राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कई अस्पतालों में कोरोना वायरस संक्रमित बच्चों में कावासाकी (Kawasaki) नाम की बीमारी के लक्षण पाए गए हैं। इन लक्षणों में शरीर पर चकत्ते पड़ना और सूजन शामिल है। कावासकी एक किस्म का सिंड्रोम है, जिसके होने की वजह अब तक नहीं पता चली है। इसमें तेज बुखार आता है। यह बीमारी मुख्य रूप से 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है।
यह रोग वास्कुलिटिस का एक रूप है, जिसमें शरीर की रक्त वाहिकाओ में सूजन आ जाती है। जिसके चलते बुखार आमतौर पर पाँच दिनों से अधिक समय तक रहता है और सामान्य दवाओं से इस बीमारी पर कोई असर नहीं होता है।
पिछले कुछ महीनों में दिल्ली के कई अस्पतालों ने बताया है कि कोविड-19 लक्षणों वाले बच्चों में कावासाकी जैसी दुर्लभ बीमारी से जुड़े लक्षण सामने आए हैं। देश में बच्चों के लिए बने अस्पतालों में एक दिल्ली स्थित कलावती सरन ने बुखार, चकत्ते, श्वसन और जठरांत्र संबंधी लक्षणों के साथ बच्चों के पाँच-छह मामलों की सूचना दी है। यह वे लक्षण हैं जो कावासाकी रोग में पाए जाते हैं। यह सभी बच्चे कोविड पॉजिटिव पाए गए थे। इनमें से एक बच्चे की मौत भी हो गई है।
कलावती सरन अस्पताल के बाल रोग विभाग के प्रमुख डॉ वीरेंद्र कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “ये सबसे आम लक्षण हैं जो दुनिया भर में प्रचलित हैं। अन्य वायरस भी इस सिंड्रोम को की वजह बन सकते हैं लेकिन हम महामारी के बीच में हैं। यह संभावना है कि बीमारी कोविड -19 से संबंधित हो।”
डॉ वीरेंद्र कुमार ने आगे कहा, “हम ये बिल्कुल नहीं कह रहे हैं कि वे कावासाकी से संक्रमित थे, लेकिन उनमें कावासाकी जैसे लक्षण थे। बच्चों को अनएक्सप्लेन्ड टैचीकार्डिया था और उनमें से कुछ सदमे की स्थिति में थे।”
इस बारे में बीएलके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की पीडिएट्रिक्स क्रिटिकल केयर की डॉक्टर रचना शर्मा ने बताया कि ज्यादातर मामले में कोविड का असर बच्चों में नहीं होता है। अगर किसी में इंफेक्शन होता भी है, तो उसमें लक्षण नहीं आते हैं। लेकिन अब देश में कई ऐसे मामले देखे जा रहे हैं, जो कावासाकी बीमारी की तरह व्यवहार कर रहे हैं।
रचना शर्मा ने आगे बताया, “यह मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम भी बहुत सारे पाचन मुद्दों का कारण बनता है, जैसे कि कुछ ऐसे बच्चे होते हैं जिन्हें पेट में दर्द, उल्टी और लूज़ मोशन होते हैं। यदि आप लक्षणों को जल्दी नहीं पहचानते हैं, तो उनके घातक परिणाम हो सकते हैं। कुछ बच्चों की किडनी फेल भी हो सकती है।”
बीएलके अस्पताल ने ऐसे दो मामले देखे गए हैं, जबकि सर गंगा राम अस्पताल ने ऐसे छह मामले सामने आए हैं। डॉ शर्मा ने यह भी कहा कि “कोविड मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम” में आम तौर पर 50-60% मामलों में दिल प्रभावित होता है और बच्चा सदमे में चला जाता है।
कावासाकी के लक्षणों की बात करें तो इसमें बच्चे को तेज बुखार चढ़ता है। आँखें लाल हो जाती हैं और गर्दन के पास गठान होने लगती है। इतना ही नहीं, होठ और जीभ भी काफी लाल हो जाती है। शरीर में जगह-जगह रेशेज होने लगते हैं। शरीर पर पड़ने वाले चकत्तों में सूजन भी आने लगती है।
यह बीमारी शरीर की रक्तवहिनियों से जुड़ी होती है। इसमें रक्तवाहिनी की दीवारों में सूजन होती है और यह सूजन हृदय तक रक्त पहुँचाने वाली धमनियों को कमजोर कर देती है। वहीं इसकी गंभीर होने पर मरीज में हार्ट फेल्यर या हार्ट अटैक होने के चांस बढ़ जाते हैं। कहा जा रहा है कि कावासाकी पहले हुए किसी वायरस के इंफेक्शन के रिएक्शन से होती है।