Saturday, November 2, 2024
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अब्बू के साथ दंगा करने वाले नाबालिग को ‘सो रहा बच्चा’ साबित करने में जुटा मीडिया गिरोह, भेजी गई है ₹2.9 लाख की देनदारी की नोटिस: बोले हिन्दू – हमारी संपत्ति अब भी भगवान भरोसे

अपना नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर ट्रिब्यूनल मेंबर ने हमें आगे बताया कि कानून आपराधिक मामलों में नाबालिग को छूट देता है, लेकिन हुए नुकसान की भरपाई भी जरूरी है।

मध्य प्रदेश का खरगोन 10 अप्रैल, 2022 को दंगों की आग तब झुलस गया था, जब रामनवमी के दिन श्रद्धालुओं पर इस्लामी कट्टरपंथियों ने हमला कर दिया था। बड़ी चालाकी से इन दंगों का ठीकरा नूपुर शर्मा के बयान पर फोड़ दिया गया था। हिंसा में न सिर्फ हिन्दुओं के घरों और दुकानों को निशाना बनाया गया था, बल्कि पुलिस पर भी हमला हुआ था। दंगाइयों ने जिले के एसपी को गोली मार दी थी। हिंसा के बाद हुए नुकसान का आकलन करने के लिए सरकार ने रिटयर्ड जज की अध्यक्षता में एक ट्रिब्यूनल का गठन किया था।

इस ट्रिब्यूनल का गठन शासन द्वारा बनाए गए ‘प्रिवेंशन एन्ड रिकवरी ऑफ़ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट’ के तहत हुआ था। ट्रिब्यूनल में रिटायर्ड IAS सहित कई अन्य पूर्व सीनियर अधिकारी शामिल हैं।

इस ट्रिब्यूनल ने जाँच रिपोर्ट के आधार पर कई आरोपितों को हर्जाने और जुर्माने की नोटिसें भेजी हैं। उन्हीं नोटिसों में एक नोटिस को मीडिया के एक खास वर्ग द्वारा विवाद का मुद्दा बनाने की कोशिश की गई है। यह नोटिस एक 12 साल के नाबालिग को भेजी गई है। नाबालिग किशोर मुस्लिम समुदाय का है, जिसके अब्बा का नाम कालू खान है। ट्रिब्यूनल ने उस पर 2.9 लाख रुपए की देनदारी तय की है। ट्रिब्यूनल का मानना है कि आरोपित 12 वर्षीय किशोर हिंसा में सक्रिय रूप से शामिल था और उसने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाया।

कालू खान को भी 4.8 लाख रुपए देने के लिए कहा गया है, क्योंकि ट्रिब्यूनल का मानना है कि हिंसा में अब्बा और बेटे दोनों शामिल थे।

12 साल की उम्र बनी सुर्खियाँ

नोटिस जारी होने के थोड़े ही समय बाद 12 साल की उम्र कई मीडिया समूहों की सुर्खियाँ बन गईं। कई खबरों में हिंसा के आरोपित को ‘बच्चा’ शब्द से सम्बोधित किया गया।

खरगोन की घटना के बाद नोटिस पर मीडिया कवरेज

‘द वायर’ जैसे समूहों दंगाइयों को बचाने के लिए ने फैलाया प्रोपेगंडा

ट्रिब्यूनल के साथ खरगोन प्रशासन भी अपनी तमाम स्तरीय जाँचों के बाद हिंसा की भरपाई की नोटिसें भेज रहा था। इसके बाद भी ‘द वायर’ जैसे कुछ संस्थान हेडलाइनों में बच्चे के सोने जैसे हेडलाइन के साथ मैदान में उतर गए।

मीडिया ने कुछ यूँ दंगाइयों को बचाने की कोशिश की

हाईकोर्ट ठुकरा चुका है नोटिस रद्द करने की माँग

मीडिया रिपोर्ट्स में न्यायाधिकरण के सदस्य प्रभात परिसर का जिक्र है। उन्होंने बताया है कि आपराधिक मामलों में किशोर अथवा नाबालिगों को छूट मिलती है, लेकिन भरपाई का मामला दीवानी प्रवृत्ति का है न कि आपराधिक। पराशर का कहना है कि आरोपित के वकील बशर अली अभी तक उसे निर्दोष साबित करने योग्य तर्क या प्रमाण नहीं दे पाए हैं। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बशर अली नोटिस को रद्द करवाने के लिए इंदौर हाईकोर्ट गए थे लेकिन हाईकोर्ट ने उन्हें ट्रिब्यूनल के आगे अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था।

ऑपइंडिया से बात करते हुए खरगोन के ADM ने बताया कि नुकसान काआकलन व वसूली गठित किए गए एक ट्रिब्यूनल द्वारा की जा रही है। उन्होंने बताया कि गठित ट्रिब्यूनल के मुखिया कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं, बल्कि रिटायर्ड जज हैं। बकौल ADM, यह न्यायाधिकरण ठोस सबूतों के आधार पर कार्रवाई कर रहा।

प्रशासन नहीं, बल्कि पीड़ित की शिकायत पर हो रही कार्रवाई

खरगोन दंगों की जाँच व कार्रवाई के लिए गठित ट्रिब्यूनल के एक सदस्य ने ऑपइंडिया से बात की। सदस्य पूर्व सीनियर ब्यूरोक्रेट रह चुके हैं। उन्होंने हमें बताया कि मीडिया में जिस नोटिस की चर्चा हो रही, वो पहली नोटिस है, न कि इसे अंतिम फैसले के तौर पर सुना दिया गया है। इसी के साथ सदस्य ने बताया कि भरपाई की जो नोटिस जारी भी हुई है, वो ट्रिब्यूनल के या किसी प्रशासनिक अधिकारी द्वारा नहीं बल्कि हिंसा के एक पीड़ित की शिकायत पर जारी हुई है।

ट्रिब्यूनल मेंबर ने हमें आगे बताया कि नोटिस भेज कर आरोपितों को उनका पक्ष रखने का मौक़ा और समय दिया गया है। उन्होंने कहा कि यदि इसे तुरंत पैसा जमा करने का आदेश समझा जा रहा तो वो गलत है। बकौल ट्रिब्यूनल सदस्य, 12 साल के आरोपित के परिजनों ने अपना पक्ष न्यायाधिकरण के पास जमा करा दिया है, जिस पर एक साथ अन्य सदस्यों के साथ अंतिम फैसला जल्द लिया जाएगा।

आपराधिक मामलों में छूट पर नुकसान की भरपाई में परिजनों की जिम्मेदारी

अपना नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर ट्रिब्यूनल मेंबर ने हमें आगे बताया कि कानून आपराधिक मामलों में नाबालिग को छूट देता है, लेकिन हुए नुकसान की भरपाई भी जरूरी है। उन्होंने हमें बताया कि नाबालिग के परिजनों को भी इसकी सूचना से एक साथ अवगत करवाया गया है। बकौल मेंबर, इस हिंसा में कुछ नाबालिगों ने सक्रिय भागीदारी निभाई थी। अंत में हमें बताया गया कि किसी के भी साथ अन्याय नहीं हो रहा और ट्रिब्यूनल की कार्रवाई न्यायसंगत चल रही है।

खरगोन के VHP (विश्व हिन्दू परिषद) नेता विवेक ने ऑपइंडिया से बात की। विवेक ने हमें बताया कि ट्रिब्यूनल और प्रशासन की दंगाइयों पर हो रही कार्रवाई से न सिर्फ दंगा पीड़ित बल्कि खरगोन का बहुसंख्यक समाज संतुष्ट है। नाबालिग के मुद्दे पर विवेक ने हमें बताया कि हिंसा में हिन्दुओं के घरों और दुकानों को निशाना बनाने वालों में कई नाबालिग शामिल थे। VHP नेता ने प्रशासन से भी निष्पक्ष और बिना किसी दबाव में कार्रवाई जारी रखने की अपेक्षा जताई।

दुकान लूटने वालों में कई नाबालिग

खरगोन हिंसा में अपने लगभग 25 लाख रुपए लुट जाने का आरोप लगाते हुए राजू उर्फ़ राजेश टेलर ने हमें बताया कि उनकी दुकान को लूट कर बचे माल को जला दिया गया था। राजेश ने आगे बताया कि इस लूटपाट को करने वालों में कई नाबालिग थे जिनके चेहरे CCTV फुटेज में कैद भी हुए थे। आरोपितों से वसूली की कार्रवाई का पूरा समर्थन करते हुए राजेश ने बताया कि ट्रिब्यूनल और प्रशासन की सक्रियता से अब तक उनके कुल नुकसान में से लगभग ढाई लाख (2.5 लाख) रुपए उन्हें मिले हैं।

अपने दावों की प्रमाणिकता के तौर पर राजेश ने हमें हिंसा की कुछ वीडियो फुटेज और तस्वीरें भेजीं हैं। फुटेज में भीषण पथराव के बीच कुछ नाबालिगों को हिंसा में सक्रिय देखा जा सकता है, जिनके हाथों में पत्थर दिखाई दे रहे हैं।

हाथों में पत्थर ले कर खड़ा एक कथित नाबालिग

हालाँकि, प्रशासन द्वारा मिले सहयोग को नाकाफी बताते हुए राजेश ने हमें बताया कि वो फिर से अपने बिखरे हुए व्यापार को खड़ा करने की भरसक कोशिश कर रहे हैं। जब हमने राजेश से सवाल किया कि क्या इस बार उन्होंने अपनी दुकान की सुरक्षा के कोई अतिरिक्त इंतजाम किए हैं तो उन्होंने कहा कि उनकी ही नहीं बल्कि दंगाइयों से पूरे हिन्दू समाज की सुरक्षा ही भगवान के भरोसे है।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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