कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की जूनियर डॉक्टर के साथ हुई दिल दहलाने वाली घटना को लेकर पूरे पश्चिम बंगाल में आक्रोश है। इस मामले में सीबीआई द्वारा पूर्व आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष और पुलिस अधिकारी अभिजीत मंडल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने में देरी से पीड़ित परिवार और जूनियर डॉक्टर बेहद निराश हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोर्ट ने शुक्रवार (13 दिसंबर 2024) को दोनों आरोपितों को जमानत दे दी, जिसके बाद पीड़ित डॉक्टर की माँ ने कहा, “हमने सोचा था कि सीबीआई तेजी से जाँच करेगी और दोषियों को सजा दिलाएगी। लेकिन अब जब आरोपितों को जमानत मिल गई है, ऐसा लग रहा है कि हमारे ज्यूडिशियरी सिस्टम ने हमारा साथ छोड़ दिया।”
इंडियन एक्सप्रेस ने इस मामले से जुड़े पीड़ितों से बात की है। पीड़िता के पिता ने भावुक होकर कहा, “हर दिन हम यही सोचते हैं कि कहीं यह भी एक ऐसा मामला न बन जाए, जिसमें ताकतवर लोग बिना सजा के छूट जाएँ। हम टूट चुके हैं। हमने सीबीआई पर भरोसा किया था कि वे हमें न्याय दिलाएँगे, लेकिन अब लग रहा है कि हमें शायद कभी न्याय नहीं मिलेगा।” बता दें कि उस दुखद घटना के बाद जूनियर डॉक्टरों ने राज्य के मेडिकल कॉलेजों में सुरक्षित माहौल की माँग करते हुए कई सप्ताह तक प्रदर्शन किया था। आरोपितों को जमानत मिलने के बाद, उन्होंने सीबीआई पर सवाल खड़े किए और कहा कि इस मामले में लापरवाही हुई है।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्रेस कॉन्फ्रेंस में जूनियर डॉक्टर अनिकेत महतो ने कहा, “सीबीआई को अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उनकी विफलता ने आम जनता और डॉक्टरों को बहुत आहत किया है।” एक अन्य जूनियर डॉक्टर असफाकुल्लाह नय्या ने कहा, “इतने आंदोलन के बाद यह आदेश निराशाजनक है। यह सिर्फ डॉक्टरों के लिए ही नहीं, बल्कि उन सभी लोगों के लिए है, जो आरजी कर की घटना के खिलाफ सड़कों पर उतरे थे।”
मेडिकल सर्विस सेंटर के डॉक्टर नील रतन नय्या ने इस मामले को लेकर एक बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “हम मानते हैं कि सीबीआई ने राज्य सरकार के साथ मिलकर साजिश रची है। उन्होंने चार्जशीट दाखिल नहीं की ताकि आरजी कर पीड़िता के असली गुनहगार बिना सजा के बच सकें।” उन्होंने यह भी कहा, “अगर इस तरह की साजिशें अब नहीं रोकी गईं, तो भविष्य में और भी पीड़ित न्याय माँगने के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे। हमें न्याय छीनना होगा और इसके लिए हमें एकजुट रहना होगा।”
जूनियर डॉक्टरों के संगठन ने कहा कि वे इस मामले में अगली रणनीति तय करने के लिए एक जनरल बॉडी मीटिंग आयोजित करेंगे। उन्होंने बयान जारी कर कहा, “हम धर्मतला में प्रदर्शन करेंगे। स्वास्थ्य मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और सीबीआई निदेशक के पुतले जलाकर अपनी नाराज़गी जताएँगे।” जूनियर डॉक्टरों ने अपनी ‘तात्कालिक माँगों’ की सूची भी जारी की। उनका कहना है कि “सीबीआई को तुरंत एक पूरक चार्जशीट दाखिल करनी चाहिए ताकि न्याय में और देरी न हो।” मेडिकल सर्विस यूनिटी ने करुणामयी से सॉल्ट लेक स्थित सीबीआई कार्यालय तक मार्च निकालने की घोषणा की है। डॉक्टर नील रतन ने कहा, “अगर हमें न्याय चाहिए, तो हमें अपनी लड़ाई तेज करनी होगी।”
यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि समाज में गहराते असुरक्षा के माहौल और न्याय प्रणाली की धीमी प्रक्रिया को लेकर लोगों के गुस्से को भी उजागर करती है। डॉक्टरों का कहना है कि यह मामला न केवल उनके समुदाय बल्कि पूरे समाज के लिए चिंताजनक है। एक जूनियर डॉक्टर ने कहा, “हम चाहते हैं कि दोषियों को सजा मिले ताकि भविष्य में कोई इस तरह की घटना को अंजाम देने की हिम्मत न करे।”
इस मामले में सीबीआई द्वारा चार्जशीट दाखिल करने में देरी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि सीबीआई की यह लापरवाही पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा करती है। उन्होंने कहा, “हमने सोचा था कि सीबीआई निष्पक्ष और तेज़ जाँच करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।” ऐसे में जूनियर डॉक्टरों और पीड़ित परिवार ने यह साफ कर दिया है कि वे इस मामले को यूँ ही नहीं छोड़ेंगे। उनका कहना है कि वे न्याय के लिए हर संभव कदम उठाएँगे और जब तक दोषियों को सजा नहीं मिल जाती, तब तक लड़ाई जारी रहेगी।