दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों की पृष्ठभूमि सीएए के विरोध प्रदर्शनों से शुरू होती है। वही प्रदर्शन जहाँ पहले तिरंगे को हाथ में लेकर लोकतंत्र को बचाने का दावा किया जाता रहा और बाद में हिंसा भड़कते ही उन्हीं तिरंगों का इस्तेमाल पेट्रोल बम बनाने में हुआ।
इन दंगों पर प्रकाशित होने जा रही किताब, ‘दिल्ली राइट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी’ में इस घटना का विस्तार से ब्यौरा दिया गया है। आज इसी किताब की लेखिका मोनिका अरोड़ा ने किताब के कुछ पन्ने अपने ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा, “शाहीन बाग में जिस तिरंगे की और संविधान की कसमें खा रहे थे। दिल्ली दंगों में उसी तिरंगे के पेट्रोल बम बनाकर घर, दुकान जला रहे थे ये दंगाई।”
ट्वीट के साथ शेयर पन्ने में बताया गया कि इस्लामी कट्टरपंथ की भारी डोज ने उन महीनों में समुदाय विशेष के दिमाग में इतना जहर घोल दिया था कि उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। यह प्रदर्शन शुरु संविधान को बचाने से हुआ लेकिन इसका अंत अनुसूचित जाति से आने वाले लोगों की हत्या के साथ हुआ। 24 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली में ‘संविधान बचाओ, देश बचाओ’ प्रदर्शन का अंत दंगाइयों ने विनोद कश्यप नाम के अनुसूचित जाति के व्यक्ति की लिंचिंग व दिनेश खटीक नाम के एक व्यक्ति को गोली मार कर किया।
इन दंगों में ऊँची इमारतों से पड़ोसियों को (इजिप्ट और सीरिया जैसे) गोलियाँ चलाकर निशाना बनाया गया और आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की बर्बर हत्या को अंजाम दिया गया। किताब में लिखा है, “वह प्रदर्शन जो महात्मा गाँधी, डॉ बीआर अम्बेडकर की तस्वीरों और तिरंगा फहराने से शुरू हुआ था उसका अंत तिरंगे से पेट्रोल बम बनाने में, दुकानों को, घरों को जलाने में हुआ।”
शाहीन बाग में जिस तिरंगे की और संविधान की कसमें कहा रहे थे, #DelhiRiots2020 में उसी तिरंगे के पेट्रोल बम बनाकर घर, दुकान जला रहे थे ये दंगाई।
— Monika Arora (@advmonikaarora) September 18, 2020
जानने के लिए पढ़िए#DelhiRiotsTheUntoldStory
Delivery of the book starts from 20 September. pic.twitter.com/bZEgF4cAxR
गौरतलब है कि मोनिका अरोड़ा ने आज इस पन्ने के साथ कुछ अन्य पृष्ठों को भी अपने ट्विटर पर शेयर किया है। इन पन्नों में उन डिटेल्स का जिक्र है जब पुलिस वजीराबाद रोड पर इकट्ठा होती भीड़ को समझाने पहुँची थी और बात सुनने की जगह पुलिस पर समुदाय विशेष की महिलाएँ आक्रामक हो गई थीं। उन्होंने उस समय अपने बुर्के में छिपा कर रखे गए पत्थर, तलवार व चाकू से पुलिस पर बेरहमी से हमला बोल दिया था।
मोनिका अरोड़ा ने अपने ट्वीट में कहाकि रोड ब्लॉक करने वाली महिलाओं के बुलाने पर डीसीपी अमित शर्मा बातचीत के लिए मौके पर पहुॅंचे थे। इन महिलाओं ने बुर्के में छिपाकर रखे गए चाकू और तलवार से उन पर हमला कर दिया। दूसरे पुलिसकर्मियों ने उन्हें बचाया और नजदीकी नर्सिंग होम में ले गए। जेहादियों ने इस नर्सिंग होम को भी जला दिया था।
DCP Amit Sharma was called by women blocking road to talk.
— Monika Arora (@advmonikaarora) September 18, 2020
He went. These women took out knives & swords from under their burqa & attacked him.
He was rescued by other police men,taken to nearby nursing home.
Even that nursing home was burnt by Jehadis#DelhiRiotsTheUntoldStory pic.twitter.com/28Cou3hpUy