Monday, November 18, 2024
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मनाली से गुजर रहे भारतीय सैनिकों का तिब्बती लोगों ने किया गर्मजोशी से स्वागत, देखें Video

तिब्बत भी चीन के 'विस्तारवादी नीति' से काफी परेशान है। पिछले दिनों केंद्रीय तिब्बत प्रशासन ने तिब्बत में ‘सांस्कृतिक नरसंहार’ का आरोप लगाते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से विशेष सत्र बुलाने की माँग की थी।

चीन से गतिरोध के बीच भारत को वैश्विक स्तर पर समर्थन मिलने के साथ ही पड़ोसी देशों के नागरिकों में भी भारत सरकार और उसकी सेना के प्रति जो सम्मान है, उसका एक नजारा हाल ही में देखने को मिला। तिब्बत के लोगों ने मनाली, हिमाचल प्रदेश से गुजर रहे हुए भारतीय सेना के काफिले का गर्मजोशी से स्वागत किया।

लोगों ने रास्ते के दोनों तरफ खड़े होकर सफेद स्कार्फ लहराकर भारतीय सैनिकों को शुभकामनाएँ दीं। इस दौरान तिब्बती समुदाय के लोगों ने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज और तिब्बती ध्वज के साथ उनका अभिवादन किया। लोगों ने भारतीय सेना के स्वागत में इत्र और हवन के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले सामग्री का इस्तेमाल कर धुआँ किया और उनके लिए प्रार्थना की। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है।

बता दें कि तिब्बत भी चीन के ‘विस्तारवादी नीति’ से काफी परेशान है। पिछले दिनों केंद्रीय तिब्बत प्रशासन (CTA) तिब्बत में ‘सांस्कृतिक नरसंहार’ का आरोप लगाते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) से अनुरोध किया था कि वह चीन द्वारा तिब्बत और उसके तहत आने वाले अन्य क्षेत्रों में किए जा रहे ‘मानवाधिकार उल्लंघनों’ पर एक विशेष सत्र बुलाए।

उल्लेखनीय है कि भारत और चीनी सेना के बीच बीते दिनों हुए हिंसक मुठभेड़ के बाद तिब्बत की निर्वासित सरकार के पीएम लोबसंग सांगेय ने कहा था कि गलवान वैली पर चीन का अधिकार नहीं है। अगर चीनी सरकार ऐसा दावा कर रही है तो ये गलत है।

उन्होंने कहा था कि गलवान नाम ही लद्दाख का दिया हुआ है, फिर ऐसे दावों का कोई मतलब नहीं रह जाता है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि अहिंसा भारत की परंपरा है और यहाँ इसका पालन होता है। वहीं, चीन अहिंसा की बातें तो करता है, लेकिन पालन नहीं करता। वो हिंसा का पालन करता है। इसका सबूत तिब्बत है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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