प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज TV9 भारतवर्ष के राष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर खुलकर बातें की और पिछले पाँच वर्षों में अपनी सरकार द्वारा देशहित में उठाए गए कई ठोस क़दमों का ज़िक्र किया। अपने संबोधन में उन्होंने विपक्ष की कमियों के बारे में तो बताया ही साथ में देश को एक बार फिर नए भारत के अपने दृष्टिकोण से अवगत कराया। विभिन्न योजनाओं और लक्ष्यों की प्राप्ति कर देश की नींव को मज़बूत करने से लेकर आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने की बातें भी साझा की। प्रधानमंत्री के संबोधन की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:
- TV 9 ग्रुप के सभी लोगों को लॉन्चिंग के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ, आप ऐसे समय में उतरे हैं जब हम नए भारत की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। आपने अपने चैनल का नाम भारतवर्ष रखा है, इसलिए इस नाम के साथ बहुत बड़ा दायित्व जुड़ गया है। आप देश की आशा पर खरे उतरें, इसके लिए मेरी शुभकामनाएँ हैं।
- पाँच वर्ष पहले तक क्या होता था दुनियाभर से हम पर सवाल-जबाव शुरू हो जाते थे, दुनिया के देश रूल बनाते थे और हम उसे फॉलो करने के लिए मजबूर हो जाते थे। आज हर मामले में देश ख़ुद आगे बढ़कर निर्णय लेता है, फिर चाहे कोई भी मामला हो।
- आज हम आतंकियों को घुसकर मारते हैं तो पूरी दुनिया हमारे साथ खड़ी हो जाती है। जो मंच कभी पाक के प्रोपेगैंडा का माध्यम बनता था आज वो भारत के साथ हैं।
- अंतरिक्ष हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आप अपने चैनल की कल्पना बिना सैटेलाइट के कीजिए, आपको समझ में आ जाएगा।
- क्या हम वैसी ही स्थिति में रहें जैसे 1962 में थे। हम कमिटमेंट के साथ काम करते हैं। आज के फ़ैसलों को कल के लिए टालना आपराधिक लापरवाही है।
- स्वतंत्रता के बाद से 2008 तक बैंकों द्वारा 18 लाख करोड़ रुपए का कर्ज़ दिया गया। 2011 में बढ़कर 52 लाख करोड़ का हो गया। कोई भी घोटाला देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने के लिए काफी है।
- अब ये नहीं होगा कि 1 कंपनी को दिवालिया घोषित करके बाकी कंपनियों का पैसा आराम से रखे। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा देश को सारा पैसा लौटाना पड़ेगा।
- कड़े क़ानून के चलते 3 लाख करोड़ रुपयों की वापसी हो गई है अब तक। इस क़ानून की वजह से मुझपर जो दबाव था, वो मैं ही जानता हूँ।
- जो आदमी 9 हज़ार करोड़ का घोटाला करके भागा था, उसकी 14 हजार करोड़ की संपत्ति ज़ब्द कर ली गई है।
- हमारी सरकार ने सवा तीन लाख से ज़्यादा कंपनियों पर ताला लगा दिया किसी ने कुछ नहीं कहा, न ही कहीं पुतले जले और न कहीं मोदी मुर्दाबाद के नारे लगे।
- भ्रष्टाचारियों ने ऐसी व्यवस्थाएँ विकसित कर ली थी कि बस पैसा मिलता रहेगा। जिस देश में कागजों में 8 करोड़ से ज़्यादा फ़र्ज़ी नाम वाले लोग हों। और सरकारी सुविधाओं का लाभ रहे हों, ये हमारे यहाँ सालों से चल रहा है। हमने इनकी पहचान का काम शुरू कर दिया है।
- ग़रीबों के अधिकार कोई न छीन सके इसलिए उनके खाते खुलवाए गए, जनधन योजना के तहत। उनके हक़ का पैसा सीधा उनके खाते में जमा हो रहा है।
- आधार का मामला SC में इतना लंबा क्यों चला। मूल कारण है कि मलाई खाना बंद हो गया था। आधार के ज़रिए ही 1 लाख 10 हज़ार करोड़ रुपए ग़लत हाथों में जाने से बचाया गया। ये लूट आपके टैक्स के पैसे की थी। दशकों तक जिनका इस देश पर राज रहा है क्या उनकी इस बात पर कोई जवाबदेही है कि नहीं?
- पहले की सरकार में डीबीटी का मतलब ‘डायरेक्ट बिचौलिया ट्रांसफर’ था।
- 2014 के बाद जनता की आशाएँ अब विश्वास में बदल गई हैं। अब देश को विश्वास हो गया है कि अब हिंसा और आतंकवाद को मुँह तोड़ जवाब दे सकता है। देश को लूटने वाले कहीं भी हों वो अब बच नहीं पाएँगे। एक तरफ आशा और अकांक्षाएँ हैं तो दूसरी तरफ विपक्ष के पास केवल अविश्वास और नकारात्मकता है उसको भी देश अब भलिभाँति समझ रहा है। सच्चाई यह है कि जिनको दशकों तक सत्ता में रहने का अवसर मिला वो विफल रहे। नकारात्मक फैला कर भ्रम फैलाकर कभी सफलता नहीं पाई जा सकती।