ज्ञानवापी विवादित ढाँचे में शिवलिंग मिलने के बाद अब मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर नई याचिका दायर हुई है, जिसमें इसे तत्काल सील करने की माँग की गई है। आशंका जताई गई है कि वहाँ सबूत मिटाए जा सकते हैं, ऐसे में उसे सील करने का आदेश देकर अदालत साक्ष्य की सुरक्षा सुनिश्चित करे। मुथरा सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने ये याचिका दायर की है, जो लंबे समय से श्रीकृष्ण जन्मभूमि की मुक्ति की लड़ाई लड़ रहे हैं।
इस याचिका में माँग की गई है कि न सिर्फ शाही ईदगाह मस्जिद में सुरक्षा कड़ी की जाए, बल्कि अंदर आने-जाने पर भी रोक लगे और इसके लिए एक विशेष सुरक्षा अधिकारी की नियुक्ति की जाए। दरअसल, महेंद्र प्रताप का कहना है कि अगर श्रीकृष्ण जन्मभूमि के अवशेषों के साथ छेड़छाड़ की गई तो इस स्थल का चरित्र बदल जाएगा और फिर इसकी मुक्ति के लिए जो मामला न्यायालय में चल रहा है, उसका कोई आधार ही नहीं रह जाएगा।
बताया जा रहा है कि इस याचिका पर आज मंगलवार (17 मई, 2022) को सुनवाई की जा सकती है। याचिका में कहा गया है कि हिन्दू प्रतीक चिह्नों को नष्ट होने से बचाने के लिए मस्जिद को सील किया जाना आवश्यक है। माँग की गई है कि ज्ञानवापी की तर्ज पर यहाँ भी CRPF तैनात की जाए। याचिका के साथ वाराणसी कोर्ट के आदेश की प्रति भी सौंपी गई है, जिसमें शिवलिंग मिलने के बाद वजूखाने को सील कर कर के नमाज पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
ज्ञानवापी मामले में हिन्दू पक्ष का कहना है कि अभी तो पूरे परिसर का सर्वेक्षण ही नहीं हो सका है। यहाँ पश्चिमी ओर 72 फीट की लंबाई, 30 फीट की चौड़ाई और 15 फीट की ऊँचाई में मलबा पड़ा है। उसके किनारे-किनारे 15 फीट की दीवार उठा दी गई है। दावा है कि कमीशन अभी वहाँ अपनी कार्यवाही नहीं कर पाया। वादी डॉ सोहनलाल आर्य ने इस मलबे को लेकर कहा, “मेरा मानना है कि यह वाद शृंगार गौरी से संबंधित है और पुराणों व विभिन्न प्रकरणों में उल्लिखित शृंगार गौरी स्थल तक कमीशन की कार्यवाही पूरी नहीं हुई है। इसलिए इसे दूसरे चरण में कराने के लिए अलग से प्रार्थना पत्र देंगे।”