कर्नाटक सरकार ने गरीब परिवार से आने वाले हिंदू जोड़ों की शादी के लिए एक अहम ऐलान किया है। कर्नाटक की राज्य सरकार ने कहा है कि मंदिरों में दान की गई राशि के एक हिस्से से सामूहिक विवाह कराए जाएँगे। यह सामूहिक विवाह सप्तपदी नाम की योजना के तहत कराए जाएँगे। योजना के अनुसार लगभग 100 से अधिक ए श्रेणी के मंदिरों को 26 अप्रैल से 24 मई के बीच हिंदू जोड़ों के सामूहिक विवाह का खर्च उठाना था।
लेकिन कोरोना वायरस महामारी की वजह से यह आयोजन नहीं हो पाया था। जिस तरह के हालात फिलहाल बने हैं उनके आधार पर सामूहिक विवाहों के आयोजन की उम्मीदें भी कम हैं। इस बात को मद्देनज़र रखते हुए डिपार्टमेंट ऑफ़ हिंदू चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन एंड रिलीजियस इंडोमेंट ने नया विकल्प खोजा है। विभाग अब विवाहों का आयोजन सामूहिक तौर पर कराने की जगह साल भर (केस बाई केस) आधार पर करेगा।
हिंदू चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन एंड रिलीजियस इंडोमेंट विभाग के मंत्री कोटा श्रीनिवास पुजारी के मुताबिक़ इस योजना के मूलभूत ढाँचे में बदलाव किया जा चुका है। नए बदलाव के आधार पर कर्नाटक की राज्य सरकार के चयनित मंदिरों में आगामी एक साल के दौरान हिंदू जोड़ों की सुविधानुसार शादी कराई जा सकती है। इस प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है।
यह योजना हर उस मंदिर पर लागू होगी जिसे सामूहिक विवाह का आयोजन कराने के लिए चुना गया था। इस मुद्दे पर जानकारी देते हुए मंत्री श्रीनिवास पुजारी ने कहा मंदिरों में विवाह कराए जाने के दौरान स्वास्थ्य विभाग के दिशा निर्देशों का पूरी तरह ध्यान रखा जाएगा। ऐसे किसी भी आयोजन के दौरान पूरी सावधानी बरती जाएगी जिससे कोई महामारी की चपेट में न आए।
एक कन्नड़ समाचार समूह से बात करते हुए कोटा श्रीनिवास पुजारी ने इस मामले में और जानकारी दी। उन्होंने कहा, “आने वाले समय में सरकार के लिए सामूहिक विवाह कराना बहुत कठिन होगा। इसलिए हमने योजना में बदलाव लाने की तैयारी की और हमें अच्छे नतीजे भी हासिल हो रहे हैं। जिन्हें शादी करवानी हो वह एक आवेदन कर सकते हैं। इसके बाद उन्हें एक महीने के भीतर मुहूर्त दिया जाएगा।”
इस योजना की शुरुआत 5.5 करोड़ रूपए के बजट से शुरू की गई थी। इस योजना के तहत शादी करने वाले जोड़े को 8 ग्राम सोने का मंगलसूत्र, 10 हज़ार रूपए के उपहार और 5 हज़ार रूपए नगद दिए जाएँगे। अंत में श्रीनिवास पुजारी ने बताया कि मंदिरों की गतिविधियों के संचालन के लिए केंद्रीकृत बैंकिंग तंत्र तैयार किया गया है। धीरे-धीरे इसे राज्य सरकार के अंतर्गत आने वाले सभी मंदिरों पर लागू किया जाएगा।