Saturday, November 23, 2024
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कृषि बिलों की वापसी के बाद बैंकों के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन करेंगे राकेश टिकैत, ट्वीट कर कहा- देश में साझा आंदोलन की जरूरत

टिकैत ने घोषणा की कि संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों के विरोध के भविष्य की योजनाओं के बारे में सभी निर्णय लेने के लिए 5 सदस्यीय समिति को अंतिम रूप दिया है। 5 सदस्यीय समिति के सदस्यों में किसान नेता अशोक धवले, गुरनाम सिंह चादुनी, शिव कुमार काका, युद्धवीर सिंह और बलबीर सिंह रावल शामिल हैं।

भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत अब बैंकों के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन करने के मूड में हैं। बैंकों के निजीकरण के खिलाफ बोलते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने देशव्यापी आंदोलन का आह्वान किया है। उन्होंने ट्वीट कर संकेत दिया कि वह अब नए मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को घेरने वाले हैं।

राकेश टिकैत ने शनिवार (4 दिसंबर 2021) को देर रात अपने एक ट्वीट में लिखा, “हमने आंदोलन की शुरुआत में आगाह किया था कि अगला नंबर बैंकों का होगा। नतीजा देखिए, 6 दिसंबर को संसद में सरकारी बैंकों के निजीकरण का बिल पेश होने जा रहा है। निजीकरण के खिलाफ देश भर में साझा आंदोलन की जरूरत है।” राकेश टिकैत ने अपने ट्वीट के साथ हैशटैग StopPrivatization का इस्तेमाल किया है। 

गौरतलब है कि संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार कई विधेयक पेश कर चुकी है और कई बिल को पेश करने की योजना है। इसी क्रम में अब मोदी सरकार सोमवार (6 दिसंबर 2021) को बैंकों के निजीकरण से संबंधित बिल संसद में पेश कर सकती है। बिल आने से पहले ही राकेश टिकैत ने आंदोलन करने का संकेत दे दिया है।

बता दें कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के विरोध में यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर 16 और 17 दिसंबर को बैंकों में दो दिन की देशव्यापी हड़ताल की जाएगी। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस नौ सरकारी बैंकों के यूनियन का संयुक्त मंच है।

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस का कहना है कि सरकार संसद के मौजूदा सत्र में बैंकिंग सुधार विधेयक पारित कराना चाहती है, जिससे निजीकरण का रास्ता साफ हो जाए। यूनाइटेड फोरम इस बिल का विरोध करने के लिए आंदोलन के तहत धरना प्रदर्शन कर रहा है।

फोरम का कहना है, “हम देश में कर्मचारी एवं जन समर्थित बैंकिंग नीतियों के साथ देश के आर्थिक विकास से जुड़ी नीतियों के समर्थक हैं न कि बैंकों के निजीकरण किए जाने के। इसीलिए बैंक कर्मचारियों का यह आंदोलन जारी है।” हड़ताल से संबंधित नोटिस यूनाइटेड फोरम ने भारतीय बैंक संघ को दे चुका है।

बता दें कि तीनों कृषि कानूनों के रद्द होने के बाद भी किसानों का आंदोलन जारी है। केंद्र सरकार चाहती है कि किसान धरना छोड़कर वापस अपने घर चले जाएँ। वहीं किसान MSP, मुआवजे और अपने ऊपर लगे केस वापस लेने की माँग पर अड़े हैं। सयुंक्त किसान मोर्चा (SKM) ने शनिवार (4 दिसंबर 2021) को किसानों की बैठक बुलाई। भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि MSP कानून बनने तक किसान आंदोलन खत्म नहीं होगा।

मीडिया को जानकारी देते हुए बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने घोषणा की कि संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों के विरोध के भविष्य की योजनाओं के बारे में सभी निर्णय लेने के लिए 5 सदस्यीय समिति को अंतिम रूप दिया है। 5 सदस्यीय समिति के सदस्यों में किसान नेता अशोक धवले, गुरनाम सिंह चादुनी, शिव कुमार काका, युद्धवीर सिंह और बलबीर सिंह रावल शामिल हैं। एसकेएम के अनुसार, एमएसपी पर कानून, बिजली संशोधन विधेयक और लखीमपुर खीरी मामले जैसे कई मुद्दों को हल करने के लिए सुलझाने की जरूरत है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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