Thursday, November 14, 2024
Homeदेश-समाजमुर्दाघर में लाशों के बीच से पिता ने बेटे को ज़िंदा निकाला: मानने को...

मुर्दाघर में लाशों के बीच से पिता ने बेटे को ज़िंदा निकाला: मानने को तैयार नहीं था कि हो गई है मौत, उधर 7 लाशों के नीचे दबे बच्चे को भाई ने बचाया

वह अपने एक रिश्तेदार के साथ स्थानीय एंबुलेंस लेकर बालासोर के लिए निकल पड़े। 230 किलोमीटर की यात्रा करने के बाद आखिरकार वह बालासोर पहुँच तो गए। लेकिन, उन्हें उनका बेटा किसी भी हॉस्पिटल में नहीं मिला।

ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे में अब तक 275 लोगों की जान जा चुकी है। लेकिन हादसे के बाद कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मौत के मुँह को छूकर वापस आ गए। ऐसा ही एक नाम है बिस्वजीत मलिक का, जिसे मुर्दाघर में लाशों के बीच रख दिया था। लेकिन पिता की जिद के चलते वह जिंदा बच गया। वहीं, 10 साल के बच्चे देबाशीष पात्रा को उसके बड़े भाई ने 7 लाशों के नीचे जिंदा निकाला है।

दरअसल, पश्चिम बंगाल के हावड़ा निवासी बिस्वजीत मलिक रेल हादसे के बाद बुरी तरह घायल हो गया था। अत्यधिक खून बहने के कारण उसके शरीर में किसी प्रकार की हरकत नहीं थी। ऐसे में उसे मृत घोषित कर मुर्दाघर में रख दिया गया था। लेकिन उसके पिता हेलाराम मलिक यह मानने को तैरने नहीं थे कि उनके बेटे की मौत हो गई है। उन्होंने अपने बेटे बिस्वजीत को फोन किया। लेकिन दूसरी तरफ से सिर्फ कराहने की आवाज ही आ रही थी।

इसके बाद वह अपने एक रिश्तेदार के साथ स्थानीय एंबुलेंस लेकर बालासोर के लिए निकल पड़े। 230 किलोमीटर की यात्रा करने के बाद आखिरकार वह बालासोर पहुँच तो गए। लेकिन, उन्हें उनका बेटा किसी भी हॉस्पिटल में नहीं मिला। उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी और अपने बेटे की तलाश करते रहे। 

इसी बीच एक व्यक्ति ने उन्हें कहा कि यदि उनका बेटा हॉस्पिटल में नहीं मिल रहा है तो उन्हें बहानगा हाई स्कूल में बने अस्थाई मुर्दाघर में देखना चाहिए। इस पर भी उन्होंने यह स्वीकार नहीं किया कि उनके बेटे की मौत हो गई होगी। लेकिन फिर भी वह बेटे की तलाश में मुर्दाघर पहुँच गए। जहाँ उन्हें शवों को देखने की अनुमति नहीं थी। लेकिन तभी वहाँ मौजूद एक व्यक्ति ने देखा कि लाशों के बीच किसी का हाथ हिल रहा है। चूँकि हेलाराम मौके पर मौजूद थे, इसलिए उन्होंने ध्यान से देखा तो पाया कि वह हाथ किसी और का नहीं बल्कि उनके 24 वर्षीय बेटे बिस्वजीत का है। 

इसके बाद वे बिस्वजीत को एंबुलेंस से लेकर बालासोर हॉस्पिटल पहुँचे। जहाँ शुरुआती जाँचे और दवा के बाद डॉक्टर्स ने उसे कटक मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया। हालाँकि हेलाराम उसे लेकर वापस कोलकाता आ गए।जहाँ उनके बेटे का इलाज चल रहा है।

7 लाशों के बीच बड़े भाई ने बचाई छोटे की जान.

ट्रेन की टक्कर में बालासोर के स्थानीय निवासी भी हादसे का शिकार बन गए। इनमें से एक 10 वर्षीय देवाशीष पात्रा बुरी तरह से घायल है। उसके चेहरे पर काफी चोट आई है। घटना के बाद वह लाशों के बीच दब गया था। उसके ऊपर एक, दो नहीं बल्कि 7 लाशों का वजन था। घटना की जानकारी मिलने के बाद देबाशीष का बड़ा भाई शुभाशीष जो कि 10वीं का छात्र है वह मौके पर पहुँचकर अपने भाई की तलाश में जुट गया।

घनघोर अंधेरे और लोगों की चीख पुकार व लाशों को देखने के बाद भी उसकी तलाश बंद नहीं हुई। इसके बाद शनिवार (3 जून, 2023) को स्थानीय ग्रामीणों की सहायता से शुभाशीष ने 7 लाशों के नीचे से अपने भाई को जिंदा निकाल लिया।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

अमेरिकी कैंपसों को ‘मेरिट’ वाले दिन लौटाएँगे डोनाल्ड ट्रंप? कॉलेजों को ‘वामपंथी सनक’ से मुक्त कराने का जता चुके हैं इरादा, जनिए क्या है...

ट्रम्प ने कहा कि 'कट्टरपंथी मार्क्सवादी सनकी' ने कॉलेजों में घुसपैठ की है और करदाताओं के पैसे को अपने वैचारिक एजेंडे को फैलाने में लगाया है।

पानी की बोतलों में थूक रहा मौलवी, लेने के लिए मुस्लिमों में मची होड़: Video वायरल, जानिए इस्लाम में ‘थूक’ कितने काम की… कैसे...

एक मुस्लिम मौलवी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें वह यहाँ मौजूद लोगों की बोतलों में सूरा (इस्लामिक प्रार्थनाएँ) पढ़ने के बाद थूक रहा है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -