Sunday, November 17, 2024
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‘जब तक मुझे होश था वो मेरे शरीर को रौंदते रहे’ : कुकी पुरुषों ने किया था मैतेई महिला का गैंगरेप, मणिपुर की पीड़िता ने रो-रो कर बयाँ की दर्द भरी दास्तान

"मैंने अपनी और अपने परिवार की इज्जत बचाने और सामाजिक बहिष्कार से बचने के लिए घटना का खुलासा नहीं किया। इस शिकायत को दर्ज करने में देरी सामाजिक कलंक और लोक-लाज की वजह से हुई है। मैं खुद को ख़त्म करना चाहती थी।”

“मैं नहीं चाहती कि किसी भी औरत को कभी भी ये झेलना पड़े। जब तक मैं होश में थी, उन्होंने मेरा रेप किया।” मणिपुर हिंसा के दौरान गैंगरेप की शिकार 37 साल की मैतेई पीड़िता एक इंटरव्यू में जब आपबीती बता रही थी तो वो जिस्म ही नहीं बल्कि पूरे वजूद में दर्द को समेटे उस खौफनाक मंजर को याद कर फफक-फफक कर रो पड़ी थीं।

मणिपुर हिंसा में कुकी पुरुषों के गैंग रेप का शिकार हुई ये औरत शायद ही इस हादसे से कभी उबर पाए। मई की शुरुआत में ही मणिपुर में जातीय हिंसा के दौरान यौन उत्पीड़न का ये भयानक मामला सामने आया था। पीड़िता के साथ 3 मई को गैंग रेप किया गया। इसके बाद से वह विस्थापितों के लिए निर्मित एक राहत शिविर में रह रही हैं।

गैंगरेप पीड़िता ने दो महीने से अधिक वक्त तक अपने साथ हुई इस ज्याददती का खुलासा नहीं किया था। लोगों ने ही इस चौंकाने वाले मामले की जानकारी अधिकारियों को दी थी। बिष्णुपुर थाने में पीड़िता ने 9 अगस्त 2023 को इस अपराध की जीरो एफआईआर दर्ज कराई थी। ये थाना पीड़िता के चुराचाँदपुर गाँव के अब तबाह हो चुके घर से 35 किमी दूर पड़ता है।

दरअसल ‘जीरो एफआईआर’ किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज की जा सकती है और इसके लिए ये जरूरी नहीं कि अपराध उसी पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में हुआ हो। बिष्णुपुर थाना पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376डी, 354, 120बी और 34 के तहत केस दर्ज किया है।

एफआईआर होने के बाद बीते महीने अगस्त में मीडिया ने इस मामले को रिपोर्ट किया था। द हिंदू के मुताबिक, पीड़िता की शिकायत के बाद बिष्णुपुर पुलिस थाने में दर्ज ये जीरो एफआईआर उसी दिन चुराचाँदपुर पुलिस थाने को स्थानांतरित कर दी गई थी।

एफआईआर के मुताबिक, जब 3 मई की शाम 6.30 बजे उपद्रवियों ने उनके और उनके पड़ोसियों के घरों को जलाना शुरू किया तो वो अपने दो बेटों, भतीजी और भाभी के साथ अपने जलते हुए घर से जितनी तेजी से भाग सकती थे उतनी तेजी से भागी थीं, लेकिन गिरने की वजह से वो उपद्रवियों के हाथ लग गई और उन्हें जिंदगी भर टीस देने वाले उस वाकए का सामना करना पड़ा। मणिपुर में अधिक से अधिक महिलाएँ अब पुलिस के पास आ रही हैं और अपने साथ हुए खौफनाक बर्ताव और बर्बरता के बारे में बता रही हैं। ये इसलिए कि अधिकारी उन्हें बोलने के लिए बढ़ावा दे रहे हैं।

‘मुझे गाली दी और जबरन नीचे गिरा दिया’

चुराचाँदपुर की रहने वाली गैंगरेप की शिकार तीन बच्चों की माँ की आँखों से न्यूज द ट्रुथ के 13 सितंबर 2023 के यूट्यूब पर डाले गए इंटरव्यू में, पीड़िता के लगातार आँसू बह रहे थे। ये देख इंटरव्यू के लिए गए रिपोर्टर भी कहने लगे कि मैं भाई की तरह आपसे अनुरोध कर रहा हूँ तो इस दौरान उनके साथ आई एक दूसरी महिला ने उन्हें ढाढस बँधाया और उनका दर्द बयाँ किया।

इस दिल दहला देने वाली घटना का जिक्र करते हुए इस दूसरी महिला ने बताया कि यह 3 मई को शाम 6:30 से 7 बजे के आसपास का वक्त था। जब कुकी उग्रवादी पीड़िता के इलाके में घर जला रहे थे।

जब उन्होंने देखा कि पड़ोसियों के घर जल रहें हैं, तो वो अपने दो बेटों जिनमें छोटा 7 और बड़ा 11 साल का है, के साथ ही अपनी साढ़े चार साल की भतीजी को पीठ पर बैठाकर भाभी इंदो के साथ भागने लगीं। उनकी भाभी भी अपनी पीठ पर ढाई साल के एक बच्चे को लेकर उनके आगे दौड़ रही थीं।

उन्होंने आगे बताया कि ये लोग अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे थे। करीब आधा किलोमीटर ही दौड़ी होंगी तभी वो लड़खड़ाकर सड़क पर गिर पड़ी। इससे उसके घुटनों और माथे पर चोटें आ गई। वो खड़ी भी नहीं हो पा रही थी।

इस दौरान उनसे आगे दौड़ रही उनकी भाभी उनके पास वापस पीछे लौटी, भाभी ने पीठ से उनकी भतीजी को उठा लिया। उनके जोर देने पर भाभी पीड़िता के दो बेटों संग उस जगह से भागने के लिए तैयार हुई। भाभी ने उनसे भी उठकर भागने के लिए कहा, लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकी।

पीड़िता के साथ आई औरत ने उनके दिल दहला देने वाले सदमे के बारे में बताते हुए कहा जब पीड़िता अपनी चोटों से जूझ रही थी तो इस दौरान आरोपित वहाँ पहुँच गए। वो उठने की कोशिश कर रही थी तो वे आए और उन्होंने उसके साथ जोर-जबरदस्ती की। उन्होंने उसे जमीन पर गिरा दिया, गालियाँ दी और सभी तरह की ऐसी गैर जरूरी हरकतें की जो शायद लफ्जों में बताई न जा सकें। मसलन उन्होंने पीड़िता को दबोचा उसे बेदर्दी से छुआ।

पाँच लोगों ने बर्बरता से दबोचा

ये बताते हुए गैंगरेप पीड़िता के साथ आई दूसरी महिला भी इस कदर हिल गई कि उसे कहना पड़ा कि मैं यहाँ उन सभी अवांछित हरकतों का जिक्र नहीं करना चाहती, लेकिन उसे पूरी तरह से उन लोगों ने जमीन पर दबा के रखा था। वो मदद के लिए चिल्लाई भी, लेकिन इन हालात में वो पूरी तरह से असहाय थी।

वो आगे कहती है आप समझ सकते हैं, “पाँच लोग एक ही वक्त में एक महिला को पकड़ रहे हैं तो वो असहाय हो ही जाएगी। अब वो लोग उसके साथ हर तरह की न किए जाने वाली भद्दी हरकते करते हैं और कुछ समय बाद चार या पाँच लोग और आते हैं, आतंकवादी या उग्रवादी ऐसे ही कुछ वो कौन थे मैं ये नहीं जानती।”

वो आगे बताती हैं कि वो लोग आए और उन्होंने भी उसे परेशान करना शुरू कर दिया। उस पल वो बेहोश हो गई और जब उसे होश आया, तो उसने खुद को एक मैतई के घर में पाया। वो कई लोगों से घिरी हुई थी और लोग उसके चेहरे पर पानी छिड़क रहे थे।”

जैसे ही गैंगरेप पीड़िता होश में आई, उसने अपने बच्चों के बारे में पूछा। हालाँकि, वे सब लोग पहले ही जा चुके थे, क्योंकि उसने ही उनसे खुद को छोड़ देने और भागने के लिए कहा था। अगर वो उसका इंतजार करते, तो उनकी जान ख़तरे में पड़ जाती।

उनकी भाभी ने अपने साथ छोटी बच्ची को भी ले गई थीं। लगभग आधे घंटे तक खोजने के बाद पीड़िता को अपने बच्चे मिले जो वहाँ आसपास के घरों के कोनों में छिपे हुए थे। जब पीड़िता ने उनका नाम पुकारा तो वे दौड़कर उसके पास आए और सबने पूरी रात उस मैतई के घर में बिताई।

रेप के बाद दिखने लगे थे यौन रोगों के लक्षण

इस खौफनाक घटना के बाद में सेना के जवानों ने गैंगरेप पीड़िता के परिवार को दूसरी जगह पहुँचाया। शुरुआत में पीड़िता ने इस खौफनाक घटना के बारे में किसी को नहीं बताया। वो इसे अपने दिल में लेकर घुटती रहीं, लेकिन उनकी सेहत बिगड़ने लगी।

हारकर वो प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र (पीएचसी) गई और वहाँ से उन्हें क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) अस्पताल में रेफर कर दिया गया। उन्हें डर था कि अगर वह डॉक्टर के पास गई तो उन्हें पता चल जाएगा कि उनके साथ क्या हुआ था। वो बगैर डॉक्टर के पास गए घर वापस आ गई।

इसके बाद पीड़िता की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी। उनके के पेट में गंभीर दर्द था। इसके साथ ही उन्हें खुजली जैसे यौन संचारित रोग (एसटीडी) के लक्षणों का अनुभव हुआ। तब वो 7 जुलाई को जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (जेएनआईएमएस) अस्पताल गई थीं।

इस दौरान उन्होंने इस घटना के बारे में अपने पति या किसी और को नहीं बताया। वो उन सभी दिनों में दर्द और परेशानी अकेले सहती रही। गैंग रेप पीड़िता के साथ आई महिला ने बताया कि जब वो और उनकी बहन (सगी नहीं) के इलाज के लिए जेएनआईएमएस अस्पताल गए तो तब उन्होंने गैंगरेप पीड़िता को एक महिला के साथ बेंच पर बैठे देखा था। वो बहुत रो रही थी और उन्होंने उसे अपनी आपबीती उनके साथ साझा करने के लिए हिम्मत दी।

इस महिला ने आगे कहा, “वे सभी लोग जिनके घर मणिपुर हिंसा में जला दिए गए थे उन्होंने अपने जीवन की सारी बचत, सब कुछ खो दिया था। जो लोग कभी अमीर थे, वे अब भिखारी बन गए थे। उनके पास एक पैसा भी नहीं है और सबसे बुरा उनके साथ गैंग रेप किया गया था।”

पीड़िता के साथ आई महिला ने पुलिस के सहयोग की भी तारीफ की। उन्होंने बताया, “पुलिस ने बहुत मदद की और उनका रवैया बहुत सहयोगात्मक था। पुलिस ने पीड़िता से बयान देते वक्त बगैर किसी डर के सब सच बताने का भी अनुरोध किया। उन्होंने आगे बताया कि कल हमें जाँच के लिए केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) से मिलना था, लेकिन यहाँ (मणिपुर) लागू होने वाले कुछ नियमों के वजह से शायद हम उनसे कल या परसों मिलेंगे।

लोकलाज की वजह से घुटती रही थीं

इस दौरान पीड़िता ने बताया कि उनका एक बच्चा उनके पास था और दो बच्चे बाल गृह में थे। गैंगरेप पीड़िता के साथ आई महिला ने बताया कि पीड़िता के पति को भी पूरे घटना की जानकारी है और वो पूरी तरह से अपने जीवनसाथी के समर्थन में हैं।

इस महिला ने बताया, “लेकिन जब पहली बार पीड़िता के पति ने उसके साथ हुई दरिंदगी के बारे सुना तो वह बहुत निराश हुए। वो बहुत गुस्सा भी हुए क्योंकि पीड़िता ने इस बारे में हमसे खुल कर बात की थी। ऐसा रेप को सामाजिक कलंक मानने की वजह से था।”

पीड़िता ने बिष्णुपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज ‘जीरो एफआईआर’ के साथ संलग्न अपने बयान में कहा, “मैंने अपनी और अपने परिवार की इज्जत बचाने और सामाजिक बहिष्कार से बचने के लिए घटना का खुलासा नहीं किया। इस शिकायत को दर्ज करने में देरी सामाजिक कलंक और लोक-लाज की वजह से हुई है। मैं खुद को ख़त्म करना भी चाहती थी।” इस जीरो एफआईआर में पीड़िता ने अपने साथ घटी सभी दर्दनाक घटनाओं को सिलसिलेवार बताया है।

इंटरव्यू के दौरान पीड़िता ने खौफनाक मंजर को याद करते हुए कहा, “मुझे उस सदमे और दर्द का एहसास होने लगा, जो बगैर मेरी किसी गलती के मेरे खिलाफ किए गए उन जघन्य अपराधों की वजह से मुझे झेलना पड़ा। मेरे साथ दुर्व्यवहार, यौन और शारीरिक उत्पीड़न करने वाले आरोपितों के गिरोह को उचित सजा दी जानी चाहिए।

दो औरतों को नंगे घुमाने का वीडियो था वायरल

इस साल जुलाई में ही मणिपुर में पुरुषों के एक समूह के दो महिलाओं को सड़क पर नंगा घुमाने का एक खौफनाक वीडियो सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर साझा किया गया था। इसकी पूरी दुनिया में बड़े पैमाने पर निंदा की गई और कार्रवाई की माँग की गई। फ़िलहाल, इस वीडियो में दिख रहे आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया।

मणिपुर पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को 8 अगस्त 2023 को बताया कि 3 मई से 30 जुलाई तक लगभग तीन महीने की अवधि के बीच 6,500 से अधिक केस दर्ज किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में पेश पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, दर्ज केसों में सबसे अधिक हिस्सा “आगजनी, लूटपाट और घरेलू संपत्ति को नष्ट करने की श्रेणी के तहत दर्ज किया गया है।

ऐसे केस हजारों में है और इनमें से एक ही मामले में कई जीरो एफआईआर दर्ज हैं। इसमें से आगजनी के 4,454, लूटपाट के 4,148. घरेलू संपत्ति नष्ट करने के 4,694 और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने के 584 केस हैं।

बता दें कि देश के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में अप्रैल में मणिपुर हाई कोर्ट के एक फैसले की वजह से तनाव बढ़ गया था। इसमें में राज्य को अनुसूचित जनजाति की स्थिति के मुद्दे पर फैसला लेने का आदेश दिया गया था।

गौरतलब है कि मैतई और कुकी समुदाय के बीच पहली झड़प 3 मई 2023 को हुई थी। तब मैतई समुदाय के अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की माँग का विरोध करने के लिए पहाड़ी इलाकों में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) ने “आदिवासी एकजुटता मार्च” आयोजित किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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