मोदी 2.0 के आते ही और अमित शाह के गृह मंत्री बनने से सबसे ज्यादा भूचाल जम्मू कश्मीर में देखने को मिल रहा है। जम्मू-कश्मीर में भ्रष्टाचार की जड़ बन चुके जम्मू एंड कश्मीर बैंक के आला अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू हो चुकी है। जम्मू कश्मीर प्रशासन ने आज J&K बैंक के सर्वेसर्वा चेयरमैन और बोर्ड डायरेक्टर परवेज़ अहमद को पद से हटाकर आर के छिब्बर को नया चेयरमैन और बोर्ड डायरेक्टर नियुक्त कर दिया। जम्मू-कश्मीर सरकार ने जम्मू एंड कश्मीर बैंक के चेयरमैन परवेज अहमद को हटा दिया है। यह जानकारी सरकार के अतिरिक्त वित्त सचिव ने दी है।
शनिवार (जून 08, 2019) को जम्मू-कश्मीर सरकार के अतिरिक्त वित्त सचिव विशाल शर्मा ने एक आदेश में कहा, “चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक परवेज अहमद के बैंक के निदेशक मंडल में निदेशक बने रहने पर रोक लगा दी गई है। ऐसे में अब वह निदेशक मंडल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक नहीं हैं।”
इसी बीच परवेज़ अहमद को पद से हटाए जाने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने J&K बैंक के हेडक्वार्टर में छापेमारी भी की है।
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— News18 India (@News18India) June 8, 2019
जम्मू कश्मीर बैंक के चेयरमैन को पद से हटाए जाने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो की छापेमारी. जानें क्या है पूरा मामला. pic.twitter.com/O10P8RK4uS
J&K बैंक में आजादी के बाद पहले नॉन-कश्मीरी चेयरमैन होंगे छिब्बर
छिब्बर आजादी के बाद पहले नॉन-कश्मीरी चेयरमैन होंगे। मतलब साफ है कि J&K बैंक में फैले कश्मीरियों के वर्चस्व को तोड़ा जाना शुरू हो गया है। परवेज अहमद को पद से हटाए जाने के बाद आज स्टेट विजिलेंस की टीम ने J&K बैंक के श्रीनगर स्थित हेडक्वार्टर पर छापेमारी शुरू कर दी, जो फिलहाल बैंक के कागजात की छानबीन कर रही है। संभावना जताई जा रही हैं कि भ्रष्टाचार और भर्तियों में धाँधली के आरोप में पूर्व चेयरमैन परवेज़ अहमद को गिरफ्तार भी किया जा सकता है।
Internal Surgical Strike is need of the hour… Another good step by govt wherein incumbent Chairman #JKBank has been sacked. We urge govt to appoint Mr R K Chibber as full time chairman instead of some kind of temporary internal arrangement.
— IkkJutt Jammu (@IkkJutt_Jammu) June 8, 2019
Mr Chibber hails from #Jammu pic.twitter.com/UuopD83esQ
J&K बैंक का इतिहास और भ्रष्टाचार- धाँधली की दास्तान
J&K बैंक को 1938 में महाराजा हरि सिंह ने स्थापित किया था। आजादी के बाद ये स्टेट के कब्जे में आ गया। इसके बाद इसमें भर्तियों में धाँधली और पैसों के अवैध लेन-देन का अड्डा बन गया, जिसमें कश्मीर घाटी के लोगों का कब्जा रहा। पिछले साल इसके 80 साल का जश्न मनाया था। इस कार्यक्रम में J&K बैंक के संस्थापक महाराजा हरि सिंह का या उनकी तस्वीर तक का कोई जिक्र नहीं था। यहाँ तक कि ऑफिशियल वेबसाइट में भी महाराजा हरि सिंह या फिर उन अधिकारियों का, जिन्होंने इसको स्थापित किया, उनका भी कोई जिक्र नहीं मिलता है।
सार्वजनिक होने के बावजूद RTI के दायरे से है बाहर
J&K बैंक में सांस्थानिक दादागिरी ऐसी है कि पब्लिक बैंक होने के बावजूद भी इस बैंक को आरटीआई के दायरे में नहीं लाया गया। राज्य सरकार के तमाम कर्मचारियों की सैलरी इसी बैंक के जरिए आती है। इसके अलावा ये बैंक पब्लिक बैंक होने के नाते हमेशा सरकारी सहायता लेता रहा है। लेकिन बदले में ऑटोनोमी के नाम पर इसने हमेशा प्राइवेट बैंक की तरह रवैया बनाए रखा और सरकार के प्रति कभी उत्तरदायी नहीं रहा।
बैंक के अधिकारियों पर है हवाला के पैसों से आतंकवाद फ़ैलाने में मदद करने के आरोप
J&K बैंक में कर्मचारियों की भर्ती में हमेशा आला अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और पारदर्शिता न अपनाए जाने के आरोप लगते रहे, लेकिन कभी कोई कार्रवाई या जाँच नहीं हुई। इसके अलावा, बैंक के अधिकारियों पर हवाला के पैसों का हेर-फेर करने के भी आरोप लगते रहे हैं, जिनका उपयोग कश्मीर में आतंकवाद फैलाने में किया जाता रहा है। लेकिन इसको लेकर भी कभी जाँच नहीं हुई।
2018 में क्लर्क की भर्ती में कश्मीरी अभ्यर्थियों को जम्मू क्षेत्र के अभ्यर्थियों के मुकाबले कम अंक आने के बावजूद भी प्राथमिकता दी गई। जब जम्मू के अभ्यर्थियों ने सवाल उठाये तो राज्य प्रशासन के दवाब में मामले को दबाने के लिए परीक्षा पास न करने वाले कश्मीरी अभ्यर्थियों को निकाले बिना जम्मू के अभ्यर्थियों को भी भर्ती कर लिया गया। ।
J&K बैंक KYC (Know Your Customer) के नियमों को फॉलो नहीं करता है। जिसके चलते रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंक पर ₹3 करोड़ का फाइन भी लगाया था। इसके अलावा इस बैंक के नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स, यानी NPA भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं।