी खटाल की रहने वाली सुगनी देवी ने पाथरडीह थाने में 29 जुलाई को अज्ञात के विरुद्ध ऑटो चोरी के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उसने पुलिस को बताया था कि 27 जुलाई की रात 11 बजे से तीन बजे के बीच अज्ञात चोरों ने उनके ऑटो की चोरी कर ली थी, जिसका नंबर जेएच-10आर-0461 है। बहुत खोजबीन के बाद जब पता नहीं चला, तो उसने 29 जुलाई को पाथरडीह थाने में अज्ञात के विरुद्ध ऑटो चारी की प्राथमिकी दर्ज कराई।
हालाँकि एजेंसी को यह बात अटपटी लगी कि ऑटो रिक्शा 17 जुलाई की रात को चोरी हुई और प्राथमिकी 29 जुलाई को दर्ज की गई थी। बाद में धनबाद के एसएसपी संजीव कुमार ने प्राथमिकी दर्ज करने में देरी के आरोप में पथरडीह थाना प्रभारी उमेश मांझी को निलंबित कर दिया। पुलिस की प्राथमिकी और लिखित शिकायत में काफी अंतर है। FIR में कहा गया है कि 17 जुलाई की रात को ऑटो चोरी हो गया था जबकि लिखित शिकायत में चोरी की तारीख 27 जुलाई बताई गई है।
उल्लेखनीय है कि यह चोरी का साधारण मामला नहीं था क्योंकि जाँच में खुलासा हुआ कि सुगनी देवी के पति रामदेव लोहारा ने लखन वर्मा और राहुल वर्मा के साथ मिलकर बीमा क्लेम करने के लिए ऑटो के खो जाने की साजिश रची थी।
दूसरी प्राथमिकी पूर्णेंदु विश्वकर्मा ने धनबाद से 13 अगस्त को आरोपित राहुल कुमार वर्मा के खिलाफ दर्ज कराई थी। धनबाद में संत अंथोनी चर्च के समीप हिल कॉलोनी निवासी पूर्णेंदू विश्वकर्मा ने 13 अगस्त को धनबाद थाने में मोबाइल चोरी की प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उन्होंने पुलिस को बताया था कि 28 जुलाई की रात वे घर का दरवाजा सटाकर सोए हुए थे, तभी चोरों ने उनके घर का दरवाजा खोलकर उनका तीन मोबाइल चोरी कर ली थी। मोबाइल महँगा नहीं हाेने के चलते और व्यस्तता की वजह से उन्होंने थाने में इसकी शिकायत नहीं की थी।
उन्होंने तीनों मोबाइल के सिम कार्ड को बंद करा दिया और नया सिम कार्ड ले लिया। मोबाइल गुम होने के एक सप्ताह के बाद उन्होंने थाने में मोबाइल लापता होने की शिकायत की थी। इसी बीच 10 अगस्त को धनबाद थाने की पुलिस ने बताया कि उनका मोबाइल राहुल कुमार वर्मा के पास से बरामद हुआ है। इसके बाद उन्होंने 13 अगस्त को धनबाद थाने में राहुल कुमार वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज कराई। दोनों मामलों में जो असामान्य है वह है अपराध और FIR दर्ज कराने का समय। आरोपित कथित रूप से न्यायाधीश को मारने में भी शामिल थे। अब तक ऑटो रिक्शा हत्या का मुख्य हथियार है।
जज की मौत ने पूरे देश की न्यायपालिका को तब स्तब्ध कर दिया जब हादसे का सीसीटीवी फुटेज वायरल हुआ। झारखंड पुलिस ने मृतक की विधवा कीर्ति सिन्हा की लिखित शिकायत के आधार पर जाँच शुरू की, सुप्रीम कोर्ट ने भी जजों की सुरक्षा के मुद्दों पर सुनवाई कर रहा है।