असम-मिजोरम सीमा विवाद ने एक बार फिर से हिंसक रूप ले लिया है। दोनों राज्यों की सीमा पर हुए संघर्ष में न सिर्फ कई घरों और दुकानों को आग लगा दी गई, बल्कि 8 लोग भी घायल हो गए। ये घटना शनिवार (अक्टूबर 17, 2020) को वैरेंगते-लैलापुर में हुई, जो मिजोरम के कोलासिब और असम के कछार सीमा पर स्थित है। कछार पुलिस ने बताया कि 1 व्यक्ति घायल हुआ है जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि असम के 40 लोग घायल हुए हैं।
असम स्थित कछार के एसपी बीएल मीणा ने इस सीमा विवाद और हिंसा को लेकर ‘एक्सप्रेस न्यूज़ सर्विस’ से कहा कि मिजोरम के असामाजिक तत्व बिना किसी कारण के समस्याएँ पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मिजोरम के बदमाशों ने असम में घुसकर 3 घरों व दुकानों में आग लगा दी। उन्होंने बताया कि एक गंभीर रूप से घायल व्यक्ति का अस्पताल में इलाज चल रहा है और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है। वहीं कोलासिब प्रशासन ने कहा है कि मिजोरम के 7 नागरिक घायल हुए।
कोलासिब के मजिस्ट्रेट डॉक्टर एच लालठालंगीलाना ने दावा किया कि असम के कुछ लोगों ने मिजोरम के सुरक्षा अधिकारियों पर हमला बोल दिया, इसीलिए ये मामला शुरू हुआ। मिजोरम सरकार का कहना है कि तनाव कम करने के लिए असम सरकार से उसकी वार्ता जारी है। उसने दावा किया कि असम सरकार ने क़ानून के विपरीत हरकत की है और केंद्रीय गृह मंत्रालय को इसकी सूचना दे दी गई है।
सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ बैठक भी की। विवादित स्थल पर दोनों राज्यों के जवान तैनात हैं। पिछले कुछ दिनों में तीसरी जगह ये घटना हुई। मिजोरम जाने वाले सामानों से लदे 100 ट्रक इस विवाद के कारण सीमा पर ही खड़े हैं। उधर त्रिपुरा के साथ भी मिजोरम का सीमा विवाद चल रहा है। त्रिपुरा ने आरोप लगाया है कि मिजोरम स्थित ममित के डीएम ने उसके क्षेत्र में धारा-144 लगादी।
त्रिपुरा का कहना है कि उसके उत्तरी हिस्से में मिजोरम के अधिकारी अपना शासन चलाने की कोशिश कर रहे हैं। ब्रू जनजाति के लोग फुलडुंगसेई में एक शिव मंदिर का पुनर्निर्माण करना चाहते हैं लेकिन मिजोरम के लोग इसका विरोध कर रहे हैं। जहाँ ब्रू जनजाति हिन्दू हैं, वहीं वहाँ के मिजो जनजाति सामान्यतः ईसाई मजहब का अनुसरण करते हैं। दक्षिणी असम रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक दिलीप कुमार डे का कहना है कि कछार और करीमगंज में मिजोरम पुलिस असम में घुस गई।
आरोप है कि लायलपुर में मिजोरम वाले 1.5 किलोमीटर भीतर घुस कर एक चेक-गेट बनाने की कोशिश कर रहे थे। वहीं करीमगंज में भी मिजोरम वालों पर अपनी सीमा से 2.5 किलोमीटर आगे बढ़ने का आरोप है। फूलडुंगसेई, ज़म्पुई और ज़ोमुअंटलांग जैसे गाँवों में बड़े समारोहों को प्रतिबंधित कर दिया गया है क्योंकि इस क्षेत्र में मंदिर पुनर्निर्माण को लेकर विवाद है। सांप्रदायिक हिंसा की आशंका भी जताई गई है।
This is Mizoram police at the Assam border and see their mobilisation. Pls gauge the situation at the border. So much for North East Democratic Alliance. What kind of an alliance is it where 2 alliance partners are Warring over land at the cost of innocent people ?@CMOfficeAssam pic.twitter.com/3CkWgx0EQH
— Sushmita Dev (@sushmitadevinc) October 19, 2020
‘ऑल इंडिया महिला कॉन्ग्रेस’ की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने एक वीडियो शेयर कर के दावा किया कि मिजोरम पुलिस बड़ी संख्या में असम की सीमा पर जुटी हुई है। उन्होंने इसके लिए ‘नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायन्स’ पर निशाना साधते हुए पूछा कि ये कैसा गठबंधन है, जहाँ एक ही गठबंधन की दो पार्टियाँ निर्दोष लोगों की कीमत पर ‘युद्ध’ कर रही है? उन्होंने कहा कि सीमा पर इस स्थिति का अनुमान लगाइए।
इस हिंसा के लिए सोशल मीडिया पर फैले संदेशों को भी जिम्मेदार बताया गया है। वहीं एक अन्य मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मिजोरम के युवकों ने लैलापुर में घुसकर ट्रक ड्राइवरों को मारा और 15 दुकानें फूँक दी। इस हिंसा के पीछे बांग्लादेशियों को भी कारण बताया जा रहा है। मिजोरम के साथ सीमा विवाद पर असम के फॉरेस्ट मंत्री परिमल शुक्लावैद्य ने कहा कि हर साल ऐसी घटनाएँ होती हैं क्योंकि दोनों तरफ के लोग एक-दूसरे के क्षेत्र में घुस कर पेड़ काटते हैं। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने ट्विटर पर भी एक-दूसरे से संवाद कर गर्मजोशी दिखाई और विवाद ख़त्म करने की बात की।
Noble, much awaited approach from a great leader.
— Zoramthanga (@ZoramthangaCM) October 18, 2020
May this kind intervention brought #peace to the region and strengthen our bonds.
Thank you Shri @sarbanandsonwal ji 🙏🏻#NorthEast #Mizoram #Assam #India @PMOIndia @HMOIndia https://t.co/rOebyUpUeH
ज्ञात हो कि त्रिपुरा के कंचनपुर के उप-मंडल मजिस्ट्रेट चांदनी चंद्रन ने 17 अगस्त को उत्तर त्रिपुरा के डीएम को पत्र में लिखा था, “…पारंपरिक फुलडुंगसेई वीसी को त्रिपुरा के हिस्से के रूप में स्वीकार किया गया है। इसलिए, वीसी और इसके निवासियों को मिजोरम में मतदाता सूची में शामिल करना समस्या पैदा कर सकता है। मिजोरम और त्रिपुरा के बीच सटीक सीमा का सीमांकन करने की तत्काल आवश्यकता है, जिसमें त्रिपुरा में ही पूरा फुलदुंगसी वीसी शामिल हो।”