कबीरदास ने कभी एक प्रसिद्ध दोहा कहा था, जिसकी पंक्ति थी – ‘परमारथ के कारने, साधुन धरा शरीर’ अर्थात सज्जन लोगों का जन्म ही दूसरों की भलाई के लिए होता है। यह दोहा आज के समय में भी चरितार्थ किया है 25 साल के काँवड़ यात्री सचिन खंडेलवाल ने, जिनका सड़क दुर्घटना में देहांत हो गया है। 25 साल के छोटे से जीवन में महादेव शिव के परम भक्त द्वारा जो भी समय हुआ वो उन्होंने समाज के हित में किया। अब मृत्यु के बाद उनकी देह से दान किए गए अंगों से 5 गंभीर रूप से बीमार लोगों को नया जीवन मिला है।
‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ के मुताबिक, काँवड़ यात्री सचिन खंडेलवाल हरिद्वार से गंगाजल ले कर वापस अपने घर हरियाणा के महेंद्रगढ़ की तरफ लौट रहे थे। रास्ते में रुड़की के पास एक कार ने उन्हें टक्कर मार दी। इस हादसे में सचिन गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें इलाज के लिए ऋषिकेश स्थित AIIMS में भर्ती करवाया गया। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद सचिन को बचाया नहीं जा सका। सचिन का शोक संतृप्त परिवार एम्स में शव लेने आया तो डॉक्टरों ने वहाँ परिजनों से उनकी अंगदान के बारे में इच्छा पूछी।
Huge Respect for Kanwariya Sachin Khandelwal.
— BALA (@erbmjha) August 4, 2024
He died in car accident in Haridwar but gave new life to 5 by donating his kidney, liver, eyes & pancreas.
Leftist Ecosystem that abuses Kanwariyas every single day, won't ever tell you this! pic.twitter.com/HeZWzeJzN1
सचिन के घर वालों ने उन मरीजों की तरफ देखा जो जीवन और मौत से संघर्ष कर रहे थे। परिजन फ़ौरन तैयार हो गए। दान के तौर पर सचिन की किडनी, पैंक्रियाज, लीवर और आँखों को चयनित किया गया। सचिन की किडनी, अग्नाशय और लीवर को चंडीगढ़ के पोस्ट-ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च और दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज में भेजा गया। इसी के साथ मृतक काँवड़ यात्री द्वारा दान की गई आँखों से अब उत्तराखंड के 2 नेत्र रोगी शनिवार (3 अगस्त) से इस दुनिया को देख रहे हैं।
कुल मिला कर सचिन खंडेलवाल के अंगदान से 5 अलग-अलग लोगों को नई जिंदगी मिली है। एम्स ऋषिकेश की डॉ. मीनू सिंह ने कहा, “सचिन ने कई लोगों को जीवन का तोहफा दिया है। एम्स उन्हें हमेशा एक साइलेंट हीरो के तौर पर याद रखेगा।” दिवंगत काँवड़ यात्री के भाई पंकज खंडेलवाल ने कहा, “यही एक रास्ता था जिससे सचिन कुछ और साल जी सकता था। मेरा मानना है कि जो लोग अंगदान कर सकते हैं, उन्हें अपने प्रियजनों को मृत्यु के बाद भी जीवित रखना चाहिए।” अंगदान के बाद एम्स में सचिन के शव को पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार के लिए उनके परिजनों को सौंप दिया है।