कर्नाटक में पिछले दिन हिजाब का मुद्दा काफी चर्चा में रहा। इसके बाद एक प्राइवेट कन्नड़ चैनल ने आरोप लगाया कि बैंगलोर मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (BMTC) के हिंदू ड्राइवरों ने मुस्लिम कर्मचारियों का विरोध करने के लिए भगवा शॉल ओढ़ रखा था। चैनल ने हाल ही में बीएमटीसी ड्राइवरों के मोंटाज दिखाते हुए जोर देकर कहा था कि कुछ हिंदू कर्मचारियों ने मुस्लिम सहयोगियों द्वारा काम के दौरान टोपी पहनने का विरोध भगवा रंग की शॉल पहनकर दर्ज कराया था। हालाँकि, BMTC ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा कि विस्तृत जाँच के बाद पता चला कि न्यूज चैनल के दावे झूठे थे।
बीएमटीसी के एक अधिकारी ने TNM को बताया, “उन्होंने अलग-अलग क्लिपिंग का एक कोलाज दिखाया और फिर दावा किया कि हिंदू कर्मचारियों ने मुस्लिम कर्मचारियों के टोपी पहनने का विरोध करने के लिए भगवा शॉल ओढ़ रखी थी। यह बिल्कुल भी सच नहीं है। जिस ड्राइवर से उन्होंने बात की, उसके पास भगवा रंग का कपड़ा था और जब रिपोर्टर ने उससे इसके बारे में पूछा, तो ड्राइवर ने जवाब दिया कि वह इसका इस्तेमाल अपना चेहरा पोंछने के लिए कर रहा है। लेकिन उन्होंने आगे बढ़कर इसे मुस्लिम कर्मचारियों के विरोध के रूप में रिपोर्ट किया। यह खबर फर्जी है।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं मीडिया से अनुरोध करता हूँ कि इस खबर को तूल न दें। बीएमटीसी का पुलिस विभाग की तरह एक यूनिफॉर्म कोड है। कर्मचारियों को समान यूनिफॉर्म नियम का उसी तरह पालन करना होगा जैसे वे इन दिनों कर रहे हैं। उन्हें अनुशासित रहना होगा। इसमें कोई संशय नहीं है।”
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि भगवा का समर्थन करने वाले कर्मचारियों ने एक संगठन भी बनाया था। इसमें करीब 1,500 रजिस्टर्ड सदस्य थे। बीएमटीसी का एक यूनिफॉर्म है जिसे उसके ड्राइवरों और कंडक्टर और अन्य कर्मचारी पहनते हैं।
बीएमटीसी के अनुसार, उनमें से कुछ कर्मचारी यूनिफॉर्म के साथ जालीदार टोपी (Skull Cap) पहनते हैं। यह अब कई वर्षों से चलन में है। टीएनएम से बात करते हुए, केएसआरटीसी स्टाफ एंड वर्कर्स फेडरेशन के अध्यक्ष एचवी अनंत सुब्बाराव ने बताया कि उन्हें भी घटना के बारे में मीडिया रिपोर्टों से ही पता चला था। हालाँकि, जब उन्होंने इसके बारे में कर्मचारियों से पूछा तो उन्हें कोई शिकायत नहीं मिली। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना राज्य में कहीं नहीं हुई है।