प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शनिवार (28 अगस्त) को जलियाँवाला बाग के पुनर्निर्मित परिसर का उद्घाटन किया। पंजाब के अमृतसर में जलियाँवाला बाग के नए परिसर का उद्घाटन करने के बाद पीएम मोदी ने वहाँ पर मौजूद सभी लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, ”पंजाब की वीर भूमि और जलियाँवाला बाग की पवित्र मिट्टी को मेरा नमन। माँ भारती की उन संतानों को भी नमन, जिनके भीतर जलती आजादी की लौ को बुझाने के लिए अमानवीयता की सारी हदें पार कर दी गई।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पंजाब में शायद ही कोई ऐसा गाँव होगा, जहाँ वीरता और वीरता की गाथा का अभाव हो। कुटिल निगाहों से भारत माता को देखने वालों की राह में पंजाब के बेटे-बेटियाँ चट्टान की तरह खड़े हैं।
There would rarely be any village in Punjab that lacks the saga of bravery and gallantry. Following the path shown by Gurus, the sons and daughters of Punjab stand like a rock in the path of those who look at Mother India with crooked eyes: PM Narendra Modi pic.twitter.com/CyErsK1KqX
— ANI (@ANI) August 28, 2021
पीएम ने कहा कि जलियाँवाला बाग वह स्थान है, जहाँ सरदार उधम सिंह, सरदार भगत सिंह सहित हजारों बलिदानियों ने आजादी की लड़ाई लड़ने वालों को हौसला दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में विरासत व विकास को साथ लेकर चलना होगा। देश के लिए अपने अतीत की ऐसी विभीषिकाओं को नजरअंदाज करना गलत होगा। ऐसे में भारत ने 14 अगस्त को हर वर्ष ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि जलियाँवाला बाग की तरह हमारे स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े अन्य स्मारकों के सौंदर्यीकरण का कार्य भी हो रहा है। चंद्रशेखर आजाद को समर्पित भारत की पहली इंटरेक्टिव गैलरी का निर्माण यूपी के इलाहाबाद में किया जा रहा है।
Like Jallianwala Bagh, renovation work of other memorials related to our freedom struggle. Dedicated to Chandra Shekhar Azad, India’s first interactive gallery is being constructed in UP’s Allahabad: PM Narendra Modi pic.twitter.com/z4wDoxqsy2
— ANI (@ANI) August 28, 2021
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने आदिवासी समाज का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ”आज़ादी के महायज्ञ में हमारे आदिवासी समाज का बहुत बड़ा योगदान है। इतिहास की किताबों में इसको भी उतना स्थान नहीं मिला जितना मिलना चाहिए था।”
Our tribal community played a major role in the freedom struggle but their sacrifices didn’t find mention in history books to the extent they deserve. Work is in progress on museums to showcase the struggle of Aadiwasi freedom fighters in 9 states of the country: PM Narendra Modi pic.twitter.com/KlUV9GpqDc
— ANI (@ANI) August 28, 2021
13 अप्रैल 1919 के जलियाँवाला बाग नरसंहार को भला कौन भूल सकता है? 100 साल बाद भी कोई व्यक्ति शायद ही ऐसा हो जिसे ना मालूम हो कि उस दिन जनरल डायर के इशारे पर 1000 से ज्यादा बेगुनाह लोग गोलियों से भून दिए गए। 2000 से अधिक घायल हुए। इस खूनी दिन जैसा ब्रिटिशों का बर्बर रूप शायद ही कभी दिखा हो।
उस दिन जो कुछ भी हुआ उसने सबको झकझोर दिया। घरों से आती सिसकियों की आवाजें और परिजनों के सूखे आँसुओं ने जैसे कइयों के मन में बदले की आग जला दी थी। लेकिन उधम सिंह एक ऐसे नौजवान थे। जिन्होंने इस घटना के बाद अपने जीवन का मकसद ही जनरल डायर की मौत को बना लिया था। उन्होंने अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए पूरे 21 वर्षों तक इंतजार किया।