खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार खादी की बिक्री ने चालू वित्त-वर्ष (2018-19) में ₹3200 करोड़ का आँकड़ा छू लिया है, और यह सर्वकालिक उच्चतम स्तर है। यह छलांग कितनी बड़ी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2013-14 में यही वार्षिक बिक्री केवल ₹1081 करोड़ की थी।
सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग मंत्रालय (MSME) के मुताबिक 2017-18 में ₹2510 करोड़ की बिक्री हुई थी।
मोदी सरकार के दौरान लगभग 5x से दौड़ा चरखा
मोदी सरकार के पहले चार वर्षों के दौरान खादी बिक्री में बढ़त की दर 30% के करीब रही, जो पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के दस सालों के 6.7 फीसदी से लगभग 5 गुना अधिक है। इसके पीछे मुख्य कारक सरकार और खुद मोदी द्वारा खादी का आक्रामक प्रचार-प्रसार कारण माना जा सकता है, जिसके तहत मोदी ने न खुद कई महत्वपूर्ण मौकों पर खादी के स्टाइलिश परिधान पहने बल्कि अपने समर्थकों से भी कई-कई बार खादी पहनने और खरीदने का आग्रह किया। यहाँ तक कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के 2014 में भारत आगमन पर मोदी ने उन्हें भी खादी की जैकेट पहना दी।
केवीआईसी चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष 201-18 में न केवल सरकारी कम्पनियों ने खादी की बम्पर खरीददारी की बल्कि केवीआईसी ने कई निजी कम्पनियों जैसे रेमण्ड, अरविन्द मिल्स, आदित्य बिरला फैशन आदि के साथ भी आपूर्ति अनुबंध किया। अकेले रेमण्ड ने पिछले वित्त वर्ष में 7.26 लाख मीटर सिलेटी खादी खरीदी। अरविन्द मिल्स ने खादी डेनिम के दस लाख वर्ग मीटर की खरीददारी की। यह कम्पनियाँ खादी को कच्चे मॉल के रूप में खरीद के इनसे बने परिधान अपने ब्राण्ड से बेचतीं हैं।
अगर सरकारी कम्पनियों द्वारा की जा रही खरीद की बात करें तो वित्त वर्ष 2017-18 में ₹46 करोड़ के परिधानों का आर्डर ONGC से आया तो ₹43 करोड़ के आर्डर के साथ इंडियन ऑइल कारपोरेशन (IOC) भी ज्यादा पीछे नहीं रहा।
इसके अतिरिक्त, सक्सेना के अनुसार, आयोग भारतीय डाक विभाग से भी अनुबंध को तेजी से अंतिम चरण में ले जाना चाहता है। इस अनुबंध के पश्चात 83,000 डाकियों का पहनावा भी खादी हो जाएगी।
खादी ग्रामोद्योग भवन में भी भारी बिक्री
दिल्ली के दिल कनाट प्लेस में स्थित खादी ग्रामोद्योग भवन ने भी जम कर खादी की बिक्री की है। केवल अक्टूबर-नवम्बर में ही 20,000 वर्ग फिट में फैला यह भवन 3 बार ₹1 करोड़ से ज़्यादा की बिक्री एक ही दिन में कर ले गया। इसके लिए डिस्काउंट स्कीम का सहारा लिया गया, जिसके नतीजे काफी उत्साहजनक रहे। 2017-18 में खाली इसी स्टोर से ₹103 करोड़ से अधिक की बिक्री हो चुकी है।