उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक प्राइवेट अस्पताल का अमानवीय चेहरा सामने आया है। इसके कारण 3 वर्षीय खुशी की मौत हो गई। आरोप है कि अस्पताल ने पूरे रुपए न मिलने के कारण बच्ची के पेट की स्टिचिंग नहीं की और फटे पेट के साथ ही उसे बाहर निकाल दिया। निजी अस्पताल की इस हरकत के बाद आक्रोशित लोगों ने हंगामा किया, लेकिन अस्पताल वालों ने दरवाजा नहीं खोला। इस मामले में DM ने जाँच के आदेश दे दिए हैं।
परिजनों का आरोप है कि बच्ची की सर्जरी के बाद उसे पेट में टाँके नहीं लगाए गए और उसे अस्पताल ने निकाल बाहर किया। करेली के करेंहदा निवासी मुकेश मिश्र ने अपनी बेटी ख़ुशी को पेट दर्द की शिकायत के बाद 15 फरवरी को इस अस्पताल में दाखिल कराया था। डॉक्टरों ने बताया कि उसकी आंतें सिकुड़ रही हैं, जो ऑपरेशन बाद ठीक होगी। 2 दिनों बाद ऑपरेशन तो हुआ, लेकिन डॉक्टरों पर इसे ठीक तरीके से अंजाम नहीं देने का आरोप है।
इसके बाद ख़ुशी को कोई आराम न मिलने के कारण 5 दिन बाद फिर से सर्जरी की गई। आरोप है कि इसके बाद डॉक्टरों ने टाँके भी नहीं लगाए और उसे कहीं और लेकर जाने को कहा। बच्ची उस समय दर्द से कराह रही थी। ख़ुशी को इसके बाद चिल्ड्रन होम ले जाया गया, लेकिन वहाँ भी डॉक्टरों ने इलाज से इनकार कर दिया। हार कर परिजन शुक्रवार (मार्च 5, 2021) को बच्ची को लेकर पुनः उसी अस्पताल में पहुँचे।
NCPCR asks Dist Collector to conduct inquiry into the case, lodge FIR under relevant IPC sections & recommend strict action against doctors & staff. It also asks that deceased child’s family be provided compensation. It has also asked for factual action taken report within 24 hrs
— ANI UP (@ANINewsUP) March 6, 2021
वहाँ उन्हें दरवाजे पर ही रोक दिया गया। वे अपनी बच्ची को गोद में लेकर इधर-उधर भटकते रहे लेकिन अंदर नहीं जाने दिया गया। दर्द से तड़प रही बाकी ने अस्पताल गेट पर पिता की गोद में ही दम तोड़ दिया। परिजनों और रिश्तेदारों के आक्रोश के बाद कई थानों की पुलिस वहाँ पहुँची। मंझनपुर में शव का पोर्टमॉर्टम हुआ। प्रयागराज के जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया है कि बच्ची की मौत के मामले में लापरवाही सामने आने पर अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई होगी।
उक्त अस्पताल रावतपुर में स्थित है। पिता ने आरोप लगाया है कि अस्पताल ने सर्जरी के नाम पर उनसे 1.5 लाख रुपए ऐंठ लिए थे और तब भी अस्पताल द्वारा 5 लाख की डिमांड की जा रही थी। आरोप है कि पेट में टाँके न लगे होने के कारण दूसरे अस्पतालों ने बच्ची की गंभीर स्थिति को देख कर उसे दाखिल करने से इनकार कर दिया। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) ने डीएम से इस बाबत रिपोर्ट माँगी है और अस्पताल कर्मचारियों व डॉक्टरों के खिलाफ FIR दर्ज करने को कहा है।