नेपाल की संसद ने देश के विवादित राजनीतिक नक्शे को लेकर पेश किए गए संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस दौरान सदन में 275 में से मौजूद रहे सभी 258 सांसदों ने विधेयक को अपना समर्थन दिया है। इसके साथ ही कहा जा रहा है कि भारत से चल रहे सीमा विवाद पर बातचीत की गुंजाइश को लगभग विराम लग गया है। हालाँकि, भारत ने इस पर अपना सख्त जवाब दिया है।
Nepal’s Parliament passes amendment to include the new map which includes Kalapani, Lipulekh and Limpiyadhura in the Constitution of Nepal. pic.twitter.com/ZnDR6F2boi
— ANI (@ANI) June 13, 2020
शनिवार (13 जून, 2020) को नेपाल की संसद में पेश किए गए संविधान संशोधन विधेयक को लेकर हुई वोटिंग के दौरान विपक्षी नेपाली काँन्ग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी- नेपाल ने भी विधेयक के पक्ष में मतदान किया।
निचले सदन से पारित होने के बाद अब विधेयक को नेशनल असेंबली में भेजा जाएगा, जहाँ उसे एक बार फिर इसी प्रक्रिया से होकर गुजरना होगा। नेशनल असेंबली से विधेयक के पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद इसे संविधान में शामिल किया जाएगा।
वहीं नेपाल के इस कदम पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम इस मामले में अपना पक्ष साफ कर चुके हैं। इस तरह का कृत्रिम विस्तार ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है। यह कदम सीमा मुद्दे पर आपसी बातचीत और समझ के खिलाफ भी है।
This artificial enlargement of claims is not based on historical fact or evidence and is not tenable. It is also violative of our current understanding to hold talks on outstanding boundary issue: Ministry of External Affairs https://t.co/tW9jfddhwW
— ANI (@ANI) June 13, 2020
दरअसल, विवादित नक्शे के खिलाफ शुक्रवार से ही नेपाल की राजधानी काठमांडू में लोग सड़कों पर उतर आए थे और इस राजनीतिक नक्शे के खिलाफ जगह-जगह विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया था।
यह विरोध प्रदर्शन सैकड़ों लोगों की संख्या की मौजूदगी में ऐसे समय में किए जा रहे थे कि जब पूरा विश्व कोरोना महामारी के संकट से जूझते हुए इससे बचाव करने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहा है।
इन विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने मीडिया के माध्यम से प्रदर्शनकारियों से अपील की थी कि वो किसी भी प्रकार के सरकार विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा ना लें। इससे गलत संदेश जाएगा। सभी राजनीतिक दलों ने इसका समर्थन कर एकजुटता दिखाई है। इसलिए आम लोगों को भी सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि सरकार का साथ देते हुए नक्शा पास होने की खुशी में प्रदर्शन करना चाहिए।
दरअसल, नेपाल ने 18 मई को नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था। इसमें कालापानी, लिपुलेख और लिमिपियाधुरा को अपने क्षेत्र के रूप में दिखाया था। नेपाल ने अपने नक़्शे में कुल 335 वर्ग किलोमीटर के इलाके को शामिल किया था। इसके बाद 22 मई को संसद में संविधान संशोधन का प्रस्ताव पेश किया था।
इस पर भारत के विदेश मंत्रालय ने नेपाल को भारत की संप्रभुता का सम्मान करने की नसीहत दी थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था, “हम नेपाल सरकार से अपील करते हैं कि वो ऐसे बनावटी कार्टोग्राफिक प्रकाशित करने से बचें। साथ ही भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें।”
ये इलाके भारत की सीमा में आते हैं। वहीं सोशल मीडिया पर लोग यह आशंका भी व्यक्त करते नजर आ रहे हैं कि हो सकता है नेपाल यह सब चीन के इशारे पर कर रहा हो।
गौरतलब है कि 8 मई को भारत ने उत्तराखंड राज्य के लिपुलेख दर्रे से कैलाश मानसरोवर के लिए सड़क का उद्घाटन किया था, जिसे लेकर नेपाल ने कड़ी आपत्ति जताई थी। इसके बाद ही नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था।