कर्नाटक में बुर्के पर जारी विवाद (Karnataka Hijab Row) के बीच एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें सिंदूर लगाकर आई छात्रा को कॉलेज में प्रवेश देने से इनकार कर दिया गया। दूसरी ओर एक वीडियो सामने आया है जिसमें छात्राओं ने हिजाब का समर्थन करने वालों पर सवाल उठाया है। पूछा है कि जब टिकटॉक वीडियो वे बिना हिजाब के डालती हैं तो पढ़ाई पर्दे में क्यों करना चाहती हैं?
रिपोर्टों के अनुसार विजयपुरा में एक छात्रा को सिंदूर लगाकर आने के कारण प्रवेश देने से मना कर दिया गया। कॉलेज परिसर में प्रवेश से पहले उसे सिंदूर हटाने के लिए कहा गया। घटना शुक्रवार (18 फरवरी 2022) की है। कॉलेज प्रशासन को आशंका थी कि माथे पर सिंदूर, हिजाब और भगवा शॉल की तरह समस्या पैदा कर सकता है।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने विवाद पर अंतरिम आदेश आने तक शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक ड्रेस पर रोक लगा रखी है। लेकिन इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील हिंदू लड़कियों द्वारा सिंदूर लगाने, चूड़ियाँ पहनने, सिखों द्वारा पगड़ी पहनने और रुद्राक्ष पहनने की दलील देते हुए हिजाब को भी इजाजत देने की अपील कर चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अदालत ने अपने आदेश में माथे पर सिन्दूर लगाने से नहीं रोका है।
इधर इस पूरे विवाद से वे भी प्रभावित हो रहे हैं जिनका बुर्के से लेना-देना नहीं है। ऐसे छात्र-छात्रा अब खुलकर इस विवाद से अपनी पढ़ाई को हो रहे नुकसान के बारे में खुल कर बात कह रहे हैं। ऐसी ही एक छात्रा को कहते सुना गया, “मुस्लिम लड़कियों को अगर पढ़ाई से प्रेम है तो उन्हें हिजाब के बिना ही स्कूल आना चाहिए। अगर वो ऐसा नहीं कर रहीं तो वो सिर्फ झगड़ना चाहती हैं।”
“Why the world is not supporting these normal students?”
— Girish Alva 🇮🇳 (@girishalva) February 18, 2022
Listen to them:
• If education is important, Hjab girls will come. But they just want to fight.
• While on Instagram, they remove scarf, but in college they want.
• We are poor. Our education spoiled by these girls. pic.twitter.com/mBjbDrZQdz
एक अन्य छात्रा ने कहा, “जब इन मुस्लिम छात्राओं को इंस्टाग्राम या टिकटॉक पर बिना हिजाब के वीडियो डालना होता है तब इन्हे कोई दिक्कत नहीं होती। लेकिन इन्हे कॉलेज में ही ये करना है। इनके चलते हमारी पढ़ाई बर्बाद हो रही है।” एक अन्य छात्रा ने कहा, ‘हम गरीब परिवारों से हैं। हमारे पिता दिहाड़ी मजदूर हैं। हमें स्कूल भेजने के लिए वो बहुत मेहनत करते हैं। इन प्रदर्शनों से हमें बहुत दिक्क्तें पेश आ रही हैं।”
स्कूल प्रशासन के नियमों का उललंघन करने वाले कई मुस्लिम छात्र अब अपनी जिद में हाई कोर्ट के आदेशों की भी अनदेखी कर रहे हैं। हाई कोर्ट ने अगले आदेश तक सभी छात्रों को स्कूल द्वारा निर्धारित ड्रेसकोड का पालन करने की सलाह दी है। लेकिन मुस्लिम छात्रों ने साफ़ कह दिया है कि हिजाब उनकी पहली प्राथमिकता है और कॉलेज को उनकी माँग माननी ही होगी।
सामने आ रही तमाम रिपोर्टों में कोर्ट की सलाह का उललंघन देखा जा सकता है। कई लड़कियों को अभी भी कॉलेज में बुर्का पहनकर घुसने की कोशिश करते देखा जा सकता है। इन छात्रों को PFI और जमात-ए-इस्लामी द्वारा समर्थन मिलने का भी दावा किया गया है। इसके जवाब में हिन्दू छात्रों ने भी प्रदर्शन कर कहा था कि अगर मुस्लिम छात्राएँ बुर्का पहनकर आएँगी तो वो भी भगवा शॉल में स्कूल आएँगे।
नोट: भले ही इस विरोध-प्रदर्शन को ‘हिजाब’ के नाम पर किया जा रहा हो, लेकिन मुस्लिम छात्राओं को बुर्का में शैक्षणिक संस्थानों में घुसते हुए और प्रदर्शन करते हुए देखा जा सकता है। इससे साफ़ है कि ये सिर्फ गले और सिर को ढँकने वाले हिजाब नहीं, बल्कि पूरे शरीर में पहने जाने वाले बुर्का को लेकर है। हिजाब सिर ढँकने के लिए होता है, जबकि बुर्का सर से लेकर पाँव तक। कई इस्लामी मुल्कों में शरिया के हिसाब से बुर्का अनिवार्य है। कर्नाटक में चल रहे प्रदर्शन को मीडिया/एक्टिविस्ट्स भले इसे हिजाब से जोड़ें, लेकिन ये बुर्का के लिए हो रहा है।