कोरोना वायरस के संक्रमण की शुरुआत के साथ ही देश में कई ऐसी खबरें आईं, जिन्होंने सभी के हृदय को झकझोर कर रख दिया। चीन की इस महामारी ने न जाने कितनों के घर उजाड़ दिए और ऐसा दुख दिया, जिससे जीवन भर न उबरा जा सके। कई लोगों के सगे-संबंधी उन्हें छोड़कर इस दुनिया से चले गए तो कइयों को व्यापार या नौकरी में ऐसा नुकसान हुआ, जिसकी भरपाई करना उनके लिए लगभग असंभव है। ऐसी ही खबरों के बीच बिहार के पटना से एक हृदय विदारक खबर आई, जिसे पढ़कर किसी का भी मन व्यथित हो जाए।
प्रभात कुमार नालंदा के इस्लामपुर के निवासी थे लेकिन रामकृष्ण नगर की मधुबन कॉलोनी में किराए के मकान में रहते थे और पटना जंक्शन के पास हार्डवेयर की एक दुकान चलाते थे। पत्नी से अनबन थी तो वह अपने मायके बिहटा में रहती थी। प्रभात के साथ उनकी 6 साल की मासूम बेटी रहती थी। कुछ दिनों पहले ही प्रभात का स्वास्थ्य खराब हुआ। उन्हें बुखार और साँस लेने में समस्या हुई। अपने दोस्त से उन्होंने इसकी चर्चा की तो दोस्त ने घर पर रह कर आराम करने की सलाह दी।
कई दिनों तक खराब स्वास्थ्य के चलते प्रभात कुमार की मृत्यु हो गई। मासूम बेटी को इसका अंदाजा भी नहीं था कि उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं। अबोध बच्ची अपने पिता के शव के पास बैठी रही और रात होने पर शव के साथ सो भी गई। सुबह उठी तो अपने पिता के फोन पर वीडियो गेम खेलने लगी।
मंगलवार को मकान मालिक मनोहर जब कमरे में पहुँचे तो प्रभात को बिस्तर पर लेटा हुआ पाया। बेटी ने बताया कि उसके पिता सो रहे हैं। मनोहर ने बच्ची को बिस्किट का पैकेट दिया और चले गए।
तीन दिन से जब प्रभात कुमार अपनी दुकान नहीं पहुँचे तब उनके दोस्त राजेश ने हालचाल जानने के लिए उन्हें फोन किया। फोन बच्ची ने ही उठाया और कहा कि पापा सो रहे हैं, जग नहीं रहे। कुछ देर बाद राजेश ने वीडियो कॉल किया और बच्ची से कहा कि वह फोन का कैमरा अपने पिता की तरफ करे। प्रभात कुमार के शरीर में कोई हरकत न दिखने पर राजेश ने कोरोना हेल्पलाइन पर इसकी सूचना दी।
सूचना मिलने पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी घटना स्थल पर पहुँचे। चूँकि मृतक प्रभात कुमार में कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण थे, ऐसे में उनके शव का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत किया गया। बच्ची को फिलहाल मकान मालिक को सौंप दिया गया।