दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार किए पाकिस्तानी आतंकी अशरफ का बिहार कनेक्शन सामने आ गया है। बिहार के किशननगंज में ही एक सरपंच ने उसका पहचानपत्र बनवाया था। वह बांग्लादेश के रास्ते भारत आया था। जाँच एजेंसियों को पूछताछ में उसने बताया है कि वो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के कहने पर दावत ए इस्लामी संस्था से जुड़ा हुआ था।
रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकी अशरफ पहले बांग्लादेश के रास्ते भारत में घुसा और बिहार पहुँचा। लेकिन जब वहाँ उसकी दाल नहीं गली तो अजमेर पहुँचा, जहाँ उसकी मुलाकात बिहार के किशनगंज के रहने वाले कुछ युवकों से हुई। उनसे जान पहचान बढ़ाने के बाद वह बिहार पहुँचा और किशनगंज गया। वहाँ एक सरपंच ने उसका पहचान पत्र बनवाया। इसके बाद वह उसी के सहारे दिल्ली गया। स्पेशल सेल के एक अधिकारी ने बताया है कि अशरफ उर्फ अली अहमद नूरी दिल्ली के शास्त्री पार्क में जिस घर में किराए से रहता था वहाँ मकान मालिक से बिजली का बिल लेकर 2013 में पासपोर्ट भी बनवा लिया।
बाद में पासपोर्ट के जरिए उसने चार-पाँच बार विदेशों की यात्राएँ भी की। इससे पहले उसने 2010 में तुर्कमागन गेट में हैंडीक्राफ्ट का काम शुरू किया। 2012 में उसने ज्वेलरी शॉप भी ओपन की थी। 2014 में जादू-टोना करना भी सीखा था। इसके बाद वह मौलवी बना। इसके बहाने वह लोगों के घर में घुसता था और उनसे दोस्ती कर उन्हें जिहादी बनाने की कोशिश करता था। इसके अलावा स्पेशल सेल की जाँच में इस बात का खुलासा हुआ है कि वेस्टर्न यूपी के पाँच युवक भी उसकी मदद करते थे। बड़ी बात ये है कि इन सभी को ये बात अच्छी तरह से पता थी कि वो पाकिस्तानी नागरिक है।
पाकिस्तान से अशरफ को हर महीने सैलरी के तौर पर यूनियन मनी ट्रांसफर से 20,000-25,000 रुपए मिलते थे। इसके अलावा 10-15 हजार वो भी कमा लेता था। अब दिल्ली पुलिस इस मामले में बिहार के कई लोगों के भी बयान दर्ज करने की तैयारी कर रही है।