हिन्दू धर्म में मंदिर और समाज, दोनों एक-दूसरे के पूरक रहे हैं और एक-दूसरे के मददगार साबित होते रहे हैं। जब मंदिर पर विपत्ति आई तो लोगों ने एकजुट होकर उसकी रक्षा की। जब लोगों पर विपत्ति आई तो मंदिर और मठ आगे आए। यह कहानी है कर्नाटक के बेलगावी जिला स्थित सुदूरवर्ती गाँव शेगुनासी की, जहाँ इस वर्ष भयंकर बाढ़ आई। लेकिन, उनके लिए मदद सरकार से नहीं बल्कि ऐसी जगह से पहुँची कि 10 साल पुराना इतिहास फिर से जिन्दा हो गया।
टाइम्स ऑफ इंडिया की ख़बर के अनुसार, शेनुगासी से 600 किलोमीटर दूर कर्नाटक के चिकबल्लापुर जिले में बिक्कलहल्ली नामक गाँव स्थित है। दोनों गाँवों के बीच एक अनोखा सम्बन्ध देखने को मिला। इतनी ज्यादा दूरी होने के कारण दोनों गाँवों का सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश भी अलग है। शेगुनासी के पास स्थित मुगलखोड़ गाँव के एक किसान ने एक दशक पहले बिक्कलहल्ली के एक मंदिर को एक जोड़ी बछड़े दान में दिए थे। उन्होंने इसकी एवज में कोई रुपया-पैसा नहीं लिया था।
आज उसी दान की वजह से बिक्कलहल्ली के लोगों ने बाढ़ पीड़ित शेगुनासी गाँव की मदद करने का फ़ैसला लिया है। जिस मंदिर को उक्त किसान ने बैल दान की थी, उस मंदिर के फंड से शेगुनासी गाँव के 200 परिवारों की मदद की जा रही है। गाँव के लोगों ने पहले किसान वेंकटेश कलप्पानावर का नाम नहीं सुना था लेकिन अब उनके ही चर्चे हैं। दान के बाद से ही मंदिर की किस्मत पलट गई और लोग बड़ी संख्या में दर्शन के लिए आने लगे और आसपास के लोगों के जीवन में भी खुशहाली आई।
बिक्कलहल्ली की जनता ने इन सबका श्रेय कृषक वेंकटेश से दान में मिले बछड़ों को दिया। जिस मंदिर में मुश्किल से 100 श्रद्धालु आते थे, आज वहाँ पूर्णिमा और अमावस्या के मौके पर 3,000 से भी अधिक लोग दर्शन हेतु आते हैं। आज जब उत्तरी कर्नाटक बाढ़ से पीड़ित है, बिक्कलहल्ली के लोगों ने शेगुनासी और मुगलखोड़ के लोगों के पास पहुँच कर उनकी ज़रूरतों को समझा और मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया।
बेलगावी: 11 साल पहले मंदिर को दान की थीं गायें, बाढ़ से बर्बाद दूसरे गांव को मिली मददhttps://t.co/4h4apJXlfR via @NavbharatTimes pic.twitter.com/Vv8wTBbKvd
— NBT Hindi News (@NavbharatTimes) September 8, 2019
योगमुनेश्वर मंदिर के प्रमुख मंजुनाथ एक सिविल इंजीनियर हैं। उन्होंने बताया कि मुगलखोड़ में बाढ़ से उतनी क्षति नहीं हुई थी, इसीलिए बिक्कलहल्ली के लोगों ने शेगुनासी गाँव को गोद लेने का फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि कृषक वेंकटेश ने जब बैल दान किए, तब उनकी अर्थित स्थित अच्छी नहीं थी। बावजूद इसके उन्होंने रुपए लेने से इनकार कर दिया। मंदिर अपने फण्ड से तब तक शेगुनासी गाँव की मदद करेगा, जब तक चीजें सामान्य नहीं हो जाती।
वेंकटेश फिलहाल बंगलौर में एक कॉन्ट्रैक्ट मजदूर के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने एक बार आए सूखे की वजह से खेती को अलविदा कह दिया है। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने बछड़ों को दान किया था, तब वे मात्र 6 महीने के थे। बिक्कलहल्ली गाँव के लोगों ने उनका काफ़ी ख्याल रखा है।