चीन से गतिरोध के बीच भारत को वैश्विक स्तर पर समर्थन मिलने के साथ ही पड़ोसी देशों के नागरिकों में भी भारत सरकार और उसकी सेना के प्रति जो सम्मान है, उसका एक नजारा हाल ही में देखने को मिला। तिब्बत के लोगों ने मनाली, हिमाचल प्रदेश से गुजर रहे हुए भारतीय सेना के काफिले का गर्मजोशी से स्वागत किया।
#Tibetan community in #Manali cheering #Indian soldiers going towards border. Blessing white scarves, auspicious and prayer fumes of fragrant herbs and Tibetan flags greeted the #Soldiers . #gdbakshi #ChinaIndiaFaceoff pic.twitter.com/DqsIo89hEf
— Niraj Pandey (ABP News) (@niraj_pande) July 4, 2020
लोगों ने रास्ते के दोनों तरफ खड़े होकर सफेद स्कार्फ लहराकर भारतीय सैनिकों को शुभकामनाएँ दीं। इस दौरान तिब्बती समुदाय के लोगों ने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज और तिब्बती ध्वज के साथ उनका अभिवादन किया। लोगों ने भारतीय सेना के स्वागत में इत्र और हवन के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले सामग्री का इस्तेमाल कर धुआँ किया और उनके लिए प्रार्थना की। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है।
#Tibetan Army Truck Convoy moved towards Ladakh border 4th July 2020.Tibetan Army Truck convoy moving through Kullu-manali (H.P) to #LadakhBorder.Local Tibetans holding #Indian National Flag and Tibetan National Flag lined the road to greet them as they passed. pic.twitter.com/uKazw0eRgK
— MUKUND JHA (@I_Mukundjha) July 5, 2020
बता दें कि तिब्बत भी चीन के ‘विस्तारवादी नीति’ से काफी परेशान है। पिछले दिनों केंद्रीय तिब्बत प्रशासन (CTA) तिब्बत में ‘सांस्कृतिक नरसंहार’ का आरोप लगाते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) से अनुरोध किया था कि वह चीन द्वारा तिब्बत और उसके तहत आने वाले अन्य क्षेत्रों में किए जा रहे ‘मानवाधिकार उल्लंघनों’ पर एक विशेष सत्र बुलाए।
Tibetan refugees in Manali, cheering up and increasing the josh of the Indian Army convoy, heading towards the LAC. pic.twitter.com/ev1qxcYVnz
— Anurag (@ianuragsaxena) July 5, 2020
उल्लेखनीय है कि भारत और चीनी सेना के बीच बीते दिनों हुए हिंसक मुठभेड़ के बाद तिब्बत की निर्वासित सरकार के पीएम लोबसंग सांगेय ने कहा था कि गलवान वैली पर चीन का अधिकार नहीं है। अगर चीनी सरकार ऐसा दावा कर रही है तो ये गलत है।
उन्होंने कहा था कि गलवान नाम ही लद्दाख का दिया हुआ है, फिर ऐसे दावों का कोई मतलब नहीं रह जाता है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि अहिंसा भारत की परंपरा है और यहाँ इसका पालन होता है। वहीं, चीन अहिंसा की बातें तो करता है, लेकिन पालन नहीं करता। वो हिंसा का पालन करता है। इसका सबूत तिब्बत है।