एक शख्स ने वीडियो बना कर गाजियाबाद के डासना स्थित शिव-शक्ति पीठ के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती की गर्दन काटने की धमकी दी थी। अब मेरठ पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है। ये वीडियो स्थानीय रेलवे रोड थाना क्षेत्र के मकबरा डिग्गी निवासी युवक मोहम्मद दानिश ने बनाया था, जिसमें उसने घोषणा की थी कि जो महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती की गर्दन काट कर ले आएगा, उसे वो 51 लाख रुपए का इनाम देगा।
पुलिस ने वीडियो इंटरनेट पर वायरल होने के एक घंटे के भीतर कार्रवाई की और उसे धर-दबोचा। दानिश ने घोषणा की थी कि वो अपना घर, जमीन और जेवर बेच कर महंत यति सरस्वती की गर्दन काटने वाले को इनाम देगा। उसने कहा था कि अगर इन सबके बावजूद रुपए कम पड़ जाते हैं तो वो खुद को बेच डालेगा। कैंट ASP सूरज राय ने बताया कि आरोपित को गिरफ्तार कर के आगे की कार्रवाई की जा रही है।
युवा हिंदू वाहिनी के महानगर अध्यक्ष अंकित शर्मा ने कहा कि मोहम्मद दानिश ने माहौल खराब करने की कोशिश की है, इसीलिए उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। वीडियो में युवक ने कहा था, “हमारे नबी के बारे में ऐसी बात कही गई, जिसे सुन कर पूरी दुनिया के हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई शर्मिंदा हैं। आप एक बात तो समझते कि आप किससे टक्कर ले रहे हैं। आपने जिनके बारे में ऐसी बात कही, वो पूरी दुनिया को चलाने वाला है, पूरी कायनात को बनाने वाले हैं।”
थाना रेलवे रोड पुलिस द्वारा अभियुक्त को गिरफ्तार कर आवश्यक कार्यवाही की जा रही है ।
— MEERUT POLICE (@meerutpolice) April 8, 2021
दानिश ने आगे कहा था, “गाजियाबाद में आपका मंदिर है। मुझे आपसे मिलने का मौका भी न मिले, हमें आपकी शक्ल भी नहीं देखनी है। हमें आपकी गर्दन उतारनी है, लेकिन हम ये करेंगे नहीं। लेकिन, जो ऐसा करेगा उसे 51 लाख रुपए देंगे। आपने इसके बारे में ऐसी बात कही, उसके बारे में दुनिया जानती है और जिससे पूरा निजाम चल रहा है। इस बात को सोच कर और ये देख कर हम कितने आक्रोशित हैं।”
इससे पहले AAP विधायक अमानतुल्लाह खान ने लिखा था, “हमारे नबी की शान में गुस्ताखी हमें बिल्कुल बर्दाश्त नहीं। इस नफरती कीड़े की जुबान और गर्दन दोनों काट कर इसे सख्त से सख्त सजा देनी चाहिए। लेकिन हिंदुस्तान का कानून हमें इसकी इजाजत नहीं देता।” कई इस्लामी कट्टरपंथी सोशल मीडिया में उसके समर्थन में उतर आए थे। ट्विटर पर उसके समर्थन में ट्रेंड भी चलाया गया था। अमानतुल्लाह ने स्वामी नरसिंहानंद को ‘मजहबी कीड़ा’ बताया था।