रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले में 42 दिनों की जाँच के बाद राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल से दो आतंकवादियों – मुस्सविर हुसैन शाजिब और अब्दुल मथीन ताहा को गिरफ्तार किया। सूत्रों ने बताया कि शाजिब और ताहा कोलकाता से 184 किलोमीटर दूर पूर्वी मेदिनीपुर के दीघा के एक होटल में फर्जी आधार कार्ड बनवाकर फर्जी पहचान के साथ रुके थे। उन्होंने खुद को संजय अग्रवाल और उदय दास बताया था।
तीन दिनों के ट्रांजिड रिमांड के बाद कोर्ट ने दोनों आतंकवादियों की एनआईए रिमांड मंजूर कर ली और दोनों को 10 दिनों की एनआईए रिमाँड मंजूर कर ली। बता दें कि दोनों आतंकियों ने धमाके के बाद कर्नाटक छोड़ दिया था और पश्चिम बंगाल में छिपे थे। इसके बाद वो लगातार जगह बदल रहे थे और किसी तरह से भारत से बाहर भागने की कोशिश कर रहे थे। जाँच एजेंसियाँ इन आतंकियों के विदेशी लिंक भी तलाश रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट मामले में एनआईए ने शुक्रवार ( 12 अप्रैल 2024) को पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले से दो आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था। दोनों आतंकवादियों की गिरफ्तारी के बाद जाँच एजेंसी ने कोलकाता की कोर्ट में पेश कर तीन दिन की ट्रांजिट रिमांड पर बेंगलुरु ले आई। दोनों आतंकवादियों को जाँच और पूछताछ के बाद फिर से शनिवार (13 अप्रैल 2024) को कोर्ट में पेश किया गया है, जहाँ से अदालत ने दोनों को 10 दिनों की हिरासत में भेज दिया है।
एनआईए ने बताया कि अब्दुल मथीन अहमद ताहा और मुस्सविर हुसैन शाजिब को कोलकाता से लगभग 190 किलोमीटर दूर पूर्व मेदिनीपुर जिले की दीघा कस्बे के एक होटल से गिरफ्तार किया गया। ताहा विस्फोट की योजना बनाने और उसे अंजाम देने का मास्टरमाइंड था और शाजिब ने कैफे में इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) रखा था। एजेंसी ने बताया कि एनआईए बेंगलुरु कैफे ब्लास्ट के साजिशकर्ता अब्दुल मथीन ताहा की पिछले पाँच साल से तलाश कर रही थी।
दोनों ही आतंकवादी कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के तीर्थहल्ली के रहने वाले हैं। इसमें से ताहा आईएसआईएस का काफी अहम ऑपरेटिव है, जो नवंबर 2022 के मंगलुरु प्रेशर कुकर बम, 2022 शिवमोग्गा ट्रायल ब्लास्ट और 2020 में अल-हिंद मॉड्यूल से भी जुड़ा रहा है। वो पहचान बदलने में माहिर है और कई बार कर्नल की पहचान के साथ भी लोगों से मुलाकात की थी।
शाजिब और ताहा की गिरफ्तारी के एक दिन बाद दोनों आतंकवादियों का नया सीसीटीवी फुटेज सामने आया है। दोनों को एक गेस्ट हाउस में चेक करते देखा जा सकता है, जो कि कोलकाता के एकबालपुर में स्थित बताया जा रहा है। शाजिब और ताहा ने 25 मार्च को इस गेस्ट हाउस में चेक इन किया था और तीन दिनों तक वहाँ रुके थे। उन्होंने कर्मचारियों को बताया था कि वे कर्नाटक और महाराष्ट्र के रहने वाले हैं।
होटल के रिसेप्शनिस्ट अशरफ अली ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया , “वे 25 मार्च को आए और अपना पहचान पत्र दिखाया और हमने उन्हें एक कमरा दिया। उन्होंने 28 मार्च को होटल से चेकआउट किया। जब एनआईए के अधिकारी पहुँचे, तो उन्होंने एंट्री रजिस्टर देखा और जाँच शुरू की।”
गिरफ्तारी से पहले दोनों पिछले चार दिनों से न्यू दीघा के एक लॉज में रह रहे थे। उन्होंने बंगाल में कई बार अपनी जगह बदली थी। शाजिब ने कोलकाता के दो होटलों में महाराष्ट्र के पालघर के यशा शाहनवाज पटेल के फर्जी आधार कार्ड का इस्तेमाल किया था। जबकि ताहा ने एक होटल में कर्नाटक के विग्नेश बीडी और दूसरे में अनमोल कुलकर्णी जैसे नकली नामों का इस्तेमाल किया था। फिर दूसरे होटल में उन्होंने क्रमशः झारखंड और त्रिपुरा के रहने वाले संजय अग्रवाल और उदय दास की पहचान ली।
खास बात ये है कि इन आतंकवादियों ने खुद को सरकारी एजेंसियों से बचाने के लिए खास पैटर्न का इस्तेमाल किया। दोनों ने 42 दिनों तक खुद को छिपाने के लिए सिर्फ गेस्ट हाउस या निजी लॉज में ही रुकने को वकीयता दी, क्योंकि यहाँ पर कागजों की जाँच कम के कम की जाती है।
सीएनएन-न्यूज18 ने जाँच अधिकारियों के हवाले से बताया है कि इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए क्रिप्टोकरेंसी के जरिए पैसों की व्यवस्था की। ये बताया जा रहा है कि शाजिब, ताहा और एक अन्य संदिग्ध शरीफ सभी आईएसआईएस मॉड्यूल से जुड़े हैं। उनकी बेंगलुरु में नवंबर 2023 में हुए धमाके में भी तलाश की जा रही थी। ताहा आईएसआईएस मॉड्यूल का काफी अहम आतंकी है और वो पेशे से इंजीनियर है। बता दें कि इन आतंकियों की गिरफ्तारी पर एनआईए ने 10-10 लाख का ईनाम भी रखा था।
गौरतलब है कि एक मार्च को बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे में ब्लास्ट हुआ था। इस धमाके में 9 लोग घायल हो गए थे। पुलिस सूत्रों ने कहा था कि कैफे में टाइमर का उपयोग करके आईईडी बम धमाका किया गया था। सीसीटीवी फुटेज में भी दिखा था कि एक व्यक्ति वहाँ बैग रखकर चला जाता है, जिसमें धमाका हो गया।