केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के दक्षिणी हिस्से यानी जम्मू क्षेत्र में पिछले कुछ समय से आतंकवादी हमलों में तेजी आई थी। इन आतंकवादी हमलों के पीछे जितने सीमा-पार के आतंकी और उनके आका जिम्मेदार थे, उतने ही सीमा के इस पार के लोग भी। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कठुआ में ऐसे 9 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है, जो ओवर ग्राउंड वर्कर्स के तौर पर आतंकी गुटों के साथ जुड़े थे और जम्मू-क्षेत्र में हमला करने वाले आतंकवादियों को खाने-पीने, रहने और रास्ता दिखाने का काम करते थे। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इस पूरे मॉड्यूल को ध्वस्त कर दिया है। इस मामले में करीब 50 लोगों से पूछताछ भी की जा रही है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कठुआ-बानी-किश्तवाड़ क्षेत्र में बीते कुछ समय में हुए आतंकवादी हमलों में आतंकियों की मदद करने वाले 9 लोगों को गिरफ्तार किया है। आतंकी मॉड्यूल के गिरफ्तार सदस्यों की पहचान मोहम्मद लतीफ उर्फ हाजी लतीफ, अख्तर अली, सद्दाम, नूरानी, मकबूल, कासिम दीन लियाकत और खादिम के रूप में हुई है, जो कठुआ जिले के बिलवाड़ा क्षेत्र के अंबे नाल, भादू, जुथाना, सोफेन और कट्टाल गाँवों के रहने वाले हैं।
इन सात आतंकवादियों के अलावा 2 को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। ये सभी लोग आतंकवादी गुटों के लिए ओवर ग्राउंड वर्कर के तौर पर काम करते थे। इन आतंकवादी OGW ने 8 जुलाई को मचेडी जंगल में सेना के गश्ती दल पर हुए हमले में मदद की थी, जिसमें 5 जवानों को वीरगति मिली थी, तो 5 जवान घायल हो गए थे।
इस आतंकी मॉड्यूल का मुखिया मोहम्मद लतीफ उर्फ हाजी लतीफ है। जो पाकिस्तानी आतंकवादियों को भारत में घुसने के बाद उन्हें जानकारी और मदद पहुँचा रहा था। उसने आतंकवादियों को उधमपुर, कठुआ और डोडा के पहाड़ों में आतंकवादियों को मदद दी थी और उन्हें भागने में भी सहायता की थी। पुलिस लगभग 50 ऐसे लोगों से भी पूछताछ कर रही है, जो किसी न किसी तरह से आतंकवादियों के संपर्क में आए।
इसमें से बहुत सारे लोग चरवाहों के लिए बनाए गए अस्थाई ठिकानों में रह रहे थे। पुलिस ने बताया कि ये टेरर मॉड्यूल उधमपुर-कठुआ-डोडा जिलों के ट्राई-जंक्शन में स्थित कैलाश पहाड़ियों तक आतंकवाजियों को पहुँचने में मदद करता था।
जिन 50 लोगों से पूछताछ चल रही है, उसमें कुछ ने खुद पुलिस से संपर्क कर आतंकवादियों द्वारा संपर्क किए जाने की जानकारी दी। कईयों ने ये बात छिपाई। ऐसे में उनके खिलाफ अन्य कार्रवाई भी की जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक, आतंकवादियों के बारे में पता बातों को न बताना भी आतंकवादियों की मदद करने की तरह है। ऐसे लोगों को चिन्हित किया जाएगा और उन्हें मिलने वाली सरकारी मदद भी बंद की जाएगी।
कौन होते हैं आतंकवादी गुटों से जुड़े ओवर ग्राउंड वर्कर?
आतंकी गुटों से जुड़े ओवर ग्राउंड वर्कर का मतलब ये है कि वो सीधे आतंकवादी हमलों में शामिल नहीं होते, बल्कि वो मदद पहुँचाते हैं और आम लोगों के बीच, आम इंसान बनकर ही छिपे रहते हैं। ऐसे लोग स्थानीय होते हैं और आम लोगों की तरह कामकाजी, व्यवसाई, नौकरीपेशा लोग होते हैं, ऐसे में उन पर कोई शक भी नहीं करता। वो आतंकवादियों को हर बात की जानकारी देते हैं और जरूरत पड़ने पर सामान भी पहुँचाते हैं।
ऐसे लोग पैसों की लालच में, विचारधारा की समानत के चलते या फिर डर के चलते ये काम करते हैं। कश्मीर में आतंकवादियों तक सेना की हर मूवमेंट पहुँचाने वाले बहुत सारे ओवर ग्राउंड वर्कर्स को पकड़ा गया है, जिसमें बड़ी संख्या सरकारी कर्मचारियों की भी रही है। ये आतंकवादियों को खुफिया सूचना, मतलब आर्मी की मूवमेंट तक की जानकारी देते थे।
एक आतंकवादी जो सीधे हमले में शामिल होता हैं, वो मारे जाता है या फिर भी भाग निकलता है, लेकिन एक ओवर ग्राउंड वर्कर कहीं ज्यादा खतरनाक होता है, क्योंकि वो इन आतंकवादियों के आकाओं की इन्फॉर्मेशन के जरिए मदद करता है, जिसके दम पर किसी भी आतंकवादी घटना को अंजाम दिया जाता है। ऐसे में स्थानीय पुलिस, सेना अपने मुखबिर तंत्र की मदद से लगातार ओवर ग्राउंड वर्कर्स की गिरफ्तारी कर रही हैं, ताकि स्थानीय स्तर पर मिलने वाली मदद बंद हो जाए और किसी भी बाहरी आतंकवादी के इलाके में घुसते ही उसे ढेर कर दिया जाए।
कठुआ जिले के रियासी में हिंदू दर्शनार्थियों के बस पर हुए हमले के मामले में आतंकवादियों को स्थानीय मदद मिली थी, वो भी मदद 5000 रुपयों में। यही वजह रही कि वो आतंकवादी इतने बड़े हमले के बाद भी बच कर निकलने में कामयाब रहे थे। जिस व्यक्ति ने महज 5 हजार रुपए में अपना ईमान बेचा था, उसका नाम हाकम दीन है।