मंगलुरु पुलिस ने ग्राफिटी बनाने के संबंध में दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। इन्होंने पिछले सप्ताह शहर के विभिन्न हिस्सों में लश्कर-ए-तैयबा और तालिबान जैसे इस्लामी आतंकवादी संगठनों के समर्थन में ग्राफिटी बनाया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलुरु पुलिस ने मोहम्मद शारिक और मज्ज मुनीर अहमद नाम के दो अपराधियों को गिरफ्तार किया है। दोनों को तीर्थहल्ली से गिरफ्तार किया गया है।
22 वर्षीय मोहम्मद शारिक ने बीकॉम पूरा किया है और तीर्थहल्ली में कपड़े की दुकान चला रहा है। वहीं एक अन्य आरोपित मज्ज मुनीर अहमद वर्तमान में मंगलुरु के एक निजी कॉलेज से बीटेक की पढ़ाई कर रहा है। पुलिस ने बताया कि आरोपित मुनीर अहमद मंगलुरु में ऑनलाइन फूड डिलीवरी एजेंट के रूप में काम करता था।
इससे पहले कर्नाटक के मेंगलुरु में एक अपार्टमेंट की दीवारों पर संघियों और मनुवादियों को धमकी भरी भयावह बातें लिखने के मामले में पुलिस ने गुरुवार (दिसंबर 3, 2020) को एक मोहम्मद नजीर नामक युवक को गिरफ्तार किया था। सोशल मीडिया पर आरोपित को जॉमेटो का डिलीवरी ब्वॉय बताया गया।
मेंगलुरु में 28 नवंबर को पुलिस चौकी की दीवार पर एक ग्राफिटी देखी गई थी। इसमें लिखा था, “गुस्ताख़-ए-रसूल की एक ही सज़ा, सर तन से जुदा।”
इसके अलावा इससे पहले एक अपार्टमेंट की दीवार पर लिखा गया था, “हमें इस बात के लिए मजबूर नहीं किया जाए कि हमें संघियों और मनुवादियों का सामना करने के लिए लश्कर-ए-तैय्यबा और तालिबान की मदद लेनी पड़े।” आगे लश्कर के समर्थन में लिखा था, “‘लश्कर जिंदाबाद।”
मामले के उजागर होने के कुछ समय बाद ऑपइंडिया ने इस संबंध में पुलिस से बात की थी। पुलिस ने हमें तब विस्तार से जानकारी देते हुए कहा था कि पहली ग्राफिटी मेंगलुरु के सर्किट रोड स्थित अपार्टमेंट पर बनाई गई। जिसके बाद कदरी पुलिस थाने ने इस प्रकरण के संबंध में मामला दर्ज कर लिया है और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जाँच शुरू किया गया।
मंगलुरु पुलिस कमिश्नर विकाश कुमार ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि आरोपी ने पब्लिसिटी हासिल करने के लिए इस तरह का अपराध किया। गौरतलब है कि पिछले दिनों मेंगलुरू की दीवारों पर लिखी गई ये बातें बिलकुल ऐसी थीं, जैसे पाकिस्तान के लोग फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के विरोध में उतरे थे।
तहरीक-ए-लब्बैक (TLP) के हज़ारों समर्थक फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के विरोध में रावलपिंडी की सड़कों पर उतरे थे। उनका विरोध इस मुद्दे पर था कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बनाने के अधिकार का बचाव किया था।