पश्चिम बंगाल से टीएमसी के कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी का एक नया कारनामा सामने आया है। जानकारी के मुताबिक हुगली के हीरालाल पाल कॉलेज में एक प्रोफेसर को टीएमसी कार्यकर्ताओं द्वारा सिर्फ़ इसलिए मारा गया क्योंकि वे उन छात्रों को बचाने का प्रयास कर रहे थे जिनसे टीएमसी कार्यकर्ता ‘टीएमसी जिंदाबाद’ और ‘ममता बनर्जी जिंदाबाद’ बुलवाने के लिए मारपीट कर रहे थे।
खबरों के मुताबिक यहाँ टीएमसी छात्र संगठन से जुड़े छात्र अन्य छात्रों से ‘ममता बनर्जी जिंदाबाद’ का नारा लगाने को कह रहे थे, लेकिन जब दूसरे छात्रों ने ऐसा करने से मना कर दिया तो उन्होंने एक सीनियर छात्रा से मारपीट की। जब प्रोफेसर सुबरता चट्टोपाध्याय छात्रों को टीएमसी के छात्र संघ से बचाने के लिए बीच में आए तो टीएमसी कार्यकर्ताओं ने उनपर भी हमला कर दिया। जिसके बाद प्रोफेसर पर हुए हमले की वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने लगी।
While so called intellectual were busy writting open letter to PM accusing intolerence, TMC student wing were busy showing intolerance, they are thrashing a professor who refuse to chant Mamata Banerjee Zindabad. pic.twitter.com/nnBa0YLKp7
— Shatrughna Kate (@Shatrughnakate) July 25, 2019
प्रोफेसर के मुताबिक करीब एक बजे एक छात्रा एमए के एग्जाम के बाद अपने दोस्तों के साथ क्लासरूम में फोटो खींच रही थी कि तभी टीएमसी का छात्रसंघ वहाँ पहुँचा और उनसे बदसलूकी करने लगा। विवाद बढ़ने पर उन्होंने मामले को सुलझाना चाहा, लेकिन तृणमूल समर्थक छात्रों से ममता बनर्जी जिंदाबाद और तृणमूल जिंदाबाद के नारे लगाने को कहने लगे। जब छात्रों ने ऐसा करने से मना किया तो उन्होंने छात्रा को थप्पड़ मार दिया।
इसके बाद जो हुआ उसे हम सोशल मीडिया पर वायरल हुई वीडियो में देख सकते हैं। किस तरह प्रोफेसर के साथ टीएमसी कार्यकर्ताओं ने न केवल सिर्फ़ धक्का-मुक्की की बल्कि उनके साथ बेरहमी से मारपीट भी की। इस घटना के बाद प्रोफेसर सुब्रतो कॉलेज के एंट्रेंस गेट पर अपना सिर पकड़कर बैठे गए और कहने लगे कि उनके चेहरे और सिर पर चोट आई है। खबरों की मानें तो इस मामले के मद्देनजर प्रोफेसर सुब्रतो चट्टोपाध्याय की तरफ़ से उत्तरपाड़ा थाने में तहरीर दे दी गई है।
उनका कहना है कि छात्र संघ के सदस्य कैंपस में हमेशा उपद्रवी बर्ताव करते हैं लेकिन फिर भी वे उनके नाम नहीं ले सकते। क्योंकि अगर उन्होंने ऐसा किया तो उन्हें कैंपस के अंदर नहीं घुसने दिया जाएगा।
गौरतलब है टीएमसी छात्र संघ के सदस्यों द्वारा आदिवासी महिला स्टाफ का शोषण करने के विरोध में इससे पहले भी रविंद्र भारती यूनिवर्सिटी के कई एचओडी और डीन इस्तीफ़ा दे चुके हैं। लेकिन हालातों में कोई सुधार नहीं हुआ।