Friday, November 15, 2024
Homeदेश-समाज'ऐसे मंदिरों को बंद कर देना चाहिए, जो हिंसा-भेदभाव को बढ़ावा देते' - उत्सव...

‘ऐसे मंदिरों को बंद कर देना चाहिए, जो हिंसा-भेदभाव को बढ़ावा देते’ – उत्सव के लिए माँगने गए थे सुरक्षा, मद्रास हाईकोर्ट से मिली टिप्पणी

मद्रास हाईकोर्ट के जज ने कहा कि ऐसे मंदिरों को बंद कर देना चाहिए, जो हिंसा और भेदभाव को बढ़ावा देते हों। उन्होंने कहा कि इस तरह के त्योहारों के आयोजन में भक्ति के बजाय शक्ति प्रदर्शन अहमियत रखने लगा है।

मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार (21 जुलाई 2023) को एक मंदिर के विवाद पर सुनाए जा रहे फैसले की अपनी टिप्पणी में कहा है कि मंदिरों के उत्सव अब भक्ति के बजाय शक्ति प्रदर्शन तक सीमित रह गए। जज ने ऐसे मंदिरों को बंद करने की सलाह दी है, जहाँ से हिंसा को बढ़ावा मिलता हो।

मद्रास हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक याचिका की सुनवाई के दौरान की है, जिसमें मंदिर के अंदर होने वाले उत्सव के लिए सुरक्षा की माँग की गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह टिप्प्पणी जस्टिस आनंद वेंकटेश ने थंगारासु उर्फ के थंगाराज की याचिका पर की।

याचिकाकर्ता अरुलमिघु श्री रूथरा महा कलियाम्मन अलयम के ट्रस्टी हैं। उन्होंने अदालत से अपने यहाँ होने वाले उत्सव के लिए सुरक्षा मुहैया कराने की माँग की थी। उन्होंने अदालत को बताया कि उत्सव के दौरान 2 पक्षों में विवाद है। इस विवाद को खत्म करवाने के लिए तहसीलदार की अध्यक्षता में पीस कमिटी की मीटिंग हुई थी, जो अंत में असफल रही थी।

दरअसल 2 पक्ष में यह झगड़ा इस बात को लेकर था कि मंदिर में मूर्तियाँ कौन रखेगा। सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि आखिरकार स्थानीय तहसीलदार ने उत्सव मनाने की छूट तो दे दी थी लेकिन दोनों में से किसी भी पक्ष को मंदिर के अंदर मूर्ति रखने से रोक दिया था।

इसी मामले की सुनवाई करते हुए जज आनंद वेंकटेश ने कहा कि ऐसे मंदिरों को बंद कर देना चाहिए, जो हिंसा और भेदभाव को बढ़ावा देते हों। उन्होंने कहा कि इस तरह के त्योहारों के आयोजन में भक्ति के बजाय शक्ति प्रदर्शन अहमियत रखने लगा है। मद्रास हाईकोर्ट के जज आनंद वेंकटेश ने टिप्पणी में आगे कहा कि अहंकार को लेकर मंदिर में घुसने से भक्ति की मूल भावना खत्म हो जाती है।

थंगारासु उर्फ के थंगाराज की याचिका के मुताबिक वो मंदिर के वंशानुगत ट्रस्टी हैं। मंदिर में यह आयोजन 23 जुलाई से 1 अगस्त 2023 के बीच आयोजित होना है। याचिकाकर्ता ने किसी अप्रिय घटना को टालने के लिए पुलिस से सुरक्षा की माँग की थी।

हिंदू मंदिर और कोर्ट के फैसले

मद्रास हाईकोर्ट ने पिछले साल सार्वजनिक जमीन पर बनाई गई मंदिर को हटाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। तब हाईकोर्ट ने कहा था कि ईश्वर तो सर्वव्यापी हैं और उनकी दैवीय उपस्थिति के लिए किसी विशेष स्थान की आवश्यकता नहीं है।

साल 2021 में दिल्ली की साकेत अदालत ने कुतुब मीनार में 27 हिंदू और जैन मंदिरों को बनाए जाने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए जो तर्क दिया, वो था – “अतीत में की गई गलतियाँ वर्तमान या भविष्य की शांति को भंग करने का आधार नहीं हो सकतीं।”

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

हाई कोर्ट 1- नाबालिग बीवी से सेक्स मतलब रेप, हाई कोर्ट 2- नाबालिग हिंदू लड़की के अपहरण-रेप के आरोपित जावेद को बेल: कानून में...

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हिंदू नाबालिग लड़की का अपहरण करके उसके साथ रेप करने के आरोपित जावेद आलम नामक व्यक्ति को जमानत दे दी।

‘भंगी’, ‘नीच’, ‘भिखारी’ जातिसूचक नहीं, राजस्थान हाई कोर्ट ने SC/ST ऐक्ट हटाया: कहा- लोक सेवकों की जाति के बारे में अनजान थे आरोपित, कोई...

राजस्थान हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि 'भंगी', 'नीच', 'भिखारी', 'मंगनी' आदि किसी जाति के नाम नहीं है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -