प्रयागराज में एक परिवार के चार लोगों की हत्या के मामले में पुलिस ने पवन कुमार सरोज को गिरफ्तार किया है। बताया है कि एकतरफा प्यार में उसने इस घटना को अंजाम दिया। खास बात यह है कि आरोपित पवन भी पीड़ित परिवार की तरह दलित ही है। लेकिन, कॉन्ग्रेस, सपा, बसपा जैसे विपक्षी दलों और मीडिया ने इस घटना में जाति का एंगल ठूँस दिया। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को बदनाम करने के लिए इस घटना की आड़ में दलितों पर अगड़ी जाति के अत्याचार के प्रोपेगेंडा को बढ़ाया।
पुलिस के मुताबिक पवन ने इस घटना को एकतरफा प्यार में असफल रहने के चलते अंजाम दिया। उसके मोबाइल से मृतका को भेजे गए मैसेज इस खुलासे में अहम सुराग बने हैं। पुलिस ने पूरे घटनाक्रम का खुलासा 28 नवम्बर 2021 (रविवार) को किया।
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— PRAYAGRAJ POLICE (@prayagraj_pol) November 28, 2021
पुलिस द्वारा जारी बयान के मुताबिक मृतका के मोबाइल की जाँच के दौरान आरोपित पवन के मैसेज मिले। पवन ने मृतका का नंबर गौरी मैडम के नाम से सेव किया था। उसने कई बार पीड़िता को प्रपोज किया, लेकिन उसका ऑफर ठुकरा दिया गया। इससे नाराज हो उसने अपने साथियों संग घटना को अंजाम दिया। यह भी सामने आया कि पीड़िता बालिग थी, जिसकी आयु 20 वर्ष से अधिक है। एक अन्य मृतका पीड़िता की माँ के साथ दुष्कर्म नहीं किया गया था। BBC व अन्य कई मीडिया रिपोर्टो में पीड़िता को नाबालिग और उसकी माँ के साथ दुष्कर्म की बात कही गई थी।
आरोपित पवन गाँव कोरसंड, थाना थरवई प्रयागराज का ही रहने वाला है जो मृतका के घर से लगभग 8 किलोमीटर दूर है। पवन द्वारा उस रात पहने गए कपड़ों पर लाल रंग के दाग मिले हैं। इन्हे वो पान की पीक बता रहा पर पुलिस को ख़ून के धब्बे होने का शक है। मृत लड़की के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई है। पवन के कपड़े और अन्य साक्ष्यों को लैब में परीक्षण के लिए भेजा गया है। पुलिस ने बताया कि आरोपित जाँच में सहयोग नहीं कर रहा और बार-बार बयान बदल रहा। जल्द ही उसके साथियों के नाम आदि की जानकारी हासिल कर ली जाएगी और इस घटना से जुड़े बाकी अन्य आरोपित भी गिरफ्तार किए जाएँगे।
गौरतलब है कि यह घटना 25 नवम्बर 2021 की है। गाँव मोहनगंज गोहरी, थाना फाफामऊ प्रयागराज में एक दलित परिवार के 4 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। मृतकों में परिवार का मुखिया व लड़की के पिता 50 साल के फूलचंद, उनकी 45 वर्षीया पत्नी मीनू देवी, बेटी सपना और एक नाबालिग बेटा शामिल था। हमला घर में घुस कर कुल्हाड़ी जैसे हथियार से किया गया था। इन सभी के लहूलुहान शव बिस्तर पर ही पाए गए थे। तब इस मामले में क्षत्रिय समाज के 11 लोगों को नामजद किया गया था। इनमे से एक आरोपित ऐसा भी था जो लम्बे समय तक अस्पताल में था और चलने-फिरने में असमर्थ है। इनके साथ पीड़ित परिवार से पुरानी रंजिश बताई गई थी। आनन फानन में 8 लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया गया था। पुलिस ने सभी पर धारा 147, 148, 149, 302, 376 D IPC के साथ 3/4 पॉक्सो एक्ट और SC/ST एक्ट के तहत कार्रवाई की थी।
एफ़आईआर में गाँव के आकाश सिंह, उनके पिता अमित सिंह, अमित सिंह की पत्नी बबली सिंह और आठ अन्य लोगों को आरोपित किया गया था। पहले इस घटना में पुलिस पर दलितों का साथ न देने का आरोप लगाया गया था। इसके चलते इंस्पेक्टर और सिपाही को तुरंत सस्पेंड कर दिया गया था। कुछ ही समय में इस मामले ने राजनैतिक तूल पकड़ लिया था। घटना में कॉन्ग्रेस पार्टी के साथ बसपा, सपा, भीम आर्मी ने बयानबाजी शुरू की। इसमें कई पत्रकार भी शामिल हो गए। तमाम लोगों ने इस घटना को जातीय रंग देना शुरू कर दिया था।
कथित पत्रकार प्रशांत कनौजिया ने ट्वीट कर कहा कि मृतक पासी (दलित) हैं और पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही क्योंकि आरोपित ठाकुर हैं।
प्रियंका गाँधी ने इस घटना को सरकारी संरक्षण में दलितों का नरसंहार बताया।
दिग्विजय सिंह ने भी इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी।
यूथ कॉन्ग्रेस के आधिकारिक हैंडल ने “सामंती गुंडे” जैसे शब्द का प्रयोग किया।
भीम आर्मी के मुखिया ने “बौराए गुंडे” कहा।
अखिलेश यादव ने इस हत्या को “दबंगों” द्वारा की गई बताया था।
मायावती ने उस क्षेत्र में “दबंगो का आतंक” लिखा था।
पत्रकार रोहिणी सिंह ने तो इस घटना में 2019 और 2021 का इतिहास भी जोड़ दिया था और लिखा कि UP में दलित होना आसान नहीं है।
आज़ाद समाज पार्टी के गुलज़ार सिद्दीकी ने जातिवादियों से सुरक्षा के लिए ‘बंदूकों’ की माँग कर डाली।
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने राष्ट्रपति से समय माँग कर मामले में हस्तक्षेप की बात कही।