देश के मुस्लिम बुद्धिजीवियों का एक समूह, इंडिया फर्स्ट, बुधवार (सितंबर 25, 2019) को जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के संसद के फैसले के समर्थन में आगे आया है।
इंडिया फर्स्ट ने अपने एक पत्र के माध्यम से कहा, “भारत एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में अपने संविधान द्वारा शासित है। बिना किसी अपवाद के संसद का प्रत्येक अधिनियम मानना हम सभी के लिए अनिवार्य है। जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इस पर कोई समझौता या आत्मसमर्पण नहीं हो सकता है।” साथ ही इसमें कहा गया कि आपसी तालमेल और अंतर-व्यक्तिगत बंधन के नए पुलों के पुनर्निर्माण करने की आवश्यकता थी।
पत्र में कश्मीर घाटी में मौजूदा स्थितियों और प्रस्तावों के कारण पीड़ितों पर भी चिंता व्यक्त की गई है। इसमें कहा गया है कि राजनीतिक बंदियों की जल्द रिहाई और पूर्ण सामान्य स्थिति की बहाली राष्ट्रविरोधी, और भारत विरोधी ताकतों को हराने के लिए सबसे अच्छा निवारक हो सकती है। जो पड़ोसी देश के साथ ही हमारे देश में भी सक्रिय हैं।
इस पत्र में कहा गया, “इन्सानियत, कश्मीरियत और सभी हिंदुस्तानी से ऊपर हमें समझ और अंतर-व्यक्तिगत बांडों के नए पुलों के पुनर्निर्माण के लिए स्थान और अवसर प्रदान करते हैं।” पत्र में लिखा गया है, “राजनीतिक नेतृत्व के साथ जुड़ाव, बेहतर मीडिया पहुँच, सामाजिक गतिशीलता में वृद्धि और सामाजिक पदाधिकारियों के साथ परामर्श पूर्ण रूप से सामान्य स्थिति को बहाल करने की प्रक्रिया में तेजी ला सकता है।”
A group of #Muslim intellectuals within the country, India First, have come forward in support of the Parliament’s decision to abrogate provisions of #Article370 which gave special status to #JammuAndKashmir on Wednesday.#DCNation https://t.co/H3IW5nsoOT
— Deccan Chronicle (@DeccanChronicle) September 25, 2019
साथ ही फर्स्ट इंडिया ने पत्र में लिखा है कि कश्मीर के लोगों को पाकिस्तान के नापाक मंसूबे को समझना चाहिए। उन्होंने हर कश्मीरी से अपील की है कि वो देश के तिरंगे को राष्ट्रवादी भावना के साथ ऊपर उठाएँ, क्योंकि देश के हर हिस्से में हर कश्मीरी का खुले हाथों से स्वागत किया गया है।