मद्रास हाई कोर्ट में एक वकील ने अपने वेश्यालय के विरुद्ध कार्रवाई के खिलाफ याचिका दायर कर दी। वकील ने दावा किया कि वह लोगों को स्वेच्छा से सेक्स के लिए मिलाने का काम करता है। हाई कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई करते हुए वकील की डिग्री जाँचने के आदेश दे दिए।
मद्रास हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई करते समय बिफर गया। हाई कोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि कोई वकील वेश्यालय जैसी चीज को बचाने के लिए याचिका लेकर आया है। हाई कोर्ट ने इसे बड़े दुख की बात बताया और कहा कि यह वकील भी कन्याकुमारी से है जो 100% साक्षर है।
कोर्ट इस याचिका से उखड़ गया और वेश्यालय चलाने वाले वकील से उसकी डिग्री और उसका बार काउंसिल सर्टिफिकेट दिखाने का आदेश जारी कर दिया। कोर्ट ने बार काउंसिल से कहा कि अच्छे कॉलेज से पढ़े वकीलों को ही पंजीकृत करे और इधर उधर से डिग्री लेने वालों को मान्यता ना दे। कोर्ट ने बार काउंसिल को उसके कागज जाँचने के आदेश भी दे दिए हैं।
कोर्ट ने कहा कि वकालत एक इज्जतदार पेशा है और वकील सामाजिक बदलाव के इंजीनियर हैं। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने एक गरीब लड़की की गरीबी का फायदा उठा कर उसको वेश्यावृत्ति में झोंका है। कोर्ट ने वकील की याचिका को खारिज कर दिया और उस पर ₹10,000 का जुर्माना भी लगाया।
गौरलतब है कि मद्रास हाई कोर्ट की मदुरई बेंच में एक वकील मुरुगन ने एक याचिका दायर की थी। याचिका में माँग की गई थी कि उसके ऊपर नागरकोइल शहर में वेश्यालय चलाने के कारण दर्ज की गई FIR को रद्द कर दिया जाए और उन पुलिस वालों पर कार्रवाई की जाए जो इस धंधे में खलल डाल रहे थे।
मुरुगन ने हाई कोर्ट में याचिका लगाकर कहा था कि देश में सहमति से किया गया सेक्स मान्य है और वह ऐसे ही लोगों को मिलवाता है। मुरुगन ने अपन वेश्यालय पर कार्रवाई के पीछे रिश्तेदारों की साजिश की भी बात कही थी। उसने हाई कोर्ट से उसके खिलाफ सभी मामले रद्द करने की माँग की थी।
इस मामले में फरवरी, 2024 में नागरकोइल के इस वेश्यालय पर मारे गए छापे में एक 17 वर्ष की लड़की को भी बचाया गया था। लड़की ने पुलिस को बताया था कि उसका यहाँ शोषण हो रहा था। इस कार्रवाई के बाद मुरुगन के विरुद्ध POCSO समेत कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया था।