नेपाल में तबाही मचाने वाले भूकंप को देखने के बाद आईआईटी कानपुर के एक साइंटिस्ट ने भविष्य में आने वाले खतरे पर बात की है। साइंटिस्ट ने कहा है कि ये कम मैग्नीट्यूड के ज्यादा भूकंप आना एक बड़े भूकंप के आने की आशंका है।
साइंटिस्ट का नाम प्रोफेसर जावेद मलिक है। आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा- “एक ही जगह पर बार-बार भूकंप आना चिंताजनक बात है। इसके अलावा कम मैग्नीट्यूड के ज्यादा भूकंप आना भी एक बड़े भूकंप की आशंका है। उनके मुताबिक अगर यही हाल रहा तो इससे भारत का उत्तराखंड भी प्रभावित हो सकता है।”
उन्होंने बताया कि ये एक ट्रेंड देखा गया है कि नेपाल में आने वाले भूकंप वेस्ट की तरफ बढ़ रहे हैं। अगर ऐसा ही रहा तो इसका दुष्प्रभाव उत्तराखंड पर पड़ेगा। संभव है उत्तराखंड में भी ऐसा बड़ भूकंप आए। अनुसंधान के दौरान यह भी सामने आया है कि दरारों में जब पानी जाता है तो उससे वाटर प्रेशर बनता है और उसकी वजह से भूकंप की आशंका बढ़ जाती है।
जानकारी के मुताबिक आईआईटी कानपुर में एक प्रोजेक्ट के चलते फॉल्ट लाइंस को मार्क किया गया जहाँ भूकंप आने की आशंका है या वहाँ भविष्य में प्लेट्स खिसक सकती है। उनकी इस स्टडी से अर्बन डेवलपर्स और प्लॉनर्स को आसानी होगी।
उन्हें पता चलेगा कि किन जगहों पर भारी कंस्ट्रक्शन और प्रोजेक्ट्स नहीं लाने हैं ताकि भूकंप की आशंका से सुरक्षित रहा जा सके। इस स्टडी ने यह भी अनुमान लगाया है कि अगर भूकंप आएगा तो कितने मैग्नीट्यूड का आएगा।
बता दें कि नेपाल में शुक्रवार को आए भूकंप से भारी तबाही मची। जिसमें 129 लोगों की मौत हुई जबकि कई घायल हो गए। भूकंप का सबसे ज्यादा प्रभाव रुकूम पश्चिम और जाजरकोट में पड़ा। किसी परिवार ने अपने घर के कई सदस्यों को खो दिया तो कहीं पूरा परिवार तबाह हो गया।
द काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट बताती है कि जिस समय भूकंप आया उस समय पंफा रावत जाजरकोट से भारत में अपने बेटे से बात कर रही थीं। अचानक भूकंप आया, घर गिरा और वो उनके पति और दो बेटे मलवे में समा गए। पड़ोसियों ने मशक्कत से उन लोगों को वहाँ से निकाला जब उनकी जान बच पाई। इसी तरह एक परिवार के 6 के 6 सदस्य भूकंप के कारण चल बसे।
सीडीओ सुनार ने बताया कि जिले में जितने पत्थर और मिट्टी के घर थे सभी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। वो लोग अब भी राहत-बचाव कार्य कर रहे हैं। घायलों को इलाज देने का प्रयास हो रहा है मगर स्वास्थ्यकर्मियों, उपकरणों और दवाइयों की कमी के कारण दिक्कत आ रही है। हालात ये हैं कि अभी कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सका है कि इस भूकंप ने कितनी तबाही मचाई
ऐसे ही रुकुम वेस्ट में इस आपदा से 52 से ज्यादा लोगों की जान गई। एक स्थानीय ने सुनाया कि कैसे एक घर में कुछ मेहमान आ रहे थे वो लोग भी इस भूकंप के कारण मलवे में दबकर मर गए। ऐसी कहानी सरस्वती की भी है। सरस्वती ने बताया कि जब घर गिरा तो वो बेहोश हो गई थीं। होश में आने के बाद पता चला कि उनकी बेटी और नाति-नातिन अब इस दुनिया में नहीं।
इस भूकंप में नालागड़ की डिप्टी मेयर सरिता सिंह की भी मृत्यु हो गई। खालंगा में घर गिरने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन रास्ते में उनकी मौत हो गई। बताया जा रहा है कि नेपाली कॉन्ग्रेस की ओर से वो डिप्टी मेयर पिछले सार बनी थीं। लेकिन एक भूकंप ने उनके राजनैतिक करियर के साथ उनकी जिंदगी भी उनसे ले ली।