अशोका यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर ने भगवान राम का उड़ाया मजाक, राष्ट्रपति को कर रहा था ट्रोल

नीलांजन सरकार (साभार: ट्विटर)

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर राष्ट्रपति भवन में उनके पोर्ट्रेट (portrait) का अनावरण किया था। इसके बाद गिरोह विशेष के ‘पत्रकारों’ और नेताओं ने ने झूठा दावा किया कि पोर्ट्रेट बंगाली अभिनेता प्रसनजीत चटर्जी का है। दरअसल चटर्जी ने ‘गुमनामी’ फिल्म में नेताजी का किरदार निभाया था। 

ऐसा ही दावा अशोका यूनिवर्सिटी के सहायक प्राध्यापक (असिस्टेंट प्रोफेसर) नीलांजन सरकार ने किया। कई लोगों ने इस फ़ेक न्यूज़ की मदद से मोदी सरकार पर कीचड़ उछालने का प्रयास किया था, लेकिन नीलांजन ने भाजपा सरकार की आलोचना करने की आड़ में भगवान श्रीराम का उपहास किया। वह अशोका यूनिवर्सिटी में राजनीतिक विज्ञान (पॉलिटिकल साइंस) के असिसटेंट प्रोफेसर पद पर कार्यरत है। उसने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया है। 

उसने अपने ट्वीट में लिखा था, “वाकई शानदार! यह नेताजी सुभाष चंद्र बोस नहीं हैं, ये मशहूर बंगाली अभिनेता प्रसनजीत चटर्जी की तस्वीर है, जिन्होंने एक फिल्म में नेताजी की भूमिका निभाई थी।” 

जब ट्वीट में किया गया उसका दावा झूठा साबित हो गया तब उसने हिन्दू आस्था पर तंज करना शुरू कर दिया। ट्वीट के अगले हिस्से में उसने लिखा, “और ये सब नेताजी के कार्यक्रम में ‘जय श्रीराम चिल्लाने के बाद। आज़ादी के बाद के दौर के राजनीतिक नेताओं का दिवालियापन।” 

प्रोफेसर के ट्वीट का स्क्रीनशॉट (साभार: Befittingfacts)

वामपंथ परस्तों और लिब्राट गैंग के लोगों की हमेशा से यही रणनीति रही है। राजनीतिक समालोचना की आड़ लेकर हिन्दू देवी-देवताओं को निशाना बनाना या उन पर दोयम दर्जे का कटाक्ष करना। सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के मुताबिक़ नीलांजन सरकार उस संस्थान में ही सीनियर विजिटिंग फेलो भी है। वेबसाइट में लिखा है, “मिस्टर सरकार का सबसे नया काम भारत के प्रदेश चुनावों पर केंद्रित था, जिसे डाटा वर्क (data work) और नृवंशविज्ञान (ethnographic) के आधार पर तैयार किया गया था। वह उन सिद्धांतों को समझना चाहते हैं जिनसे भारतीय मतदाताओं के निर्णय लेने की प्रक्रिया प्रभावित होती है, जो कि विकासशील देशों में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर प्रकाश डाल सकता है।” 

नेताजी पोर्ट्रेट विवाद

नीलांजन सरकार का ट्ववीट कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में हुए उस इवेंट से संबंधित था, जिसमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई गई थी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मंच छोड़ कर जाने लगी थीं और उन्होंने जनता को संबोधित करने से भी मना कर दिया था। इसकी वजह यह थी कि उनके बोलने से पहले ‘जय श्रीराम और भारत माता की जय’ के नारे लगाए गए थे। जय श्रीराम के नारे से गुस्सा होकर ममता बनर्जी ने कहा कि इस ‘अपमान’ की वजह से वह कुछ भी नहीं बोलेंगी। 

हटाया था निधि राजदान को हार्वर्ड प्रोफेसर बताने वाला लिंक

हाल ही में अशोका यूनिवर्सिटी ने बताया था कि वह अपने सारे ट्वीट और पोस्ट हटाएगी जिसमें निधि राजदान का परिचय बतौर हार्वर्ड प्रोफेसर किया गया है। इसके पहले निधि राजदान ने दावा किया था कि उन पर फिशिंग अटैक (phishing attack) हुआ है और उन्हें हार्वर्ड से इस तरह का कोई ऑफर नहीं आया था।           

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया