एंटीलिया बम विस्फोट मामले की जाँच के सिलसिले में एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद मुंबई पुलिस ने एपीआई रियाजुद्दीन काजी को निलंबित कर दिया है। कथित तौर पर निलंबन सोमवार (अप्रैल 12, 2021) को डीसीपी (स्थानीय शस्त्र) द्वारा जारी किया गया था। मामले में कथित रूप से शामिल होने के कारण काजी से कई बार पूछताछ की गई। एनआईए के एक अधिकारी ने मिड-डे को बताया, “वह न केवल पूरी साजिश का हिस्सा था, बल्कि यह बताने के लिए गवाह है कि उसने वाजे के निर्देशों पर सबूत कैसे नष्ट किए।”
API Riyazuddin Qazi has been suspended by Mumbai Police after he was arrested by National Investigation Agency (NIA), in Antilia bomb scare conspiracy, yesterday: Mumbai Police
— ANI (@ANI) April 12, 2021
Qazi was a subordinate of suspended Mumbai cop Sachin Waze
विशेष लोक अभियोजक सुनील गोंसाल्वेस ने रविवार (अप्रैल 11, 2021) को विशेष एनआईए हॉलिडे कोर्ट को बताया कि रियाजुद्दीन काज़ी मामले में सह-साजिशकर्ता है। उन्होंने कहा, “वह साजिश की संरचना और डिजाइन जानता है।”
उन्होंने कोर्ट से कहा, “8 मार्च को एनआईए को मामला सौंपने के बाद दोनों ने सबूतों को नष्ट करना शुरू कर दिया। काजी को पूरे मामले की अच्छी जानकारी थी क्योंकि स्कॉर्पियो, जिसका इस्तेमाल एंटीलिया के बाहर जिलेटिन की छड़ें लगाने के लिए किया गया था और जिसके बारे में विक्रोली पुलिस स्टेशन में चोरी का मामला दर्ज था, ठाणे में वाजे के अपार्टमेंट में पार्क किया गया था, लेकिन उसने कुछ नहीं बोला।”
फिलहाल काजी 16 अप्रैल तक राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) की कस्टडी में है। सूत्रों के मुताबिक, NIA आज काजी को इस मामले में गिरफ्तार और मुंबई की तलोजा जेल में बंद सचिन वाजे के कुछ अड्डों पर ले जा सकती है। NIA का मानना है क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (CIU) में रहने के दौरान काजी अक्सर इन जगहों पर वाजे के साथ जाया करता था।
अपर पुलिस आयुक्त वीरेंद्र मिश्रा की ओर से बताया गया है कि NIA ने API रियाजुद्दीन काजी को एक्सप्लोसिव एक्ट में गिरफ्तार किया है। इसलिए रियाजुद्दीन काजी को अगले आदेश तक के लिए निलंबित किया गया है। काजी की भूमिका स्कॉर्पियो के मालिक मनसुख हिरेन की हत्या में भी संदिग्ध है। जाँच में सामने आया है कि एंटीलिया मामले में गिरफ्तार और मुंबई की तलोजा जेल में बंद सचिन वाजे के कहने पर ही रियाजुद्दीन ने इस केस से जुड़े सबूत मिटाने की कोशिश की थी।
इस मामले में NIA काजी से 15 मार्च, 16 मार्च, 17 मार्च, 20 मार्च, 23 मार्च, 26 मार्च और 27 मार्च को कई घंटे पूछताछ कर चुकी है। काजी की भूमिका शुरू से ही इस केस में संदिग्ध बताई जा रही थी। उसे सचिन वाजे का सबसे करीबी राजदार माना जाता है। इसलिए NIA को उसके पास से कई अहम सबूत मिल सकते हैं।
गौरतलब है कि मुंबई पुलिस के पूर्व अधिकारी सचिन वाजे ने BARC के अधिकारियों से 30 लाख रुपए की रिश्वत ली थी। वाजे ने ये रिश्वत गिरफ्तारी का डर दिखाकर ली थी। रिश्वत का ये पैसा फर्जी कंपनियों में जमा कराया गया था और बाद में वाजे के दोस्त ने हवाला के जरिए अपने पास मँगाया था। जाँच में ये भी खुलासा हुआ था कि पूछताछ के नाम पर वाजे ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) के अधिकारियों को अपने पास बुलाता था और उन्हें दफ्तरों के बाहर घंटों बैठाता था। वाजे ने ये कहकर रिश्वत ली थी कि अब वह उन अधिकारियों के परेशान नहीं करेगा।