सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता शशांक शेखर झा ने उन हिन्दुओं को कानूनी मदद मुहैया कराने का आश्वासन दिया है, जिन्हें दिल्ली में दीवाली पर पटाखे चलाने के कारण गिरफ्तार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अगर दिल्ली पुलिस आपको प्रताड़ित करती है, तो मुझसे संपर्क करें। उन्होंने कहा कि किसी भी हिन्दू को प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि उन्हें नहीं पता होता है कि पटाखों के अंदर क्या-क्या हैं और किन चीजों से उन्हें बनाया गया है।
उन्होंने बताया कि वो ऐसे पीड़ितों को ‘अग्निवीर’ के संस्थापक संजीव नेवर, ‘स्वराज्य’ की पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा और ‘स्क्राइब ट्रिकी’ के लीगल एडिटर प्रत्युष के साथ मिल कर कानूनी सहायता उपलब्ध कराएँगे। उन्होंने आउटर दिल्ली के डिप्टी पुलिस कमिश्नर (DCP) परविंदर के उस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए ये बाते कही, जिसमें उन्होंने कहा था कि भीड़भाड़ वाले इलाकों में पुलिस गश्त कर के उनके खिलाफ केस दर्ज करेगी, जो प्रतिबंध ले बावजूद पटाखे बेचेंगे या चलाएँगे।
If Police harass you for bursting firecrackers in Delhi even after SC order: Contact me!
— Shashank Shekhar Jha (@shashank_ssj) November 2, 2021
No Hindus should be harassed since they wouldn’t be knowing of the ingredients of crackers.
Will provide legal support to everyone for free with @SanjeevSanskrit, @swati_gs and @iPratyush_ https://t.co/aA7bXnHHAv
ऑपइंडिया ने इस सम्बन्ध में अधिवक्ता शशांक शेखर झा से संपर्क किया और पूछा कि पीड़ित हिन्दू आपसे संपर्क कैसे करेंगे? उन्होंने जवाब दिया कि ट्विटर के जरिए उनसे संपर्क किया जा सकता है। साथ ही वो इसके लिए एक फोन नंबर उपलब्ध कराने के प्रयास में भी लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि जिनके साथ भी इस तरह की कोई घटना होती है, उन्हें वीडियो बना लेना चाहिए। उन्होंने ये भी बताया कि वो पीड़ितों की किस तरह से और किस प्रकार की मदद करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता शशांक शेखर झा ने बताया, “पीड़ित की कानूनी प्रक्रिया का सारा खर्च हम उठाएँगे। उसे मुआवजा दिलाने की कोशिश करेंगे। यदि पीड़ित बड़ी तादाद में आते हैं तो सारे मामलों को मिला कर एक साथ हम दिल्ली उच्च-न्यायालय तक ले जाएँगे। इस पूरी प्रक्रिया में पीड़ित को किसी तरह का आर्थिक भार नहीं उठाना पड़ेगा।” उन्होंने कहा कि दीवाली पर पटाखे छोड़ना ‘धार्मिक’ है और 2018 में मोदी सरकार अदालत के समक्ष ‘ग्रीन क्रैकर्स’ का कॉन्सेप्ट लेकर आई थी।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें पश्चिम बंगाल में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध की बात कही गई थी। दीवाली से पहले ये बड़ा फैसला हुआ। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि वो इस बात को लेकर सुनिश्चित है कि कलकत्ता उच्च-न्यायालय को इतना बड़ा आदेश सुनाने से पहले सभी पक्षों को बुला कर उनकी बात सुननी चाहिए थी। सुप्रीम कोर्ट ने ‘ग्रीन क्रैकर्स’ की अनुमति दे रखी है, ऐसे में उसका कहना था कि कलकत्ता हाईकोर्ट को पहले प्रशासन को बुला कर इसे सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्था है या नहीं – ये पूछना चाहिए था।