बंगाल के संदेशखाली में हालातों का मुआएना करने पहुँची भारतीय जनता पार्टी की 6 महिला सांसदों की टीम को बंगाल पुलिस ने पीड़ितों से मिलने से रोक दिया। प्रतिनिधि मंडल ने हाथ जोड़कर प्रार्थना भी की कि उन्हें पीड़ितों से मिलने दिया जाए ताकि न्याय दिलाने में मदद हो सके, लेकिन राज्य पुलिस उन्हें रोककर खड़ी रही। इस बीच राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा बनाई गई टीम की जाँच के निष्कर्ष भी सामने आए, जो काफी हैरान करने वाले हैं।
#WATCH | West Bengal: The 6-member BJP delegation constituted by party national president JP Nadda to visit Sandeshkhali has been stopped by Police. pic.twitter.com/k0xQoYUQs8
— ANI (@ANI) February 16, 2024
NCW ने बताया कि उनका फैक्ट फाइंडिंग मिशन संदेशखाली में 12 फरवरी 2024 को चलाया गया था। टीम ने जानने की कोशिश की थी कि इलाके में हुई हिंसा और उत्पीड़न के मामलों में पुलिस ने क्या एक्शन लिया। जाँच के बाद टीम ने संदेशखाली में बंगाल सरकार और कानून प्रवर्तन अधिकारियों की ओर से लापरवाही और मिलिभगत का एक चिंताजनक पैटर्न पाया।
Scathing statement issued by National Commission for Women after its team visits #Sandeshkhali in #WestBengal
— Kanchan Gupta 🇮🇳 (@KanchanGupta) February 15, 2024
Intimidation, fear, censorship used to silence women; NCW says voices of victims of atrocities being throttled.
(This statement has been issued by a statutory body of… pic.twitter.com/SYa3Xh8NjF
हालात देखकर टीम की सदस्य बनकर गई डेलिना खोंगडुप ने तो गहरी निराशा जताई। उनकी जाँच में प्रशासन ने उन्हें कोई मदद नहीं दी। डीजीपी ने सहयोग करने से मना कर दिया और एसपी ने भी उन्हें किसी तरह की जानकारी देने से इनकार किया। वहीं ग्रामीण महिलाओं ने जो गवाही दी उससे उनमें पसरे भय और व्यवस्थित उत्पीड़न के बारे में पता चला। मालूम चला कि कैसे टीएमसी के सदस्य और पुलिसकर्मी उन्हें परेशान करते हैं। जो महिलाएँ बोलने का प्रयास करती हैं उन्हें फौरन विरोध झेलना पड़ता है। उनके घर के पुरुषों को गिरफ्तार कर लिया जाता है आदि-आदि।
एनसीडब्ल्यू ने बताया कि संदेशखली ग्रामवासियों की ओर से हस्ताक्षरित एक सामूहिक बयान में, गाँव की महिलाओं ने उत्पीड़न, यातना और उनकी गरिमा और अधिकारों के घोर उल्लंघन सहित उनके द्वारा सहन की गई पीड़ाओं का विवरण दिया। इसके अलावा एनसीडब्लू की टीम ने ये भी बताया कि उन्होंने एक महिला की गवाही को कैमरे पर रिकॉर्ड किया था लेकिन बाद में उसे डिलीट करना पड़ा क्योंकि महिला अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हो गई और उनके आगे उसे डिलीट कराने के लिए गिड़गिड़ाने लगी।
आयोग ने कहा कि महिलाओं को मिल रही ऐसी धमकी और सेंसरशिप को देखते हुए तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत है। एनसीडब्ल्यू अध्यक्ष रेखा शर्मा आने वाले दिनों में संदेशखली का दौरा करेंगी और पुलिस व पीड़ितों से बातचीत करेंगी ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि पश्चिम बंगाल में महिलाओं की जिंदगी और स्वतंत्रता की रक्षा की जा सके। एनसीडब्लू ने इस पूरे मामले में संदेशखाली में महिलाओं के साथ एकजुटता दिखाई है और उन्हें न्याय दिलाने का वादा किया है। इससे पहले SC आयोग ने भी इस मामले में जाँच के बाद कहा था कि लोग बहुत कुछ बोलना चाहते हैं पर उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा।