मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने लावण्या आत्महत्या मामले की जाँच केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी है। जस्टिस जीएस स्वामीनाथन की पीठ ने लावण्या (Lavanya) के पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लावण्या के पिता ने यह कहते हुए याचिका दायर की थी कि उनका तंजावुर पुलिस की जाँच पर से विश्वास उठ गया है और उन्होंने सीबी-सीआईडी या इसी तरह की जाँच एजेंसी से जाँच की माँग की थी।
इसी महीने तंजावुर में सेक्रेड हार्ट हायर सेकेंडरी स्कूल, तिरुकट्टुपाली में 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली एम लावण्या नाम की एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी। 19 जनवरी को उसकी अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी। खुदकुशी करने से पहले लावण्या का एक वीडियो भी सामने आया था। यह वीडियो उस समय का बताया गया था, जब उन्हें मृत्यु से दो दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 44 सेकेंड के इस वीडियो में लावण्या को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि दो साल पहले छात्रावास में रकील मैरी नाम की एक नन ने उसे और उसके माता-पिता को ईसाई धर्म अपनाने के लिए कहा था, जिसके लिए उन्होंने मना कर दिया था।
मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने इससे पहले सुनवाई करते हुए मुथुवेल नाम के एक शख्स को वीडियो की जाँच के लिए अपना फोन पुलिस को सौंपने के लिए कहा था। साथ ही अदालत ने पुलिस से कहा था कि वह वीडियो को लेकर मुथुवेल को परेशान न करें। दरअसल, मुथुवेल ने लड़की का वीडियो शूट किया था। इसके अलावा अदालत ने लड़की के माता-पिता को तंजावुर न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने और नए सिरे से अपना पूरा बयान दर्ज करने का आदेश दिया था, जिसे बाद में एक सीलबंद लिफाफे में अदालत में पेश किया गया था।
मालूम हो कि बीते दिनों मीडिया रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया था कि धर्मान्तरण वाला वीडियो विश्व हिंदू परिषद (VHP) के अरियालुर जिला सचिव मुथुवेल ने रिकॉर्ड किया था। मुथुवेल के फोन में इस तरह के चार वीडियो थे, जिसे उन्होंने 17 जनवरी 2022 को रिकॉर्ड किया था। TNM के मुताबिक, पुलिस का मानना है कि इनमें से एक वीडियो को डिलीट कर दिया गया था, जिसे बाद में री-स्टोर किया गया। इसके साथ ही TNM ने अपनी रिपोर्ट में कहा था, “हालाँकि, जाँच एजेंसियों ने उनके (मुथुवेल) फोन से वीडियो को फिर से हासिल कर लिया है। ये वीडियो उन्हें किसी और ने फॉरवर्ड किया था। अब पुलिस इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या मुथुवेल ने ये वीडियो डिलीट करने से पहले किसी को भेजा था और फिर उनके फोन में फॉरवर्ड होकर आ गया था।”
भाजपा ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है, क्योंकि उन्होंने माँग की थी कि लावण्या और उनके माता-पिता पर ईसाई धर्म अपनाने का दबाव बनाने वालों की जाँच होनी चाहिए। इसके लिए भाजपा ने कुछ दिनों पहले एक महिला समिति का गठन भी किया था।
बता दें कि लावण्या पिछले पाँच वर्षों से सेंट माइकल गर्ल्स हॉस्टल में रह रही थीं। यह हॉस्टल उसके स्कूल के पास ही है। सरकारी सहायता प्राप्त ईसाई मिशनरी स्कूल उस पर ईसाई धर्म अपनाने का दबाव बना रहा था। हालाँकि, लावण्या अपना धर्म नहीं छोड़ने पर अड़ी थी और उसने धर्म परिवर्तन करने से इनकार कर दिया था। लावण्या के विरोध से नाराज स्कूल प्रशासन ने पोंगल समारोह के लिए उनकी छुट्टी का आवेदन रद्द कर दिया था। लावण्या छुट्टियों में अपने घर जाना चाहती थी, लेकिन उसे स्कूल के शौचालयों की सफाई, खाना पकाने और बर्तन धोने जैसे काम करने के लिए मजबूर किया गया। कथित तौर पर प्रताड़ना से परेशान लावण्या ने अपनी जीवन लीला समाप्त करने के लिए स्कूल के बगीचे में इस्तेमाल किए गए कीटनाशकों का सेवन कर लिया।