Sunday, September 8, 2024
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‘ग्लोबल खतरों से निपटने का तरीका भी हो ग्लोबल’: देश में पहली बार लॉयर्स कॉन्फ्रेंस, बोले PM मोदी- पंचायतों से विवादों का निपटारा हमारे संस्कार

प्रधानमंत्री मोदी बोले, “साइबर टेररिज्म हो, मनी लॉन्ड्रिंग हो, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हो... इनके दुरुपयोग की भरपूर आशंकाएँ हैं। ऐसे अनेक मुद्दों पर सहयोग के लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क तैयार करना सिर्फ किसी शासन या सरकार से जुड़ा मामला नहीं है। इसके लिए अलग-अलग देश में लीगल फ्रेमवर्क को भी एक दूसरे से जोड़ना होगा। जैसे हम एयर ट्रैफिक कंट्रोल के लिए मिलकर काम करते हैं, वैसे ही अलग-अलग डोमेन में काम करना होगा।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई भारत ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय वकील सम्मेलन (International Lawyers Conference) का आयोजन शनिवार (23 सितंबर 2023) को किया गया। इसे बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित किया गया है। 

अंतरराष्ट्रीय वकीलों के सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन वसुधैव कुटुंबकम की भारत की भावना का प्रतीक बन गई है। किसी भी देश के निर्माण में वहाँ की कानूनी बिरादरी की बहुत बड़ी भूमिका होती है। भारत में वर्षों से न्यायतंत्र भारत की न्याय व्यवस्था के संरक्षक रहा है।”

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “भारत ने हाल ही में आजादी के 75 साल पूरे किए हैं। आजादी की लड़ाई में कानूनी बिरादरी ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई। स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए कई वकीलों ने अपनी प्रैक्टिस छोड़ दी। दुनिया आज भारत पर विश्वास स्वतंत्र न्यायपालिका की वजह से करता है।”

देश-विदेश से आए कानूनविदों के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हम आज 21वीं की ऐसी दुनिया में रह रहे हैं, जो डिप्ली कनेक्ट है। हर लीगल इंस्टीट्यूशन अपने जूरिडिक्शन को लेकर बहुत सचेत है, लेकिन ऐसी कई ताकतें हैं जिनके खिलाफ हम लड़ रहे हैं। वे बॉर्डर्स या जूरिडिक्शंस की परवाह नहीं करतीं। जब खतरे ग्लोबल हैं तो उनसे निपटने का तरीका भी ग्लोबल होना चाहिए।”

प्रधानमंत्री मोदी बोले, “साइबर टेररिज्म हो, मनी लॉन्ड्रिंग हो, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हो… इनके दुरुपयोग की भरपूर आशंकाएँ हैं। ऐसे अनेक मुद्दों पर सहयोग के लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क तैयार करना सिर्फ किसी शासन या सरकार से जुड़ा मामला नहीं है। इसके लिए अलग-अलग देश में लीगल फ्रेमवर्क को भी एक दूसरे से जोड़ना होगा। जैसे हम एयर ट्रैफिक कंट्रोल के लिए मिलकर काम करते हैं, वैसे ही अलग-अलग डोमेन में काम करना होगा।”

भारत की पंचायती व्यवस्था को बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत में सदियों से पंचायत के जरिए विवादों के निपटान की व्यवस्था रही है। यह हमारे संस्कार में रहा है। इस इनफॉर्मल व्यवस्था को एक व्यवस्थित रूप देने के लिए भारत सरकार ने मेडिएशन एक्ट बनाया है। भारत में लोक अदालत की व्यवस्था भी विवादों को हल करने की दिशा में बड़ा माध्यम है।”

न्यायालयों की कार्यवाही को स्थानीय भाषा में करने की व्यवस्था को लेकर PM मोदी ने कहा, “जस्टिस डिलीवरी का एक और बड़ा पहलू है, जिसकी चर्चा बहुत कम होती है। वह है भाषा और कानून की सरलता। अब हम भारत सरकार में भी सोच रहे हैं कि कानून दो प्रकार से प्रस्तुत किया जाए। एक जिस भाषा में आप लोग सरल हैं (अंग्रेजी) और दूसरा देश का सामान्य मानव समझ सके ऐसी भाषा।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्थानीय भाषा में कानून का होना इसलिए जरूरी है, क्योंकि लोगों को कानून अपना लगना चाहिए। सामने आने वाली अड़चनों का ज़िक्र करते हुए PM ने कहा, “सिस्टम इसी ढाँचे में पली-बड़ी है तो इसमें समय लगेगा। मेरे पास भी बहुत समय है तो मैं करता रहूँगा। सरकार के तौर पर अब हम भारत में नए कानून को जितना ज्यादा सरल बना सकें, जितना हो सके उतना हम भारतीय भाषाओं में उपलब्ध करा सकें, उस दिशा में हम प्रयत्न कर रहे हैं।”

यह सम्मेलन देश में पहली बार आयोजित किया जा रहा है। 23 और 24 सितंबर होने वाले इस कार्यक्रम की अध्यक्षता भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने की। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने इसका उद्घाटन किया। इस सम्मेलन में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, लॉर्ड चांसलर और यूनाइटेड किंगडम के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट फॉर जस्टिस के सदस्यों के साथ-साथ देश-दुनिया के प्रतिष्ठित न्यायाधीश, कानूनी पेशेवर शामिल हैं। सम्मेलन में कानूनी रुझान, सीमा पार मुकदमेबाजी की चुनौतियाँ, कानूनी प्रौद्योगिकी, पर्यावरण कानून जैसे कई विषयों पर चर्चा होगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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