सीबीआई कोर्ट ने मुकदमा दर्ज होने के 32 साल बाद 81 वर्षीय पूर्व आईएएस ऑफिसर को 5 साल कैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही इस पूर्व अफसर पर 1.5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। बता दें कि सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया नाम के पूर्व आईएएस अधिकारी के सरकारी आवास पर आय से अधिक संपत्ति से जुड़े मामले की छापेमारी में बड़ी संख्या में हथियार व कारतूस बरामद किए गए थे। सीबीआई ने इस मामले में 31 अगस्त 1987 को एफआईआर दर्ज की थी। उस समय अहलूवालिया नागालैंड में श्रम और रोजगार सचिव और आयुक्त के पद पर तैनात था।
नौकरशाह सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप लगने के बाद सीबीआई ने उसके दिल्ली और कोहिमा स्थित आवासोंं पर छापेमारी की थी। इस दौरान सीबीआई ने उसके आवास से एक कारबाइन समेत 5 बंदूक, एक विदेशी राइफल व 328 कारतूस बरामद किए थे।
32 years after FIR, ex-IAS gets 5-year jail for possessing weapons https://t.co/IytD3Bhsrm via @timesofindia
— Chowkidar Perumal pillai (@56perumal) September 7, 2019
जाँच एजेंसी ने मामले की जाँच 5 साल में पूरी कर ली थी और 10 अप्रैल 1992 को आरोप पत्र दाखिल कर दिया था। अदालती लड़ाई के चलते आरोप तय होने में 18 साल लग गए और 10 फरवरी 2010 को उसके खिलाफ आरोप तय हो पाए।
मामले में दोषी अहलूवालिया 3 मई 1964 को आपातकालीन कमीशन अधिकारी के तौर पर सेना में शामिल हुआ था। इसके बाद उसने 1971 में भारतीय प्रशासनिक सेवा ज्वाइन की और उसे नागालैंड कैडर मिला था। अपनी सेवा के दौरान अकूत संपत्ति अर्जित करने के चलते यह अधिकारी सीबीआई के निशाने पर आया था। उस समय इसके पास दिल्ली, ग्वालियर और चंडीगढ़ के पॉश इलाकों में कई संपत्ति और एक वातानुकूलित सिनेमा घर भी पाया गया था। अधिकारियों ने बताया कि हथियारों की बरामदगी में सीबीआई ने उसके खिलाफ एक अलग मामला दर्ज किया था।
राउज एवेन्यू अदालत के एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने शुक्रवार (सितंबर 6, 2019) को सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया को 5 साल की कैद और डेढ़ लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। सीबीआई के मुताबिक यह सबसे लंबा चलने वाला मुकदमा रहा है।